गत दिनों कोटा में स्वामी विवेकानंद उच्च माध्यमिक विद्यालय में चल रहे संस्कृत सप्ताह का समापन हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि राधेश्याम शर्मा (क्षेत्रीय मंत्री, जयदेव पाठक न्यास) ने छात्रों को बताया कि जब दुनिया में लोगों को खाना, पहनना तक नहीं आता था, उस समय हमारे देश के आम लोग संस्कृत में गीत गाया करते थे। भारत ने ही दुनिया को बताया कि मक्का, ज्वार, बाजरा, चावल खाने वाले अन्न हैं, कपास से कपड़े बनाए जाते हैं। भारत ने ही शून्य का ज्ञान, दशमलव का ज्ञान, अक्षरों का ज्ञान दिया।
सर्वप्रथम तीन अक्षर बोले गए अ, ऊ, म, जो शिव के डमरू से निकले, जिससे ब्रह्मनाद की उत्पत्ति हुई। उन्होंने छात्रों से कहा कि पढ़ते समय जब भी सुस्ती आने लगे, कभी जीवन में कमजोर विचार आए तो ब्रह्मनाद का तीन बार उच्चारण करें, तो स्वयं को एकदम स्वस्थ, प्रसन्न पाएंगे।
विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. महेश शर्मा ने बताया कि 1 अगस्त को प्रारंभ संस्कृत भारती, चित्तौड़ प्रांत के पत्राचार प्रमुख ललित नामा द्वारा संस्कृत सप्ताह का किया गया था। शिविर में छात्रों को संस्कृत श्लोकों, संस्कृत वाचन, संस्कृत गीत, शब्द रूप, धातु रूप आदि की जानकारी दी गई।
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