तालिबान ने अपने तीन वर्ष पूरे होने से पहले ही हालांकि महिला विरोधी रूप दिखाना आरंभ कर दिया था। मगर अब उससे भी एक कदम आगे बढ़कर यह कानून लागू कर दिया है कि औरतें अब सार्वजनिक स्थानों पर न ही अपनी आवाज सुनाएं और न ही अपनी शक्ल दिखाएं। बताया जा रहा है कि इस कानून को नैतिकता को बढ़ावा देने के लिए लागू किया गया है। इस कानून को बुधवार को तब लागू किया गया, जब इसे सर्वोच्च नेता अखूनदजद ने मंजूरी दे दी।
गौरतलब है कि वर्ष 2021 में सत्ता संभालने के बाद तालिबान ने “अच्छाइयों के प्रचार और गुनाहों से बचाव” के लिए अलग मिनिस्ट्री का गठन किया था। और इस मिनिस्ट्री ने बुधवार को अपने अच्छाइयों और गुनाहों के कानून के तले यह कानून लागू किया। 35 आर्टिकल डॉक्यूमेंट कट्टर शरिया कानून के कड़े क्रियान्वयन के अंतर्गत पहला घोषित फतवा है। यह सभी व्यक्तिगत आजादी और मजहबी प्रथाओं को प्रतिबंधित करता है और साथ ही जीवन के हर पहलू को प्रभावित करता है, फिर चाहे वह परिवहन हो, संगीत हो, दाढ़ी बनाना हो और सार्वजनिक स्थलों पर महिलाओं का व्यवहार और उनका प्रदर्शन हो।
महिलाओं को लेकर पहले ही अफगानिस्तान में औरतों के जीवन में अंधेरा छाया है और उनका सार्वजनिक जीवन लगभग समाप्त है। वे घरों में ही कैद हैं। कक्षा पाँच के बाद उनकी पढ़ाई भी नहीं है और उन्हें बिना घर के पुरुष सदस्यों के अलावा किसी के साथ जाने की मंजूरी नहीं है। और अब यह फतवा आया है कि एक औरत की आवाज बहुत निजी होती है और किसी को भी सार्वजनिक स्थानों पर गाने, कविता करने या जोर से पढ़ने की आवाज नहीं सुनाई देनी चाहिए। औरतों को उन आदमियों की तरफ देखने की भी इजाजत नहीं है, जिनके साथ उनका खून का रिश्ता नहीं है या फिर शादी नहीं है।
इस कानून के अनुसार औरतों को अपने सिर से लेकर पैर तक पूरा ढकना है, जिससे कि और लोगों के दिल में कोई भी जज़्बात पैदा न हो पाएं। यह बहुत हैरानी की बात है कि जब तालिबान ने सत्ता हासिल की थी, तब भारत में कई कम्युनिस्ट और इस्लामिस्ट फेमिनिस्ट औरतें इसलिए तालिबान शासकों के समर्थन में आई थीं क्योंकि उन्हें ऐसा लग रहा था कि जैसे तालिबान अब उन्हें दुष्ट और क्रूर चंगुल से निकाल लेंगे।
मगर समय के साथ तालिबान के शासन में वहाँ की औरतों के लिए जहन्नुम बढ़ता गया। उनसे धीरे-धीरे सारे अधिकार छीन लिए गए। उनकी पढ़ाई छीन ली गई, उनसे बाहर निकलने के अधिकार छीन लिए गए, उनसे मनचाहे वस्त्र पहनने के अधिकार छीन लिए गए, उनके ब्यूटी पार्लर बंद करा दिए गए, उन्हें घरों में कैद कर दिया गया और अब उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर न ही बोलने दिया जा रहा है और न ही अपना चेहरा दिखाने दिया जा रहा है।
अफगानिस्तान की इस अच्छाई मिनिस्ट्री के कई कानून हैं जो लोगों की हर आजादी को छीन लेते हैं, जैसे इसके अनुसार सार्वजनिक स्थानों पर गाने बजाना प्रतिबंधित है, कोई भी औरत तब तक सफर नहीं कर सकती जब तक उसके साथ कोई आदमी न हो, और ऐसे कोई भी आदमी और औरत बात नहीं करेंगे, जो आपस में अपीरचित हैं। इसके साथ ही मुसाफिर और चालक दोनों को इबादत के समय का पालन करना है। और आदमियों के लिए दाढ़ी रखनी भी आवश्यक है। अभी हाल ही में तालिबान ने अपने सुरक्षा दस्ते में से कई आदमियों को इसलिए नौकरी से निकाल दिया क्योंकि वे दाढ़ी नहीं बढ़ा रहे थे। अच्छाई मंत्रालय में योजना और कानून के डायरेक्टर मोहिबुल्ला मोखिलस ने कहा था कि 281 ऐसे अधिकारिऑन को पहचाना गया और फिर नौकरी से निकाल दिया गया जिन्होनें दाढ़ी कटवाई थी।
ऐसा पिछले बारह महीनों के दौरान किया गया है। इसके साथ ही उन्होनें यह भी कहा कि 450 मिलिट्री मुजाहिदीनों के बालों के स्टाइल को भी शरिया कानून के हिसाब से किया गया है। और जिन्होनें बालों के स्टाइल के कानून का पालन नहीं किया, उन्हें शरिया अदालतों मे भेजा गया।
अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार में आदमियों के लिए दाढ़ी रखना इसलिए जरूरी है क्योंकि उनके अनुसार यह दाढ़ी ही है जो आदमियों को औरतों से अलग करती है।
टेलीग्राफ से बात करते हुए तालिबान के पूर्व सुरक्षा दलों ने कहा कि उन्हें दाढ़ी बनाने पर काम से निकाल दिया गया या फिर इस कारण काम से हटा दिया गया, क्योंकि दाढ़ी नियमों के अनुसार नहीं थी। ऐसा भी कहा जा रहा है कि कई लोग जो काम के सिलसिले में अनुभवी थे, मगर उन्हें इस कारण काम से निकाल दिया है क्योंकि उनके दाढ़ी नहीं थी।
टेलीग्राफ के ही अनुसार वाद्ययंत्रों को खोज-खोजकर तोड़ा जा रहा है। हेरात में एक पूर्व गिटार शिक्षक जलिल अहमद ने बताया कि कैसे उनके घर में घुसकर उन्हें पीटा और उनके कई संगीत उपकरण तोड़ डाले। ये सभी इस्लामी कानूनों के नाम पर हो रहा है और इनका उल्लंघन करने वालों को सजा भी दी जाएगी।
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