बिहार में एक दलित बच्ची के साथ बलात्कार और उसके बाद उसकी हत्या से पूरा देश सन्न रह गया था। परंतु चूंकि इसमें दलित बच्ची के साथ बलात्कार करने वाला किसी ऐसे वर्ग से नहीं था कि राजनीति करने वालों को हंगामे का लाभ होता तो उस मामले पर अधिक ध्यान नहीं दिया गया और उसे जहां तक हो सका, दबाने का प्रयास भी किया गया।
कई दलित एक्टिविस्ट इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर मुखर रहे और उन्होनें लोगों की चुप्पी पर प्रश्न उठाए। एक चौदह वर्ष की किशोरी के साथ बलात्कार और हत्या हुई थी। इस हत्या में आरोपी संजय यादव था। संजय यादव की उम्र 41 वर्ष है और मृतक बच्ची की माँ के अनुसार संजय यादव की पत्नी मार चुकी है और वह 14 वर्षीय बच्ची के साथ जबरन शादी करने के लिए बच्ची के अभिभावकों पर दबाव डाल रहा था। मृत बच्ची की माँ के अनुसार “विवार (11 अगस्त) रात को पति और बेटा घर के बाहर सो रहे थे. घर के अंदर मैं और मेरी छोटी बेटी सो रहे थे. देर रात संजय अपने कुछ साथियों के साथ आया और जबरन मेरी बेटी को उठाकर ले गया. अगले दिन सुबह उसकी लाश पोखर के पास मिली”
इस बच्ची के साथ हुई दरिंदगी देखकर लोग आक्रोशित थे, परंतु एक वर्ग ऐसा भी है, जो एक चौदह वर्ष हे बच्ची के साथ हुई हैवानियत को इस कारण कम करके दिखाना चाहता है कि उस बच्ची का 41 वर्षीय आदमी के साथ प्रेम-प्रसंग था? अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर वह क्या मानसिकता है जो एक बच्ची के साथ बलात्कार को भी बलात्कार नहीं मानती है? आखिर वह कौन लोग हैं, जो यह तक कहने से नहीं चूकते हैं कि बारह या चौदह वर्ष की बच्ची का प्रेम प्रसंग था?
बिहार वाली घटना को लेकर एक यूजर क्रांति कुमार ने एक्स पर पोस्ट लिखा कि बिहार के मुजफ्फरपुर में 14 वर्षीय दलित लड़की की हत्या के मामले में बलात्कार की बात झूठ निकली। मामला लव सेक्स और कास्ट का है!”
इस पर एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने लिखा कि
“नाबालिग लड़की की कोई सेक्स के लिए सहमति नहीं होती है। 14 वर्षीय बच्ची का कोई लव अफेयर नहीं होता। उसको यौन शोषण के लिए ग्रूम किया जाता है, ये ट्रैफ़िकिंग है। बच्चों के बलात्कार को जस्टफाइ करना विकृत मानसिकता है!”
नाबालिग लड़की की कोई सेक्स के लिए कोई सहमति नहीं होती,14 वर्षीय बच्ची का कोई लव अफ़ैयर नहीं होता।
उसको यौन शोषण के लिए ग्रूम किया जाता है ये ट्रैफ़िकिंग है।
बच्चों के बलात्कार को जस्टिफ़ाई करना विकृत मानसिकता है। https://t.co/G3wgulz6FT— प्रियंक कानूनगो Priyank Kanoongo (@KanoongoPriyank) August 21, 2024
मगर ऐसा होता क्यों है कि बच्चियों के साथ बलात्कार को जस्टफाइ किया जाए? ऐसा नहीं है कि यह पहली बार हुआ है? ऐसा कई मामलों में देखा गया है और हाल ही में सपा नेता मोईद खान पर जब एक बच्ची के बलात्कार का आरोप लगा तो भी मोईद खान के परिजनों ने यही कहा था कि बारह वर्षीय बच्ची का “अफेयर” मोईद खान के नौकर राजू के साथ था।
ऐसा एक घटना में नहीं हुआ है, ऐसा कई घटनाओं में हुआ है। और सबसे खतरनाक तो यह है कि ऐसा कार्य कई बार महिलाएं करती हुई पाई गई हैं जैसा अयोध्या वाले कांड में हमने देखा तो कई बार ऐसे लोग जो कथित सामाजिक न्याय की बात करते हैं।
ऐसे में वह बहस भी याद आती है, जो कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर भी छिड़ी थी और न्यायालय में भी याचिका डाली गई थी कि आपसी सहमति से बनने वाले संबंधों की उम्र 18 वर्ष से कम कर दी जाए। इस याचिका का भी एनसीपीसीआर ने विरोध किया था और तब भी प्रियंक कानूनगो ने यह कहा था कि प्रलोभन को “सहमति” मानकर इसे “रोमांटिक रिश्ता” कहकर पॉकसो को निष्प्रभावी बनाने का अभियान चल रहा है।
उस समय प्रियंक कानूनगो ने इसे “अपराधियों का तुष्टीकरण” कहा था। और उन्होनें यह भी हैरानी जताई थी कि इस अभियान में वे लोग भी शामिल हैं, जो #metoo अभियान में पीड़ितों के समर्थन में हैं और मानते हैं कि वयस्कों से भी प्रलोभन और दबाव में सहमति ली जा सकती है।
जिसे कथित रूप से प्यार और अफेयर बताया जाता है, वह दरअसल ग्रूमिंग होती है। बच्ची को यौन व्यवहार के प्रति ग्रूम किया जाता है, उसे मानसिक रूप से प्रलोभित करके तैयार किया जाता है, जो कानूनन अपराध है और साथ ही बचपन के प्रति भी अपराध है। इस प्रलोभन को कैसे कोई प्यार की संज्ञा दे सकता है यह भी अपने आप में बहुत बड़ा प्रश्न है।
यह वही ग्रूमिंग है, जिसका शिकार सुदूर ब्रिटेन में लड़कियां हो रही हैं और इन बच्चियों के अपराधियों को अब सजा भी मिल रही है। लोग समझ रहे हैं। मगर यह समझ से परे है और हैरतअंगेज है कि भारत में कथित न्याय के नाम पर लड़कियों के साथ बलात्कार तक को जस्टफाइ कर दिया जाता है। जिस उम्र में लड़कियां कुछ सोचने समझने के योग्य भी नहीं होती हैं, जिस उम्र में उन्हें प्यार और देह का अर्थ भी नहीं पता होता, उस उम्र में उन्हें प्रलोभित करके, बहला फुसला कर संबंध बनाने को प्यार कह दिया जाता है?
जब आपसी सहमति से यौन संबंधों की उम्र कम करने की बहस चल रही थी तो भारत सरकार के विधि आयोग ने भी यह कहा था कि सहमति से यौन संबंधों की उम्र कम करने के खिलाफ है। यूं तो लड़की को किसी भी उम्र में बहलाया और फुसलाया या झांसा दिया जा सकता है, परंतु 18 वर्ष के उपरांत जब लड़की बालिग हो जाती है, तब यह अपेक्षा की जाती है कि लड़की का अपना सही और गलत का चयन करने का विवेक जागृत हो जाता है।
परंतु बारह या चौदह वर्ष की बच्चियों के प्रति यह सोच अत्यंत घातक है कि वे प्यार करती हैं। यह इसलिए भी घातक है क्योंकि उन्हें यह पता ही नहीं होता है कि प्यार क्या होता है, देह क्या होती है और क्या उसके शरीर को नुकसान होते हैं।
प्रश्न यही है कि आखिर इन बच्चियों के प्रति कोई इतना क्रूर और असंवेदनशील कैसे हो सकता है कि वह यह कह भी सके कि एक चौदह वर्षीय किसी के साथ प्रेम में थी? या बारह वर्षीय बच्ची प्रेम में थी?
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