मुख्य सलाहकार यूनुस जब हिंसा का नग्न नाच करने वाले मजहबी उन्मादियों के उपद्रव को ‘छात्र क्रांति’ कह रहे हों तो समझा जा सकता है कि वहां के देशभक्त हिन्दुओं को किस प्रकार का ‘न्याय’ मिलेगा। इन हिन्दू विरोधी दंगों को लेकर भारत, अमेरिका सहित अनेक देशों ने कड़ी टिप्पणियां की हैं।
अगले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र संघ विशेषज्ञों का एक दल बांग्लादेश भेजकर छात्र आंदोलन, शेख हसीना सरकार के इस्तीफे और उसके बाद उपजीं हिंसक परिस्थितियों की जांच कराएगा। इस बात की जानकारी खुद अंतरिम सरकार के मुखिया मुहम्मद यूनुस ने सोशल मीडिया पर दी है।
यूनुस की इस पोस्ट के बाद से बांग्लादेश में सही सोच के विशेषज्ञों में यह सवाल उठ रहा है कि क्या संयुक्त राष्ट्र का वह विशेषज्ञ दल बांग्लादेश में कट्टर मजहबियों द्वारा हिन्दुओं और अन्य अल्पसंख्यकों को चुन—चुनकर निशाना बनाने और उनको हुए जान—माल के नुकसान पर भी नजर डालेगा। तथाकथित ‘छात्र क्रांति’ ने शेख हसीना सरकार के इस्तीफे के बाद उस इस्लामी देश में बेलगाम होकर अवामी लीग कार्यकर्ताओं और हिन्दुओं पर कहर बरपाया था, उसकी दुनिया भर में भर्त्सना हुई है।
यूनुस के अनुसार तो इस दल का एजेंडा पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के त्यागपत्र से पहले व बाद में प्रदर्शनकारियों की जो हत्याएं हुईं, उनकी जांच करेगा। अंतरिम सरकार के एक अधिकारी की ओर से सरकारी स्तर पर इस दल के बांग्लादेश आने की घोषणा की गई है। उसी अधिकारी ने यह भी बताया कि 1971 में बांग्लादेश के आजाद होने के बाद संयुक्त राष्ट्र का ऐसा कोई दल पहली बार उस देश में आकर ‘मानवाधिकार हनन’ से जुड़े प्रकरणों की जांच करेगा। यहां सवाल है कि क्या यह दल अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिन्दुओं के ‘मानवाधिकार हनन’ की भी जांच करेगा या फिर सिर्फ प्रदर्शनकारियों के ‘मानवाधिकार हनन’ ही उसे दिखेंगे या दिखाए जाएंगे।
सत्ता की कमान फिलहाल जिन मुहम्मद यूनूस के हाथ है, उससे तो लगता है कि हिन्दुओं की पीड़ा शायद अनदेखी ही रह जाए। मजहबी उन्मादियों ने शेख हसीना सरकार को सत्ता से बाहर करने के बाद, सबसे पहले हिन्दुओं को अपनी हिंसक हरकतों का निशाना बनाया था। उनके घर, मंदिर, दुकान व प्रतिष्ठानों को फूंका था और अपनी मजहबी भड़ास निकाली थी।
कहने को तो 8 अगस्त को यूनुस ने अंतरिम सरकार में मुख्य सलाहकार की शपथ ले ली थी, लेकिन उसके बाद भी हिन्दू विरोधी हिंसक जारी रहे थे, जो अब भी दूरदराज के इलाकों में कथित तौर पर जारी हैं, लेकिन तब यूनुस ने कई दिनों बाद ऐसी घटनाओं पर प्रतिक्रिया करते हुए इन्हें ‘दंडनीय अपराध’ बताया था। लेकिन आज बीएनपी और जमाते इस्लामी के अराजक उन्मादी तत्व यूनुस की अंतरिम सरकार को ‘अपनी सरकार’ बता रहे हैं, उनसे हिन्दुओं की सुरक्षा का कोई रास्ता फिलहाल यूनुस को भी समझ नहीं आ रहा है। इसीलिए शायद अभी तक इस ‘अपराध’ को करने वाले एक भी दोषी को पकड़ा नहीं गया है।
मुख्य सलाहकार यूनुस जब हिंसा का नग्न नाच करने वाले मजहबी उन्मादियों के उपद्रव को ‘छात्र क्रांति’ कह रहे हों तो समझा जा सकता है कि वहां के देशभक्त हिन्दुओं को किस प्रकार का ‘न्याय’ मिलेगा। इन हिन्दू विरोधी दंगों को लेकर भारत, अमेरिका सहित अनेक देशों ने कड़ी टिप्पणियां की हैं।
अगले हफ्ते आने वाले संयुक्त राष्ट्र के जांच दल के दौरे के बारे में यूनुस को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के आयुक्त वोल्कर तुर्क ने फोन करके जानकारी दी थी। तुर्क ने इस आरे अपनी तरफ से ‘पूरे समर्थन का भरोसा’ दिया है। उनके शब्द हैं कि ‘एक समावेशी, मानवाधिकार-केंद्रित नजरिया यह पक्का करेगा कि बदलाव कामयाब हो।’ हालांकि इसके जवाब में यूनुस ने कहा तो है कि ‘हर नागरिक की सुरक्षा सरकार की सबसे प्रमुख प्राथमिकता’ है। लेकिन उनके ये शब्द धरातल पर कितने कारगर होंगे, यह देखना बाकी है।
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