सोशल मीडिया प्लेटफार्म में इस बार पर लेकर विशेषज्ञों की पोस्ट साझा हुई हैं जिनमें पाकिस्तान की परिस्थितियों की बांग्लादेश के हालात से तुलनाएं की गई हैं। लोगों का मानना है कि जिन्ना के देश में भी तो कठमुल्ले भरे पड़े हैं जो जमाते इस्लामी की करतूतों को देख खुश हुए होंगे और नेताओं को अंदरखाने धमका भी चुके होंगे।
बांग्लादेश में जिस प्रकार हसीना सरकार को सत्ता से हटाने के लिए ‘छात्र आंदोलन’ की आड़ लेकर कट्टरपंथी तत्वों ने देश को आग लगाई, उससे भारत के पश्चिम में जिन्ना का कंगाल पड़ोसी इस्लामी देश भयभीत दिख रहा है।
पाकिस्तान के सेना प्रमुख का हाल का बयान इस स्थिति की ओर संकेत कर रहा है। पाकिस्तान की सेना और सत्ता जानती है कि बांग्लादेश के मुकाबले पाकिस्तान में कट्टरपंथियों की संख्या भी ज्यादा है और सरकार के कामकाज में उनका सीधा दखल भी है। साथ ही, पिछले कुछ समय से जिन्ना का देश जिस प्रकार दुनिया के सामने भीख का कटोरा लिए खड़ा है उससे साफ है कि उसके यहां रोजी—रोटी के लाले हैं। बेरोजगारी और महंगाई आसमान पर हैं। इन परिस्थितियों में पाकिस्तानी जनता का धैर्य कभी भी जवाब दे सकता है। ऐसी स्थितियां अनेक बार बनते—बनते रह गई हैं।
लेकिन अब पाकिस्तान के कठमुल्लों के सामने एक अन्य इस्लामी देश की जमाते इस्लामी के दुष्कृत्यों का नतीजा सामने है; ‘बाहरी ताकतों’ के उकसावे और मदद से उन्होंने अपने देश को भंवर में फंसा लिया है। अंतरिम सरकार बनने के बाद भी वहां जल्दी ही शांति व्यवस्था कायम हो पाएगी, इसमें संदेह है। हिन्दुओं और अल्पसंख्यकों का वहां जिस प्रकार दमन चल रहा है, पाकिस्तान में वैसा दशकों से जारी है।
पाकिस्तान के मीडिया में आए समाचारों के अनुसार, पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने एक कार्यक्रम में यह कहा कि ‘पाकिस्तान में यदि कोई बांग्लादेश जैसी अव्यवस्था फैलाने की कोशिश करता पाया गया तो उसके यह इच्छा पूरी नहीं होने दी जाएगी।’ इस बयान से साफ है कि मुनीर के दिमाग में यह शक घर कर चुका है कि कहीं जिन्ना के जुगाड़े देश में वैसा ही उपद्रव न हो जाए।
अगर बांग्लादेश के वर्तमान परिदृश्य ने पाकिस्तानी सेना के अगुआ को नहीं डराया है तो ऐसा बयान देने का कोई औचित्य समझ नहीं आता। डरा हुआ तो इस्लामाबाद का सरकारी तंत्र भी है। बहुत संभव है कि अंदरखाने उसने अपने यहां ऐसी किसी स्थिति को काबू करने के तरीकों पर सोचना भी शुरू कर दिया हो। इमरान प्रकरण को लेकर देश में राजनीतिक तनाव तो पहले से ही चल रहा है।
असीम मुनीर अपने उक्त बयान की झौंक में कुछ ज्यादा ही बोल गए कि संसार की कोई ताकत उनके मुल्क को नुकसान पहुंचाने का सोच भी नहीं सकती। मुनीर ने कठमुल्लों की भाषा बोलते हुए कंगाल देश के ‘कयामत तक कायम’ रहने की बात भी की। वैसे, बता दें कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म में इस बार पर लेकर विशेषज्ञों की पोस्ट साझा हुई हैं जिनमें पाकिस्तान की परिस्थितियों की बांग्लादेश के हालात से तुलनाएं की गई हैं। लोगों का मानना है कि जिन्ना के देश में भी तो कठमुल्ले भरे पड़े हैं जो जमाते इस्लामी की करतूतों को देख खुश हुए होंगे और नेताओं को अंदरखाने धमका भी चुके होंगे।
मुनीर की कठमुल्लों वाली टिप्पणियों में हैरान होने जैसा इसलिए कुछ नहीं है क्योंकि वे बोल भी तो मौलवियों की एक सभा में रहे थे। मुनीर ने उन मौलवियों के सामने कसमें खाईं कि फौज देश में अमन और स्थिरता बनाने रखने में लगी है।
उन्होंने मौलवियों की करतूतों को ही शायद भांपते हुए कहा कि मौलवी लोग समाज के बीच एकता बनाए रखें और उसे सब बर्दाश्त करते रहने का हौंसला दें। मौलवी कट्टरपंथ तथा आपसी भेद को न बढ़ाएं। मुनीर जानते हैं कि सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के बदतर होते जा रहे हालातों के बारे में लोग लिख रहे हैं, इसीलिए शायद उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया की वजह से उनके देश में अराजकता बढ़ रही है।
समाज को ‘आधुनिकता की ओर ले जाने’ का आह्वान करने वाले सेना प्रमुख मुनीर ने पाषाण कालीन बर्बर इस्लामिक शरिया कानूनों को बनाए रखने की बात करके अपनी कट्टर सोच भी जाहिर कर दी। इस मौके पर भी मुनीर ने ‘कश्मीर का राग’ छेड़ते हुए झूठे आंसू बहाए।
टिप्पणियाँ