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असम में नमाज के लिए नहीं रुकेगी विधानसभा की कार्यवाही, 87 साल पहले मुस्लिम लीग के नेता सादुल्ला के समय बना था नियम

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WEB DESK

गुवाहाटी, (हि.स.)। असम विधानसभा ने शुक्रवार को सर्वसम्मति से एक बड़ा फैसला लिया। विधानसभा ने अब शुक्रवार को नमाज के लिए ब्रेक को खत्म करने के लिए नियम 11 में संशोधन कर दिया गया। इससे अब से नमाज के लिए विधानसभा में कोई ब्रेक नहीं होगा। इस नियम की अनुपालना अगले सत्र से होगी। आज पांच दिवसीय विधानसभा का अंतिम दिन था।

दरअसल, असम विधानसभा में कार्यवाही हर शुक्रवार को दिन 11.30 बजे से नमाज के लिए रोक दी जाती था। यह नियम मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद सादुल्ला के दिनों से चला आ रहा था। इसको लेकर पहले भी आपत्ति जताई जाती रही है, लेकिन इसको समाप्त नहीं किया गया था। असम विधानसभा में आज अंतिम बार इस नियम के तहत विधानसभा की कार्रवाई को नमाज के लिए स्थगित किया गया। आज विधानसभा में सर्वसम्मति से नियम 11 में संशोधन किया गया। हर शुक्रवार को नमाज के लिए रुकने वाली कार्यवाही को रोकने के प्रावधान को समाप्त कर दिया गया। इस नियम का अनुपालन विधानसभा की अगली बैठक से होगा। आज पांच दिवसीय विधानसभा का अंतिम दिन था।

सत्ताधारी दल के विधायकों का कहना था कि देश की किसी भी विधानसभा में इस तरह की कोई प्रक्रिया नहीं है। सवाल उठता है कि यहां पर ऐसी परंपरा क्यों शुरू की गयी। कुछ विधायकों ने इसको तुष्टीकरण की राजनीति से जोड़कर बताया कि यह सिर्फ वोट बैंक की घृणित राजनीति है। उन्होंने कहा कि नमाज पढ़ने के लिए किसी को भी कोई रोक नहीं है। जिसे नमाज पढ़ना है, वह पढ़ सकता है, जिसे नहीं पढ़ना है वह सदन की कार्यवाही में हिस्सा ले सकता है। केवल कुछ लोगों के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित करना सार्वजनिक धन की बर्बादी है।

कौन थे मोहम्मद सादुल्ला
मोहम्मद सादुल्ला वकील और असम में मुस्लिम लीग के नेता थे। ब्रिटिश सरकार से उन्हें नाइटहुड की उपाधि मिली थी। 1936 में उन्होंने ब्रिटिश भारत में असम के पहले मुख्यमंत्री बनने के लिए गैर-कांग्रेसी दलों के साथ गठबंधन किया था। मोहम्मद सादुल्ला संविधान सभा के सदस्य भी थे। नमाज के लिए 2 घंटे की छुट्टी वाली प्रथा 1937 यानी 87 साल पहले शुरू की गई थी।

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