गत दिनों नागपुर में श्रद्धेय दत्ताजी डिंडोलकर जन्मशती वर्ष का समापन समारोह आयोजित हुआ। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि प्रतिकूल परिस्थितियों में संगठन के लिए कार्यकर्ताओं का निर्माण करने वाले दत्ताजी डिंडोलकर का संगठन कौशल अद्भुत था। उनसे एक बार जो मिलता था, वह उनका हो जाता था।
वास्तव में दत्ताजी सबको अपने लगते थे। उन्होंने कहा कि वाणी का सामर्थ्य व्यक्ति के जीवन की तपस्या से प्रकट होता है। मात्र लोकप्रियता और साधन संपन्नता से कार्य खड़ा नहीं होता। इसके लिए कठिन परिश्रम करना होता है। अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितियों में कार्यकर्ताओं की दिशा सही रहनी चाहिए। समाज की परिस्थिति बदली है, पर अपने कार्य की दिशा नहीं बदलनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि दत्ताजी डिंडोलकर अजातशत्रु तो थे ही, लेकिन शुद्ध आचरण के कारण वे सभी के लिए आदरणीय थे। जिस समय अपने विचारों का उपहास किया जाता था, उस समय उन्होंने अडिग रहकर विद्यार्थी परिषद का काम किया। जिनकी छत्रछाया में काम किया, उनके गुणों को भी उन्होंने अर्जित किया।
यह सुखधारा नहीं है, यह जानते हुए भी कठिनाइयों को पार कर सातत्यपूर्ण कार्य करते रहे। केंद्रीय मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कहा कि मेरा व्यक्तित्व गढ़ने में दत्ताजी का बड़ा योगदान रहा।
उन्होंने नागपुर विद्यापीठ में बनने वाले दीक्षांत सभागार तथा टेकड़ी गणेश मंदिर से नागपुर विद्यापीठ मार्ग पर बनने वाले पुल को दत्ताजी का नाम देने की घोषणा की। समारोह में दत्ताजी के जीवन पर आधारित ‘आधारवड’ नामक पुस्तिका एवं स्मारिका का विमोचन भी हुआ।
इस अवसर पर श्री देवनाथ मठ, श्री क्षेत्र अंजनगाव-सुर्जी के स्वामी जितेंद्रनाथ महाराज जी, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन मंत्री श्री आशीष चौहान, स्वागत समिति के सचिव एवं पूर्व राज्यसभा सांसद श्री अजय संचेती आदि उपस्थित थे।
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