पिछले दिसंबर माह में उत्तराखंड के नगर निकाय में चयनित जन प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो गया था। उसके बाद लोकसभा चुनाव की तैयारियों की वजह से नगर निगमों , नगर परिषदों में चुनाव कराए जाने का विषय टलता जा रहा था, इस बारे में हाई कोर्ट ने भी सरकार का जवाब तलब किया है।
जानकारी के मुताबिक अब उत्तराखंड सरकार अक्टूबर माह के अंतिम सप्ताह में स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाने का मन बना चुकी है। इसके साथ ही ग्राम प्रधान, जिला पंचायत सदस्य, ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष आदि के चुनाव भी कराए जा सकेंगे, जिनका कार्यकाल भी समाप्त हो चुका है।
शहरी विकास मंत्री प्रेम चंद्र अग्रवाल ने इस बात के संकेत दिए है कि नगर निकायों के लिए सितंबर माह तक आरक्षण समेत सभी तैयारी पूरी हो जाएंगी और अक्टूबर माह में चुनाव कराए जायेंगे। श्री अग्रवाल ने सितंबर माह के मध्य तक वोटर लिस्ट परिसीमन आरक्षण जैसे विषयो को सुनिश्चित किए जाने की भी बात कही है। फिलहाल निकायों में प्रशासक नियुक्त है जिला अधिकारियों के पास अधिकार हैं, जो कि उनके द्वारा एसडीएम स्तर के अधिकारियों को दिए जा चुके हैं।
जानकारी के मुताबिक सरकार ने दो नए नगर निगम भी बनाने की तैयारी पूरी कर ली है। सरकार ने अल्मोड़ा पिथौरागढ़ को निगम बनाने के लिए परिसीमन करने संबंधी पत्र भेजा है, साथ ही डोईवाला को तृतीय श्रेणी से प्रथम श्रेणी का नगर परिषद बनाए जाने के लिए सीमा विस्तार किए जाने का भी प्रस्ताव है। जानकारी के मुताबिक रामनगर का भी सीमा विस्तार किया जा सकता है ऐसे अन्य शहर भी है जिनके पास के ग्रामीण क्षेत्र अब शहरी क्षेत्र में मिलाकर जन सुविधाएं दिए जाने की योजना में शामिल किए गए है।उत्तराखंड में 9 नगर निगमों सहित 97 निकाय है जहां चुनाव होने है,इसके अलावा छावनी परिषद के 9 निकाय है।
बद्रीनाथ,केदारनाथ और गंगोत्री निकाय तो है परंतु यहां चुनाव नही होते यहां प्रशासक ही विकास की गतिविधियां देखते है। इन चुनावों को बीजेपी अपने बैनर पर लड़ती आई है, जबकि कांग्रेस निगम में तो अपना उम्मीदवार उतारती है शेष स्थानों पर अपने निर्दलीय उम्मीदवार तय करती रही है। फिलहाल उत्तराखंड की निकाय राजनीति में बीजेपी का दबदबा है। आगामी चुनाव धामी सरकार की परीक्षा भी लेने वाले हैं।
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