उत्तराखंड

हल्द्वानी रेलवे भूमि प्रकरण: धीमी गति से चल रहा है रेलवे विस्तार प्रारूप बनाने का काम, 11 सितंबर को SC में होगी सुनवाई

नगर प्रशासन ने बनभूलपुरा क्षेत्र में रेलवे और अपनी भूमि के सीमांकन को पुनः जांच पड़ताल के दायरे में लेते हुए एक बार फिर से सर्वे करते हुए कथित अतिक्रमण पर लाल चिन्ह लगा दिए हैं।

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दिनेश मानसेरा

देहरादून: हल्द्वानी रेलवे भूमि विवाद प्रकरण मामले की सुनवाई 11 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में होनी है, उससे पहले रेलवे को अपनी विस्तार योजना का प्रारूप तैयार करना है। खबर है कि रेलवे इस मामले में ढिलाई बरत रहा है।

उल्लेखनीय है कि पिछली तारीख में उच्चतम न्यायालय ने रेलवे से पूछा था उसे किस योजना के तहत कितनी जमीन चाहिए? साथ ही उससे ये भी पूछा था कि जब योजना के लिए जमीन चाहिए थी तो उसे हासिल करने में क्या दिक्कत थी? जिसके बाद रेलवे प्रशासन ने पुनः सीमांकन करने का काम शुरू तो कराया, लेकिन नगर प्रशासन के साथ अभी तक अपनी योजना प्रारूप को साझा नहीं किया।

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नगर प्रशासन ने बनभूलपुरा क्षेत्र में रेलवे और अपनी भूमि के सीमांकन को पुनः जांच पड़ताल के दायरे में लेते हुए एक बार फिर से सर्वे करते हुए कथित अतिक्रमण पर लाल चिन्ह लगा दिए हैं। नगर मजिस्ट्रेट ए पी बाजपेयी का कहना है हमारी सर्वे टीम ने अपना काम तेजी से पूरा किया है। हमें रेलवे की रिपोर्ट का इंतजार है।

उधर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को निर्देशित किया है कि वो सुप्रीम कोर्ट में तारीख से पहले उत्तराखंड सरकार के पक्ष की तैयारियों की समीक्षा कर लें, जिसके बाद शासन में और नैनीताल प्रशासन में बैठक को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई है।

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स्मरण रहे कि हल्द्वानी रेलवे स्टेशन से लगे बनभूलपुरा क्षेत्र में कथित रूप से 30 हैक्टेयर भूमि अतिक्रमण है। जिसमें काबिज 4365 लोगों को भूमि खाली करने का नोटिस दिया गया है। रेलवे का तर्क है कि उसके पास रेलवे योजनाओं के लिए उसे अपनी भूमि चाहिए। जिसके खुला काबिज लोग सुप्रीम कोर्ट गए हुए है।हाई कोर्ट ने पहले ही काबिज लोगो के खिलाफ फैसला सुनाया हुआ है।

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