वीडी शर्मा ने कहा कि लोकमाता देवी अहिल्याबाई हो, लकर की 300वीं जयंती के अवसर पर उनके सुशासन और शासन पद्धति पर चर्चा अत्यंत प्रासंगिक है। उन्होंढने अपने शासनकाल में जो कार्य किए और जो पद्धति विकसित की, वह आज के राजनीतिक और प्रशासनिक कार्यों के लिए प्रेरणास्रोत है। उन्होंिने अपने शासनकाल में जो दिशा अपनाई थी, उस सुशासन को हम उस दिशा में आगे ले जाने में सफल हो सकते हैं
उन्होंने कहा- देवी अहिल्याबाई होल्कर के शासनकाल से आज की सरकारों और नेताओं को सीख लेनी चाहिए। उन्होंवने अपने राज्य शासन की व्यवस्था में उत्कृष्टता स्थापित की थी, जिसे आज भी कई लोग अनुकरणीय मानते हैं। अंग्रेजी शासन में भी उनकी व्यसवस्था को आदर्श माना जाता था। इसके लिए उन्हेें सम्मानित भी किया गया था। लोकमाता ने गरीब, दलित, पिछड़े और उपेक्षित वर्गों के कल्याण के लिए जो नीतियां बनाईं, वे आज के सुशासन की अवधारणा से मेल खाती हैं।
‘सबका विकास, सबका विश्वास’ उनकी शासन नीति का ही विस्तार है। अहिल्याबाई ने धर्म और संस्कृति की पुनर्स्थापना के लिए भी अभूतपूर्व काम किया। शर्मा ने बताया कि कैसे लोकमाता ने गरीबों के जीवन में सुधार के लिए प्रयास किए। अहिल्याबाई होलकर के शासनकाल में, उन्होंने गरीबों की चिंता की और उनकी खुशहाली के लिए ठोस कदम उठाए। शर्मा ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की अंत्योदय की अवधारणा का भी उल्लेख किया, जिसमें समाज के अंतिम व्यक्ति के जीवन में सुधार लाने का प्रयास किया गया।
जिस तरह अहिल्याबाई ने विधवाओं के पुनर्विवाह की व्यवस्था की और उनकी संपत्ति को उनके नाम पर रखने की नीति अपनाई। इसी तरह, आज की सरकार ने भी महिलाओं के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जैसे ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ और मध्य प्रदेश में ‘लाडली लक्ष्मी योजना’, जो बेटियों की सुरक्षा और शिक्षा को प्रोत्साहित करती है। शर्मा ने देवी अहिल्याबाई के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि उनका जीवन एक आदर्श उदाहरण है कि कैसे एक शासक ने प्रकृति और जीव-जंतुओं के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाए।
उन्होेंने न केवल गायों के संरक्षण के लिए काम किया, बल्कि जीव-जंतुओं की भलाई के लिए भी कई प्रयास किए। एक उदाहरण के रूप में, उन्होंने पक्षियों के लिए खड़ी फसलों को उनकी कीमत पर खरीद कर किसान को पैसे दिए और खेतों को ऐसे ही छोड़ दिया, ताकि पक्षियों को भोजन मिल सके। यह उनके प्रकृति प्रेम और संवेदनशीलता का स्पष्ट प्रमाण है। राज्य सरकार भी इसी दिशा में काम करने का प्रयास करेगी, ताकि समाज और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ाया जा सके।
टिप्पणियाँ