छत्तीसगढ़ में लगातार सुरक्षा बलों के शिकंजा कसने से नक्सली बौखला गए हैं। इससे अब अपने अस्तित्व को बचाने के लिए नक्सली टार्गेट किलिंग पर उतर आए हैं। इसीलिए जनवरी से अब तक नक्सलियों ने अब तक 16 ग्रामीणों की मुखबिरी के शक में हत्या कर दी है। माओवादियों की बौखलाहट को इस बात से समझा जा सकता है कि उन्होंने छात्र तक को नहीं छोड़ा।
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नक्सली अब तक दो साथी नक्सलियों की भी जन अदालत में मृत्युदंड की सजा दे दी है। उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2023 में प्रदेश में कांग्रेस को हराकर भाजपा जब से सत्ता में आई है, तभी से प्रदेश में नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षाबल लगातार कार्रवाई कर रहे हैं। इसी के तहत बीते 7 माह के अंदर 146 नक्सलियों को ढेर कर दिया गया है। इन सात महीनों में कई नक्सली नेताओं के साथ ही कई अन्य नक्सली सदस्यों को सुरक्षा बलों ने ढेर कर दिया है।
सुरक्षा बलों की आक्रामक कार्रवाई का असर ये हुआ है कि माओवादियों के संगठन में भारी उथल-पुथल मच गई है, जिससे बौखलाए नक्सली अपने अस्तित्व को बचाने के लिए अब लोगों को चुन-चुन उनकी हत्याएं कर रहे हैं।
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नक्सलतंत्र से टूटा जनता का भरोसा
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में सरकार के द्वारा किए जा रहे कार्यों से नक्सली बौखलाए हुए हैं। इसको लेकर बस्तर जिले के इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस सुंदरराज पी ने कहा कि नये स्थापित सुरक्षा कैंप, सामुदायिक पुलिसिंग कार्यक्रम व अंदरुनी क्षेत्र में सड़क, बिजली, पानी की सुविधा पहुंचाए जाने से जनता का भरोसा नक्सलतंत्र से टूटा है। नये कैंपों से चलाए गए अभियान में पुलिस को अपेक्षित सफलता मिली है। यही कारण है कि कमजोर पड़ चुके नक्सली अब क्षेत्र में डर का दोबारा से वातावरण बनाए रखने निर्दोष ग्रामीणों को लक्षित कर हत्याएं कर रहे हैं।
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