बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। इसी क्रम में ढाका की एक अदालत ने वर्ष 2013 में राजधानी के मोतीझील में एक रैली के दौरान हिफाजत ए इस्लाम के लोगों की मौत के मामले शेख हसीना समेत 34 अन्य के खिलाफ नरसंहार के आरोप लगे हैं। इसी मामले में कोर्ट ने इन सभी के खिलाफ जांच का आदेश दिया है।
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रिपोर्ट के मुताबिक, ढाका की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट जकी अल फराबी एक याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। उसी दौरान मोती झील के प्रमुख को शिकायत की जांच का आदेश दिया है। बता दें कि ये याचिका बांग्लादेश पीपुल्स पार्टी और अध्यक्ष बाबुल सरदार चखारी ने दायर की थी। याचिकाकर्ताओं ने आवामी लीग और अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ-साथ सुरक्षा बल के अधिकारियों के खिलाफ भी जांच की मांग की है।
बता दें कि हिफाजत ए इस्लाम कट्टरपंथी संगठन का गठन 2010 में महिला विकास और शिक्षा नीतियों का विरोध किया गया था। दरअसल, वर्ष 2013 में गणजागरण मंच द्वारा 1971 के युद्ध अपराधियों के लिए मौत की सजा की मांग के बाद संगठन ‘नास्तिक ब्लॉगर्स’ को दंडित करने की अपनी मांगों के साथ सबसे आगे आया। इसी के बाद 5 मई 2013 को हिफाजत के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने राजधानी के 6 प्रवेश द्वारों बंद कर दिया और मोतीझील के शापला छत्तर पर कब्जा कर लिया।
कई दिनों तक पुलिस और हिफाजत ए इस्लाम के सदस्यों के बीच झड़प भी हुई। मोतीझील में पल्टन और आसपास के इलाकों में सैकड़ों अस्थायी दुकानों में तोड़फोड़ की और कई सरकारी और निजी प्रतिष्ठानों में भी नुकसान पहुंचाया। हालांकि, बाद में सुरक्षा बलों ने एक ऑपरेशन चलाकर सभी को वहां से खदेड़ दिया।
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इस मामले में आरोप है कि 5 मई 2013 की उस रात हसीना ने अन्य आरोपियों की मदद से सड़कों और बिजली लाइनों को ठप कर दिया और मदरसा छात्रों और पैदल चलने वालों की बेरहमी से हत्या कर दी थी। इसके बाद नगर निगम की गाड़ियों में मारे गए लोगों के शवों को भरकर अज्ञात स्थान पर छिपा दिया गया।
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