दाने—दाने को मोहताज हुए पाकिस्तान को चीन कर्जे के नाम पर अपने शिकंजे में जकड़ता जा रहा है और पाकिस्तान के नेता उसे खुशी—खुशी ऐसा करने दे रहे हैं, क्योंकि इस रास्ते उनकी अपनी भी जेब गर्म होती रही है। अपने आका चीन को खुश करने का कोई मौका पाकिस्तान के नेता और सरकार खोना नहीं चाहती। शायद इसी सोच पर चलते हुए कंगाल देश ने चीन के एक फौजी जनरल को अपने देश का एक बड़ा तमगा दिया है।
जिन्ना का कंगाल देश किसी को सम्मानित करता हो तो साफ है कि उसकी नजर उससे मिल रहे या मिलने वाले पैसे पर ही होगी। दाने—दाने को मोहताज हुए पाकिस्तान को चीन कर्जे के नाम पर अपने शिकंजे में जकड़ता जा रहा है और पाकिस्तान के नेता उसे खुशी—खुशी ऐसा करने दे रहे हैं, क्योंकि इस रास्ते उनकी अपनी भी जेब गर्म होती रही है। अपने आका चीन को खुश करने का कोई मौका पाकिस्तान के नेता और सरकार खोना नहीं चाहती। शायद इसी सोच पर चलते हुए कंगाल देश ने चीन के एक फौजी जनरल को अपने देश का एक बड़ा तमगा दिया है।
इस्लामी उत्पाती देश ने चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी यानी पीएलए के कमांडर जनरल ली क्याओमिंग को जो तमगा दिया है उसका नाम है निशान ए इम्तियाज। पाकिस्तान इसे अपने यहां का एक बड़ा ‘सम्मान’ बताता है। भीख का कटोरा थामें उस देश ने इस मौके पर फौजी कमांडर के देश कम्युनिस्ट विस्तारवादी चीन को ‘विश्वसनीय मित्र’ बताकर चापलूसी को और मजबूत करने की कोशिश की।
चीन के टॉप कमांडर ली क्याओमिंग भी निशान—ए—इम्तियाज तमगा पाकर बाग—बाग हुए जैसे किसी बहुत बड़े और इज्जतदार देश ने उन्हें सम्मानित किया हो। क्याओमिंग चीनी सेना में ग्राउंड फोर्स कमांडर हैं और निशाने ए पाकिस्तान का तमगा उस आतंकवाद के प्रायोजक देश के चोटी के नागरिक सम्मानों में से एक बताया जाता है।
बताते हैं कि जनरल क्याओमिंग को कंगाल देश ने यह सम्मान इसलिए दिया है क्योंकि उस जनरल ने दोनों देशों की फौज में आपसी सहयोग को और बढ़ाया है। यह कार्यक्रम राष्ट्रपति भवन में किया गया जिससे ड्रैगन आका का संकेत जाए कि आपके जनरल को हम कितनी इज्जत बख्श रहे हैं। इस मौके पर देश के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ, सेना अध्यक्ष जनरल असीम मुनीर, नौसेना और वायुसेना प्रमुख मौजूद थे।
मीडिया में आए समाचारों के अनुसार, जनरल ली क्याओमिंग 40 साल से चीनी सेना में हैं। उन्होंने उसमें एक बड़ी भूमिका निभाई है, कई पद संभाले हैं। जनरल को तमगे के अलावा मान पत्र भी दिया गया। मान पत्र पर लिखा हुआ था—’ग्राउंड फोर्सेज के कमांडर की बौद्धिक कुशलता, कौशल तथा त्याग के भाव की वजह से वे एक हिम्मती अफसर के नाते मशहूर हुए। उनकी विशेष भूमिका की वजह से चीन ही नहीं, बल्कि बाहर के देशों में भी शांति बनी रही। उन्होंने पाकिस्तानी तथा चीनी सेना के रिश्तों को भी बहुत दमदार बनाया है।
एक दिन पहले कमांडर जनरल क्याओमिंग ने इस्लामाबाद में प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ से अलग से भेंट की थी। बताया गया कि दोनों देशों की दोस्ती के साथ ही दूसरे कई विषयों पर विचार किया गया। शाहबाज शरीफ ने चीनी कमांडर को खुश करने के लिए बोला कि पाकिस्तान तथा चीन तो हर हाल में रणनीतिक सहयोगी रहे हैं। चीन पाकिस्तान का एक विश्वसनीय मित्र है। वगैरह, वगैरह।
जनरल ली ने भी पाकिस्तान को रणनीतिक साझेदार, भरोसेमंद दोस्त तथा लौह बंधु बताते हुए कंगाल देश की फर्जी तारीफ की। फौजी जनरल ने कहा कि उनका देश पाकिस्तान से अपने रिश्ते को सबसे आगे रखता है।
इस भेंट के बारे में जो बातें आधिकारिक तौर पर नहीं बताई गईं वे संभवत: इस प्रकार रही होंगी। चीनी फौजी जनरल ने शाहबाज शरीफ को राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तरफ से कहा होगा कि पीओजेके में चीनी कामगारों की सुरक्षा में किए जा रहे प्रयास काफी नहीं हैं। इन्हें और गंभीरता से किया जाए। शरीफ ने चीनी कमांडर को आतंकवाद के विरुद्ध चलाए जा रहे पाकिस्तानी सैन्य अभियान की जानकारी देकर शाबाशी बटोरने की कोशिश की होगी।
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