कोलकाता, 10 अगस्त (हि.स.) । पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के सरकारी आरजीकर अस्पताल में प्रशिक्षु महिला डॉक्टर (द्वितीय वर्ष की छात्रा) की ‘दुष्कर्म के बाद हत्या’ की पुष्टि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुई है। भाजपा नेता लगातार यह दावा कर रहे थे कि महिला डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या की गई है। राज्य सरकार सच को छुपाने का प्रयास कर रही है।
पीड़ित का शव सेमिनार हाल में मिला था। इसके बाद पुलिस ने पोस्टमार्टम कराया। एक अधिकारी ने पहचान न उजागर करने का आग्रह करते हुए दावा किया कि पोस्टमार्टम की प्रारंभिक रिपोर्ट में महिला डॉक्टर से दुष्कर्म की पुष्टि हुई है। इसमें संकेत दिया गया है कि महिला डॉक्टर की हत्या यौन शोषण करने के बाद की गई। वैसे पुलिस भी इसे आत्महत्या का मामला नहीं मानती। यह घटना टाला थाने में दर्ज की गई है। एक पुलिस अधिकारी का कहना है, “यह निश्चित रूप से आत्महत्या नहीं है। महिला की हत्या यौन शोषण के बाद की गई।”
चार पृष्ठों की प्रारंभिक रिपोर्ट के कई अंश दिल दहलाने वाले हैं। इनमें कहा गया है कि महिला के निजी अंगों से खून बह रहा था और शरीर के अन्य हिस्सों पर भी चोट के निशान थे। महिला की आंखों और मुंह से खून बह रहा था, और उसके चेहरे, नाखून, पेट, बाएं पैर, गर्दन, दाहिने हाथ और होठों पर चोट के निशान थे। पोस्टमार्टम के दौरान दो महिला गवाह और पीड़ित की मां भी मौजूद थी।
कोलकाता पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अपराध सुबह तीन से छह बजे के बीच हुआ था। महिला की गर्दन की हड्डी भी टूटी हुई पाई गई। इससे प्रतीत होता है कि उसका पहले गला दबाया गया। पुलिस को पोस्टमार्टम की पूरी रिपोर्ट का इंतजार है। कोलकाता पुलिस ने जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है। इसमें उस विभाग के लोगों को भी शामिल किया गया है जिसमें महिला डॉक्टर कार्यरत थीं।
हैवानों का शिकार बनी मेडिकल स्टूडेंट के पिता का भी आरोप है कि बेटी के साथ बलात्कार किया गया। फिर उसकी हत्या की गई। उधर, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने माता-पिता से फोन पर बात कर और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
इस बीच पता चला है कि गुरुवार रात उसके (मेडिकल छात्रा) के साथ ड्यूटी पर रहे पांच लोगों से पुलिस ने पूछताछ की है। स्वास्थ्य सचिव एनएस निगम और कोलकाता पुलिस आयुक्त विनीता गोयल ने शुक्रवार को अस्पताल का दौरा किया और मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की था। अस्पताल प्रबंधन ने इस घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय पैनल का गठन किया है।
इस बीच, आरजीकर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रशिक्षु डॉक्टरों ने इमरजेंसी वार्ड को छोड़कर अन्य सभी विभागों में काम बंद कर दिया है। वह अपराधियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। विधायक अग्निमित्र पॉल ने मजिस्ट्रेट की निगरानी में स्वतंत्र जांच की मांग की है। तृणमूल कांग्रेस के नेता संतनु सेन ने कहा, “हम इस पूरी घटना की निष्पक्ष, पारदर्शी और गहन जांच चाहते हैं।” सेन भारतीय चिकित्सा संघ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
डॉक्टर की हत्या के मामले में एक गिरफ्तार
महिला स्नातकोत्तर प्रशिक्षु (पीजीटी) डॉक्टर की हत्या के मामले में पुलिस ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। उसका नाम संजय राय है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि संजय अस्पताल के विभिन्न विभागों में बेरोक-टोक घूमता और वह बाहरी व्यक्ति है। उसकी गतिविधियां बेहद संदिग्ध हैं और वह अपराध में सीधे तौर पर शामिल लगता है। जांच के सिलसिले में पुलिस ने शुक्रवार रात दो इंटर्न डॉक्टरों से भी पूछताछ की। शुक्रवार को सरकारी अस्पताल के सेमिनार हॉल में महिला स्नातकोत्तर प्रशिक्षु डॉक्टर का अर्धनग्न शव मिला था। वह छाती रोग विभाग की दूसरे वर्ष की छात्रा थी और गुरुवार रात को ड्यूटी पर थी। मृतका के पिता ने आरोप लगाया है कि उनकी बेटी के साथ बलात्कार कर उसकी हत्या की गई है और इस सच्चाई को छिपाने की कोशिश की जा रही है।
भाजपा ने कहा – ममता राज में महिलाओं के लिए नर्क बना बंगाल
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने राज्य की मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ममता बनर्जी पर तीखे आरोप लगाए हैं और राज्य में महिला सुरक्षा की स्थिति पर गंभीर सवाल उठाए हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार ने अपने ट्वीट में इस घटना की तुलना पार्क स्ट्रीट, हंसखाली और कामदुनी जैसी घटनाओं से की, जहां महिलाओं को निर्दयता से दुष्कर्म के बाद हत्या की गई थी। उन्होंने ममता बनर्जी की सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “आपकी सरकार की अक्षमता के कारण कितने और माता-पिता की गोदें सूनी होंगी? और कितनी और बंगाल की बेटियों के निर्जीव शरीर देख कर आपको चैन मिलेगा?” भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने राज्य पुलिस और प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि इतने गंभीर मामले में भी कोलकाता पुलिस ने बलात्कार और यौन उत्पीड़न के तहत मामला दर्ज नहीं किया। कॉलेज के प्रिंसिपल, जो एक टीएमसी विधायक के करीबी माने जाते हैं, ने इस घटना के लिए पीड़िता को ही दोषी ठहराया। अगर एक महिला डॉक्टर को सरकारी अस्पताल में सुरक्षा नहीं मिल सकती, तो आप कोलकाता पुलिस से आम जनता की सुरक्षा की क्या उम्मीद कर सकते हैं?
भाजपा के सह-प्रभारी अमित मालवीय ने भी ममता बनर्जी पर हमला करते हुए कहा कि सरकार ने मामले को दबाने के लिए ऑपरेशन कवर-अप शुरू कर दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पताल के प्रमुख व्यक्तियों की मिलीभगत से यह मामला जल्द ही ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल, संदीप घोष, जो पहले एक घोटाले में शामिल पाए गए थे, को अक्टूबर 2023 में स्थानांतरित किया गया था, लेकिन टीएमसी के करीबी होने के कारण उन्हें तीन महीनों के भीतर वापस लाया गया। भाजपा नेताओं ने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की है और कहा है कि राज्य की जनता को ममता बनर्जी की पुलिस पर भरोसा नहीं रह गया है।
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