पेरिस ओलंपिक में छह पदक जीतने के बाद भारत के खेल प्रेमियों की निगाहें अब पेरिस पैरालंपिक खेलों पर टिक गई हैं, जो 28 अगस्त से 8 सितम्बर तक चलेंगे। पेरिस में आयोजित हो रहे पैरालंपिक में 22 अलग-अलग प्रतियोगिताओं में कुल 549 पदक स्पर्धाओं में दुनियाभर के 4 हजार से अधिक खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं। इनमें ब्लाइंड फुटबॉल, पैरा तीरंदाजी, पैरा एथलेटिक्स, पैरा साइकलिंग, पैरा पावर लिफ्टिंग, पैरा तैराकी शामिल हैं। भारत को पूरी उम्मीद हैं कि पेरिस पैरालंपिक में हमारे खिलाड़ी पांच स्वर्ण पदकों सहित कम से कम एक दर्जन पदक जीतने में अवश्य सफल होंगे।
इन उम्मीदों के हकीकत में बदलने की इसलिए भी प्रबल संभावनाएं हैं क्योंकि 2021 में हुए टोक्यो पैरालंपिक-2020 में भारत के कुल 54 खिलाड़ियों ने केवल 9 खेलो में ही हिस्सा लिया था और खेलों के उस महाकुंभ में 5 स्वर्ण, 8 रजत और 6 कांस्य सहित कुल 19 पदक जीतने में सफल हुए थे। यह भारत का पैरालंपिक में अभी तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। पिछली बार के 54 खिलाड़ियों के मुकाबले इस बार तो भारत के 84 पैरा खिलाड़ी कुल 12 खेलों में हिस्सा ले रहे हैं, जो किसी भी पैरालंपिक में भारत का अब तक का सबसे बड़ा दल है।
भारतीय पैरालंपिक समिति के अध्यक्ष देवेन्द्र झाझरिया तो पेरिस पैरालंपिक खेलों में कम से कम 25 पदक मिलने की भविष्यवाणी कर चुके हैं। यदि भारत वाकई इतने पदक जीतने में सफल हो जाता है तो यह न केवल भारत के लिए एक नया इतिहास बनेगा बल्कि भारत में इससे अन्य खिलाड़ियों का हौसला भी कई गुना बढ़ेगा। पेरिस पैरालंपिक में भारत जिन तीन नई स्पर्धाओं में हिस्सा ले रहा है, उनमें पैरा साइकलिंग, पैरा रोइंग और ब्लाइंड जूडो शामिल हैं।
भारतीय पैरा एथलीटों के ज्यादा से ज्यादा पदक जीतने की संभावनाएं इसलिए भी बलवती हो रही हैं क्योंकि भारतीय दल में कई ऐसे खिलाड़ी शामिल हैं, जो पिछले पैरालंपिक में पदक जीतकर भारत को गौरवान्वित कर चुके हैं। यही नहीं, जापान के कोबे में मई 2024 में हुई विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी भारतीय पैरा एथलीट बेहतरीन प्रदर्शन कर इस उम्मीद को बढ़ा चुके हैं। पिछले दिनों सम्पन्न हुए पेरिस ओलंपिक में जहां भारत 71वें पायदान पर पहुंच गया था, वहीं विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 6 स्वर्ण, 5 रजत और 6 कांस्य पदक जीतकर पदक तालिका में छठे स्थान पर रहा था।
चैंपियनशिप में विभिन्न स्पर्धाओं में सुमित अंतिल, दीप्ति जीवनजी, सचिन, एकता भयान, सिमरन शर्मा और मरियप्पन थंगावेलु स्वर्ण पदक जीतकर रिकॉर्ड बनाने में सफल हुए। इस बार के पैरालंपिक में सबसे ज्यादा उम्मीदें भाला फेंक खिलाड़ी सुमित अंतिल और निशानेबाज अवनि लेखरा पर टिकी हैं। दोनों ने ही पिछले पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीते थे और ये दोनों टोक्यो पैरालंपिक में भी स्वर्ण पदक जीतकर देश को गौरवान्वित करने का हरसंभव प्रयास करेंगे। टोक्यो पैरालंपिक में 68.55 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ स्वर्ण जीतने वाले सुमित अंतिल दो बार के विश्व चैंपियन होने के अलावा विश्व रिकॉर्ड भी बना चुके हैं। वहीं, विश्व रिकॉर्ड की बराबरी करने वाली पैरा शूटर अवनि लेखरा टोक्यो पैरालंपिक में 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग इवेंट में गोल्ड मेडल जीतकर पैरालंपिक में स्वर्ण जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी थी।
पेरिस पैरालंपिक में उन सभी भारतीय खिलाड़ियों को पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा है, जिन्होंने टोक्यो पैरालंपिक खेलों में पदक जीता था या पिछले कुछ समय में अन्य पैरालंपिक प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन किया है। सुमित और अवनि के अलावा पैरालंपिक में पदक जीतने की सबसे प्रबल दावेदारों में से एक तीरंदाज शीतल देवी भी हैं। उनके अलावा पिछले पैरालंपिक में बैडमिंटन के पुरुषों के सिंगल मुकाबले में स्वर्ण जीतने वाले कृष्णा नागर, महिलाओं की शॉट पुट में एशियन पैरा खेलों और मई महीने में ही पैरा एथलेटिक्स विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीत चुकी भाग्यश्री जाधव, दुनियाभर में रैंकिंग में पहले पायदान पर मौजूद और पिछले पैरालंपिक में बैडमिंटन में रजत जीतने वाले सुहास यतिराज से भी पदक जीतने की बहुत उम्मीदें हैं।
2020 के टोक्यो पैरालंपिक से पहले भारत का प्रदर्शन पैरालंपिक खेलों में बहुत सराहनीय कभी नहीं रहा। टोक्यो पैरालंपिक में भी भारत पदक तालिका में 24वें स्थान पर रहा था। इस बार भारतीय खिलाड़ियों से टोक्यो पैरालंपिक के प्रदर्शन को दोहराने या उससे भी बेहतर प्रदर्शन की संभावनाएं जताई जा रही हैं। टोक्यो पैरालंपिक में चीन 96 स्वर्ण पदक सहित कुल 207 पदक जीतकर पहले पायदान पर रहा था जबकि दूसरे स्थान पर 41 स्वर्ण, 38 रजत और 45 कांस्य सहित कुल 124 पदकों के साथ ब्रिटेन था।
2020 पैरालंपिक से पहले भारत को पैरालंपिक खेलों में केवल 12 पदक ही मिल सके थे। अभी तक भारत इन खेलों में कुल 31 पदक जीत सका है, जिनमें 19 पदक पिछले पैरालंपिक में ही जीते थे। भारत ने अभी तक कुल 12 पैरालंपिक खेलों में हिस्सा लिया है और उनमें से टोक्यो सहित केवल 6 में ही पदक जीते हैं। पैरालंपिक खेलों में भारत ने पहला पदक 1972 के हाईडेलबर्ग खेलों में जीता था। तब पुरुषों के 50 मीटर फ्रीस्टाइल में मुरलीकांत पेटकर ने स्वर्ण पदक जीतकर वह उपलब्धि हासिल की थी। 1984 में स्टोक मैनडेविल (न्यूयॉर्क) के पैरालंपिक में 2 रजत और 2 कांस्य, 2004 के एथेंस पैरालंपिक में 1 स्वर्ण और 1 कांस्य, 2012 के लंदन पैरालंपिक में 1 रजत और 2016 के रियो पैरालंपिक में 2 स्वर्ण, 1 रजत और 1 कांस्य जीता।
1984 के न्यूयॉर्क पैरालंपिक में जोगिंदर सिंह बेदी ने तो तीन खेल स्पर्धाओं (भाला फैंक, चक्का फैंक और गोला फैंक) में 1 रजत और 2 कांस्य सहित एक ही पैरालंपिक में कुल तीन पदक जीतकर इतिहास रच दिया था। वह पैरालंपिक खेलों में अब तक के सर्वाधिक पदक जीतने वाले भारतीय खिलाड़ी हैं। वहीं, 2016 के पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले देवेंद्र झाझरिया को भारत के सबसे सफल पैरालंपिक खिलाड़ी होने का गौरव हासिल है, जिन्होंने 2004 के एथेंस पैरालंपिक खेलों में भी स्वर्ण पदक जीता था। बहरहाल, भारतीय पैरा एथलीट पिछले कुछ समय से विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय पैरा स्पर्धाओं में जिस प्रकार का बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं, ऐसे में पूरी संभावना है कि हमारे खिलाड़ी पैरा खेलों के इस महाकुंभ में नया इतिहास रचने में सफल होंगे। 2023 में हांग्जो एशियाई पैरा खेलों में भारत 29 स्वर्ण, 31 रजत और 51 कांस्य पदकों के साथ कुल 111 पदक जीतने में सफल हुआ था।
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