बांग्लादेश में कथित आरक्षण विरोधी आंदोलन के बहाने इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा हिन्दुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हिंसा को लेकर बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों, वकीलों और नागरिकों के समूह ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है। अपील की पहल प्रज्ञा प्रवाह ने की है। अपील में कहा गया है कि बांग्लादेश में हिन्दुओं और अन्य अल्पसंख्यक के खिलाफ बढ़ता उत्पीड़न परेशान करने वाला है।
6 अगस्त 2024 को सैन्य तख्तापलट हुआ था, जिसके कारण प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद को देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसके बाद से वहां पर हालात बेहद खराब हो गए हैं।
बता दें कि ये पहल ‘प्रज्ञा प्रवाह’ के द्वारा की गई है। इसमें कहा गया है कि राजनीतिक अस्थिरता ने हिन्दुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की विभेदता को और अधिक बढ़ा दिया है। इसका असर ये हुआ है कि इस घटना के कारण देश में अराजकता बहुत फैल गई है।
रिपोर्ट्स में कहा गया है कि कई हिन्दू और अन्य अल्पसंख्यक पुरुषों, महिलाओं और बच्चों पर बहुत ही क्रूर हमले किए गए हैं। हाल के दिनों में बांग्लादेश में हिन्दुओं और अन्य समुदाय के सदस्यों की हत्या के कई मामले प्रकाश में आए हैं। इससे लोगों में डर और असुरक्षा का माहौल बना हुआ है। यहीं नहीं कट्टरपंथियों ने हिन्दू महिलाओं के साथ भी बर्बरता की। लगातार हो रहे इस उत्पीड़न के कारण हिन्दू परिवारों का सामूहिक पलायन हुआ है। अनुमान लगाया है कि 1.5 मिलियन से अधिक हिन्दू और अन्य अल्पसंख्यक शरणार्थी जिनमें पुरुष, महिलाएं और बच्चे भारत में शरण लेने की कोशिशें कर रहे हैं।
91 फीसदी है मुस्लिम आबादी
गौरतलब है कि बांग्लादेश में हिन्दुओं और अल्पसंख्यकों की संख्या बहुत ही नगण्य है। वर्ष 2022 की राष्ट्रीय जनगणना के मुताबिक, बांग्लादेश में हिन्दुओं की आबादी केवल 8 फीसदी है। बाकी के अल्पसंख्यक केवल एक फीसदी हैं। वहीं देश में मुस्लिमों की आबादी 91 फीसदी थी। जबकि इससे पहले वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक, उस दौरान बांग्लादेश में 89 फीसदी मुसलमान थे और 10 फीसदी हिन्दुओं की संख्या थी। जबकि, बाकी अल्पसंख्यकों की दुर्दशा जस की तस बनी थी। कुल मिलाकर 2011 के मुकाबले हिन्दुओं की संख्या में गिरावट आई है।
क्या है अपील
बुद्धिजीवियों ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से अपील की है कि वो एक टीम भेजकर जमीनी स्थिति का आकलन कर पीड़ितों से बातचीत करे। इसके साथ ही अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ मानवाधिकारों का दस्तावेजीकरण करने के लिए बांग्लादेश भेजने की अपील की है।
UNHRC से अपील में बुद्धिजीवियों से मांग की है कि वो बांग्लादेश सरकार से मांग कर अधिकारियों से अल्पसंख्यकों के जीवन, सम्मान और सुरक्षा की रक्षा के लिए तत्काल कदम करे। साथ ही शरणार्थियों को आवश्यक मानवीय सहायता देने की अपील की गई है। बुद्धिजीवियों के समूह ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से बांग्लादेश सरकार पर मानवाधिकारों को बनाए रखने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की है। ताकि, अपनी आजीविका खो देने वाले लोगों के जीवन का पुनर्निर्माण किया जा सके। बांग्लादेश में हिन्दू और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दीर्घकालिक रणनीतियों की वकालत की है। इसमें कानूनी सुधार, सुरक्षा और सामुदायिक पहल भी शामिल है। बुद्धिजीवियों ने कहा कि इस वक्त अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को अपने अस्तित्व को बचाने के लिए जूझना पड़ रहा है। इनकी सुरक्षा के लिए यूएनएचआरसी की ओर से तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई है कि UNHRC इस गंभीर मानवीय संकट को दूर करने के लिए तत्काल कार्रवाई करेगा।
ये है अपील का लिंक
https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSexab1wV-rPhz1UiEQycNknAh3rHoMJ8qv9wvnLM5ieHkut3A/viewform?vc=0&c=0&w=1&flr=0
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