इस पत्र के माध्यम से अनिवासी भारतीयों ने भारत के प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि रूस—यूक्रेन युद्ध का उचित समाधान निकाला जाए और यह आपके नेतृत्व में ही संभव है। 21 और 22 अगस्त के अपने पोलैंड के राजकीय दौरे के बाद मोदी एक दिन के लिए 23 अगस्त को यूक्रेन में होंगे। वहां वे राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात करने वाले हैं।
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कद आज अंतरराष्ट्रीय राजनीति में किस ऊंचाई पर है, यह एक बार फिर स्पष्ट हुआ है। विश्व के विभिन्न हिस्सों में जारी उथलपुथल के बीच मोदी एक सुलझे और दूरदृष्टि रखने वाले नेता के रूप में पहचाने जा रहे हैं। इसकी ओर संकेत करती है यूक्रेन में बसे 200 भारतीय को मोदी को लिखी एक खुली चिट्ठी।
इस पत्र के माध्यम से उन भारतीयों ने भारत के प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि रूस—यूक्रेन युद्ध का उचित समाधान निकाला जाए और यह आपके नेतृत्व में ही संभव है। 21 और 22 अगस्त के अपने पोलैंड के राजकीय दौरे के बाद मोदी एक दिन के लिए 23 अगस्त को यूक्रेन में होंगे। वहां वे राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात करने वाले हैं।
यूक्रेन में लंबे समय से रह रहे भारतीय भी अन्य नागरिकों की तरह ढाई साल से चले आ रहे युद्ध से उकता चुके हैं और चाहते हैं कि इस समस्या का शीघ्र कोई सही समाधान निकले। अपी इसी इच्छा को वहां रह रहे 200 भारतीयों ने अपने हस्ताक्षर के साथ इस खुले पत्र में लिखा है। मोदी से अनुरोध किया है कि रूस के साथ जारी यूक्रेन के इस युद्ध की समस्या का हल निकालने के लिए वे दखल दें।
विश्व के प्रमुख नेता जानते हैं कि भारत में मोदी के नेतृत्व में मानवीय और लोकतांत्रिक मूल्यों का कितना बेहतर संरक्षण हो रहा है। भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने इस युद्ध के संदर्भ में पहले भी कहा है कि लड़ाई किसी समस्या का समाधान नहीं करती, अगर समस्या को सुलझाना है तो आमने सामने बातचीत करके ही इसका मार्ग निकाला जा सकता है। युद्ध से दोनों पक्षों और मानवीयता का ही नुकसान होता है।
जैसा पहले बताया, 23 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन में रहेंगे, इस दृष्टि से इस खुले पत्र का महत्व और बढ़ जाता है। यूक्रेन में बसे भारतीय समुदाय की ओर से प्रेषित इस पत्र को यूक्रेन को मुसीबत के दौर से उबारने में एक प्रयास के तौर पर माना जा सकता है।
यूक्रेनी भारतीयों की ओर से पत्र में लिखा गया है कि रूस यूक्रेन की सीमाओं पर चारों ओरे से हमले बोल रहा है। युद्ध में मिसाइलों और आसमान से हो रहे हमलों से सिर्फ सैन्य अड्डे ही नहीं तहस—नहस हो रहे हैं, इससे आम जनता तथा बच्चे भी अपने जान से जा रहे हैं। दूसरे विश्व युद्ध के बाद, इस लड़ाई की वजह से यूरोप में आंतरिक विस्थापन का अभी तक का सबसे गहन संकट पैदा किया है।
इस संदर्भ में भारत के विदेश मंत्रालय में सचिव तन्मय लाल कहते हैं कि भारत ने तो हमेशा से स्पष्ट शब्दों में यही कहा है कि इस विवाद को सुलझाने के लिए आपसी वार्ता तथा कूटनीति ही एकमात्र रास्ता है। युद्ध बातचीत के रास्ते ही खत्म किया जा सकता है। भारत का कहना है कि दोनों पक्षों को स्वीकार्य विकल्पों के रास्ते से ही स्थायी शांति अर्जित की जा सकती है।
यहां यह ध्यान रखना होगा कि भारत इस युद्ध से जुड़े सभी पक्षों के साथ संपर्क बनाए हुए है। प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले दिनों रूस तथा यूक्रेन के राष्ट्रपतियों से चर्चा भी की है। भारत की पूरी कोशिश है कि इस उलझनों से भरी समस्या का शांतिपूर्ण हल निकाला जाए जिसमें भारत का पूरा योगदान मिलने वाला है।
अपने उसी पत्र में अनिवासी भारतीयों ने वसुधैव कुटुंबकम के भारतीय दर्शन का जिक्र किया और कहा कि वे प्रधानमंत्री मोदी के यूक्रेन आने की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे हैं। भारत और यूक्रेन के बीच राजनयिक संबंध तीन दशक पुराने हैं, लेकिन मोदी से पहले किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री का यूक्रेन की राजधानी कीव जाना नहीं हुआ था। मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री होंगे जो कीव जाएंगे। यूक्रेन में बसे भारतवंशियों ने भावनाओं से भरे अपने पत्र में यह भी लिखा है कि वे सब चाहते हैं कि यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता बनी रहे।
जून 2024 में इटली में हुई जी-7 शिखर वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति जेलेंस्की से भेंट की थी। इसके बाद जुलाई माह में मोदी मॉस्को गए थे जहां उन्होंने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से विभिन्न विषयों पर गहन चर्चा की थी। अब 23 अगस्त को मोदी और जेलेंस्की की प्रस्तावित भेंट का क्या नतीजा निकलेगा, यह तो समय ही बताएगा।
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