श्रीकृष्ण बंधन भी हैं और मुक्ति भी, प्रेम और मित्रता के अनुपम प्रतीक हैं कृष्ण
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

श्रीकृष्ण बंधन भी हैं और मुक्ति भी, प्रेम और मित्रता के अनुपम प्रतीक हैं कृष्ण

इस वर्ष जन्माष्टमी का त्योहार 26 अगस्त को मनाया जा रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार जन्माष्टमी पर इस साल द्वापरकाल जैसे 4 विशेष संयोग बन रहे हैं, जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय में भी थे।

by योगेश कुमार गोयल
Aug 21, 2024, 03:16 pm IST
in भारत
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

भाद्रपक्ष कृष्ण अष्टमी को सम्पूर्ण भारतवर्ष में भारतीय जनमानस के नायक योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है जन्माष्टमी का त्यौहार। श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार इसी अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र एवं वृष राशि की मध्य रात्रि में मथुरा के कारागार में वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से शोडष कलावतार भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। इस वर्ष भगवान श्रीकृष्ण की 5251वीं जन्माष्टमी मनाई जा रही है। इस वर्ष जन्माष्टमी का त्योहार 26 अगस्त को मनाया जा रहा है और ज्योतिषाचार्यों के अनुसार जन्माष्टमी पर इस साल द्वापरकाल जैसे 4 विशेष संयोग बन रहे हैं, जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय में भी थे। भक्तों के लिए ये संयोग अत्यधिक महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं क्योंकि इनका धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व बहुत अधिक है। इन चार विशिष्ट संयोगों में पहला संयोग है रोहिणी नक्षत्र का संयोग। रोहिणी नक्षत्र का स्वामी चंद्रमा है और चंद्रमा का संबंध मन और मनोभावों से होता है। रोहिणी नक्षत्र में जन्मे व्यक्तियों में तेज बुद्धि, आकर्षक व्यक्तित्व और उच्च मानसिक क्षमता होती है। दूसरा संयोग है अष्टमी तिथि का संयोग। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। इस बार जन्माष्टमी के दिन भी अष्टमी तिथि का संयोग बन रहा है, जो इस पर्व को और भी पवित्र बनाता है। तीसरा है वृषभ राशि का संयोग। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म वृषभ राशि में हुआ था और इस बार भी चंद्रमा वृषभ राशि में ही रहेगा। वृषभ राशि का स्वामी शुक्र है, जो प्रेम, सौंदर्य और भौतिक सुखों का कारक माना जाता है। चौथा संयोग है वसुदेव योग का संयोग। जन्माष्टमी पर इस बार वसुदेव योग का संयोग बन रहा है। वसुदेव योग को अत्यधिक शुभ माना जाता है क्योंकि यह योग भगवान श्रीकृष्ण के जन्म समय पर भी था। यह योग जीवन में समृद्धि, खुशहाली और सुख शांति का कारक है।

हमारे वेद और पुराणों से पांच तरह के सम्प्रदायों वैष्णव, शैव, शाक्त, स्मार्त और वैदिक सम्प्रदाय की उत्पत्ति मानी जाती है। विष्णु को परमेश्वर मानने वाले वैष्णव, शिव को परमेश्वर मानने वाले शैव, देवी (दुर्गा) को परमशक्ति मानने वाले शाक्त, परमेश्वर के विभिन्न रूपों को एक समान मानने वाले स्मार्त और ब्रह्म को निराकार रूप जानकर उसे ही सर्वोपरि मानने वाले वैदिक माने जाते हैं। ये पांचों सम्प्रदाय वैदिक धर्म के अंतर्गत ही आते हैं, चूंकि सभी सम्प्रदायों का धर्मग्रंथ वेद ही है। हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार श्रुति स्मृति में विश्वास रखने वाले सभी आस्तिक, वेद-पुराणों के पाठक और पंच देवों ब्रह्मा, विष्णु, महेश, गणेश, उमा के उपासक ‘स्मार्त’ कहलाते हैं। वैष्णव सम्प्रदाय के लोग वे व्यक्ति हैं, जो किसी विशेष सम्प्रदाय के धर्माचार्य या गुरू से दीक्षा लेते हैं, उनसे कंठी या तुलसी माला गले में धारण करते हैं और तिलक आदि धारण कर तप्त मुद्रा से शंख-चक्र का निशान अंकित करवाते हैं। सरल शब्दों में कहें तो वैष्णव वे लोग हैं, जो गृहस्थ जीवन से दूर होते हैं।

जन्माष्टमी के दिन देशभर में मंदिरों को सजाया जाता है, लोग रात्रि के 12 बजे तक व्रत रखते हैं और रात्रि 12 बजे शंख और घंटों की ध्वनि के जरिये भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की खबर चारों दिशाओं में गूंज उठती है। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने बाल्याकाल में अनेकों लीलाएं की, जन्माष्टमी के अवसर पर ऐसी ही अनेक लीलाओं का मंचन किया जाता है। सही मायनों में श्रीकृष्ण हमारे इतिहास के अभिन्न अंग हैं, जिनका सम्पूर्ण व्यक्तित्व जितना मोहक था, उतना ही रहस्यमयी भी और उतनी ही अनोखी थी उनकी लीलाएं। बाल्यावस्था से लेकर जीवनपर्यन्त लीलाएं करते रहे श्रीकृष्ण में कभी भगवान के दर्शन होते हैं तो कभी वे एक साधारण मानव सरीखे प्रतीत होते हैं। दिलचस्प तथ्य यह है कि मानव के रूप में भी श्रीकृष्ण उतना ही आकर्षित करते हैं, जितना कि भगवान के रूप में। उनका एक-एक कार्य मन में गहरा स्थान बना जाता है।

उनके आदर्श, उनके जीवन की विद्वत्ता, वीरता, कूटनीति, योगी सदृश उज्जवल, निर्मल एवं प्रेरणादायक पक्ष, सब हमारे लिए अनुकरणीय हैं। श्रीकृष्ण को प्रेम एवं मित्रता के अनुपम प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है। बचपन के निर्धन मित्र सुदामा को उन्होंने अपने राज्य में जो मान-सम्मान दिया, वह मित्रता का अनुकरणीय उदाकरण बना। श्रीकृष्ण की लीलाओं को समझना जहां पहुंचे हुए ऋषि-मुनियों और बड़े-बड़े विद्वानों के बूते से भी बाहर था, वहीं अनपढ़, गंवार माने जाते रहे निरक्षर और भोले-भाले ग्वाले और गोपियां उनका सानिध्य पाते हुए उनकी दिव्यता का सुख पाते रहे।

उन्हें कन्हैया कहें या कृष्ण, पीताम्बर कहें या वासुदेव या फिर देवकीनंदन अथवा यशोदानंदन, वास्तव में श्रीकृष्ण का भारतीय संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। वे महाभारत काल के ऐसे आध्यात्मिक एवं राजनीतिक दृष्टा रहे, जिन्होंने धर्म, सत्य और न्याय की रक्षा के लिए दुर्जनों का संहार किया। वे शांति, प्रेम एवं करूणा के साकार रूप थे। महाभारत युद्ध के समय शांति के सभी प्रयास असफल होने पर उन्होंने संशयग्रस्त धनुर्धारी अर्जुन को ज्ञान का उपदेश देकर कर्त्तव्य मार्ग पर अग्रसर किया और अन्याय की सत्ता को उखाड़ने के लिए अपने ही कौरव भाईयों के साथ युद्ध करते हुए उन्हें अपने कर्मों का पालन करने के लिए गीता का उपदेश दिया। युद्ध के समय वे हर पल धर्म की रक्षा करने के लिए अधर्म करने वालों के खिलाफ खड़े नजर आए, इसीलिए उन्हें अधर्म पर धर्म की विजय के प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है। गीता में उपदेश देते हुए श्रीकृष्ण ने कहा थाः-

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानम धर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम।।

अर्थात् हे भारत! जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब ही मैं अपने रूप को रचता हूं अर्थात् साकार रूप से लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूं।

बाल्याकाल से लेकर बड़े होने तक श्रीकृष्ण की अनेक लीलाएं विख्यात हैं। श्रीकृष्ण ने अपने बड़े भाई बलराम का घमंड तोड़ने के लिए हनुमान जी का आव्हान किया था, जिसके बाद हनुमान ने बलराम की वाटिका में जाकर बलराम से युद्ध किया और उनका घमंड चूर-चूर कर दिया था। श्रीकृष्ण ने नररकासुर नामक असुर के बंदीगृह से 16100 बंदी महिलाओं को मुक्त कराया था, जिन्हें समाज द्वारा बहिष्कृत कर दिए जाने पर उन महिलाओं ने श्रीकृष्ण से अपनी रक्षा की गुहार लगाई और तब श्रीकृष्ण ने उन सभी महिलाओं को अपनी रानी होने का दर्जा देकर उन्हें सम्मान दिया था। अपने एक उपदेश में योगेश्वर श्रीकृष्ण ने कहा था:-

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।।

अर्थात् साधु पुरुषों का उद्धार करने के लिए, पाप कर्म करने वालों का विनाश करने के लिए और धर्म की अच्छी तरह से स्थापना करने के लिए मैं युग-युग में प्रकट हुआ करता हूं।

श्रीकृष्ण का स्वरूप कितना दिव्य था, इसकी अनुभूति इसी से हो जाती है कि एक ओर जहां अपने स्तनों पर विष लेप कर मां का रूप धारण कर दूध पिलाने आई राक्षसी पूतना का दूध पीकर श्रीकृष्ण उसे मां का सम्मान देते हैं तो दूसरी ओर उसकी दुष्टता के लिए उसका वध भी करते हैं। श्रीकृष्ण ने लंबे समय तक द्वारका पर शासन किया, इसीलिए उन्हें द्वारकाधीश नाम से भी जाना जाता है। 36 वर्षों तक द्वारका पर शासन करने के बाद वे परम धाम को प्राप्त हुए थे। पाप-पुण्य, नैतिक-अनैतिक, सत्य-असत्य से परे पूर्ण पुरूष की अवधारणा को साकार करते श्रीकृष्ण भारतीय परम्परा के ऐसे प्रतीक हैं, जो जीवन का प्रतिबिम्ब हैं और सम्पूर्ण जीवन का चित्र प्रस्तुत करते हैं। उनका चित्र जनमानस के हृदय पटल पर एक कुशल नेतृत्वकर्ता, योद्धा, गृहस्थी, सारथी, योगीराज, देवता इत्यादि विविध रूपों में अंकित है। श्रीकृष्ण बंधन भी हैं और मुक्ति भी, एक ओर जहां वे अपने भक्तों को अपने आकर्षण में बांधते हैं तो उन्हीं भक्तों को मोह-माया के बंधन से मुक्त भी करते हैं।

Topics: जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है2024 में जन्माष्टमी कब हैkrishna janmashtamiShri Krishnaजन्माष्टमीजन्माष्टमी 2024
Share1TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Panchjanya Bhagwat Geeta Ab Shukla

क्यों चुने गए अर्जुन..? : पाञ्चजन्य के गुरुकुलम में एबी शुक्ल ने खोला गीता का रहस्य

Rajasthan Bhilwada Hanuman temple cow tail

राजस्थान: गाय की कटी पूंछ हनुमान मंदिर के बाहर रखकर माहौल बिगाड़ने की रची थी साजिश, मुस्लिम बबलू शाह गिरफ्तार

यूनुस के 'जन्माष्टमी कार्यक्रम' में बांग्लादेश पूजा उद्जापन परिषद के अध्यक्ष बशुदेब धर और रामकृष्ण मिशन के प्रमुख स्वामी पूर्णात्मानंद महाराज (बाएं)

Bangladesh: एक ओर हिन्दुओं को अब भी बनाया जा रहा निशाना, दूसरी ओर Yunus ने जन्माष्टमी पर बहाए ‘घड़ियाली आंसू’

महिलाओं का सम्मान करना सिखाते हैं श्रीकृष्ण

भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े क्षेत्र तीर्थ के रूप में विकसित किए जाएंगे। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बड़ी घोषणा की है।

मध्य प्रदेश में जहां-जहां भगवान श्रीकृष्ण के चरण पड़े, उन स्थानों को तीर्थ के रूप में किया जाएगा विकसित : मुख्यमंत्री

श्रीकृष्ण

दुष्ट-दलनकर्ता श्रीकृष्ण

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

‘आतंकी समूहों पर ठोस कार्रवाई करे इस्लामाबाद’ : अमेरिका

भारत के लिए ऑपरेशन सिंदूर की गति बनाए रखना आवश्यक

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ

भारत को लगातार उकसा रहा पाकिस्तान, आसिफ ख्वाजा ने फिर दी युद्ध की धमकी, भारत शांतिपूर्वक दे रहा जवाब

‘फर्जी है राजौरी में फिदायीन हमले की खबर’ : भारत ने बेनकाब किया पाकिस्तानी प्रोपगेंडा, जानिए क्या है पूरा सच..?

S jaishankar

उकसावे पर दिया जाएगा ‘कड़ा जबाव’ : विश्व नेताओं से विदेश मंत्री की बातचीत जारी, कहा- आतंकवाद पर समझौता नहीं

पाकिस्तान को भारत का मुंहतोड़ जवाब : हवा में ही मार गिराए लड़ाकू विमान, AWACS को भी किया ढेर

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक दागी मिसाइलें, नागरिक क्षेत्रों पर भी किया हमला, भारत ने किया नाकाम

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तिलमिलाए पाकिस्तानी कलाकार : शब्दों से बहा रहे आतंकियों के लिए आंसू, हानिया-माहिरा-फवाद हुए बेनकाब

राफेल पर मजाक उड़ाना पड़ा भारी : सेना का मजाक उड़ाने पर कांग्रेस नेता अजय राय FIR

घुसपैठ और कन्वर्जन के विरोध में लोगों के साथ सड़क पर उतरे चंपई सोरेन

घर वापसी का जोर, चर्च कमजोर

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies