उत्तराखंड: बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे मदरसे, विदेशों से फंडिंग, बाहर से लाकर बच्चों को दी जा रही इस्लामिक शिक्षा
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उत्तराखंड: बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे मदरसे, विदेशों से फंडिंग, बाहर से लाकर बच्चों को दी जा रही इस्लामिक शिक्षा

पुलिस ने फुटेज जब्त कर लिए आए प्रारंभिक जांच में कुछ शिकायतें सही पाई गई है।

by दिनेश मानसेरा
Aug 9, 2024, 11:46 am IST
in उत्तराखंड
Uttarakhand illegal Madarsa

प्रतीकात्मक तस्वीर

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देहरादून: राजधानी में एक दो नहीं दर्जनों मदरसे बिना पंजीकरण के चल रहे हैं। खास बात ये है कि इन मदरसों को देश विदेश से फंडिंग मिल रही है, कुछ मदरसे तो जुम्मे की नमाज के दौरान एकत्र चंदे से चलाए जा रहे हैं। ये अपना पंजीकरण इस लिए नहीं कराना चाहते हैं कि फिर इनकी बाध्यता हो जाएगी कि इन्हें सरकार द्वारा आर्थिक मदद दी जाएगी और बदले में सरकार द्वारा ही निर्धारित पाठ्यक्रम पढ़ाना होगा।

देहरादून आजाद कॉलोनी स्थित मदरसा जामिया तुस्सलाम अल इस्लामिया में पिछले दिनों 29 जुलाई 2024 को 30 बच्चों के बीमार होने की खबर, समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई थी। जिसका बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ गीता खन्ना ने संज्ञान लिया और अपने आयोग के सदस्यों के साथ यहां का निरीक्षण किया और ये पाया कि मदरसा बिना सरकार के पंजीकरण के चल रहा है और यहां जो छात्रावास है। इसमें 55 बच्चे बिहार और अन्य प्रदेशों के यहां लाकर रखे गए हैं। छात्रवास सुरक्षा मानकों के अनुरूप नहीं है। आयोग अध्यक्ष डा खन्ना ने इस बारे में पुलिस को भी सूचना देते हुए कहा कि मदरसा के सीसीटीवी चेक किए जाए और जैसा बच्चों ने बताया उनके साथ हो थे बर्ताव के फुटेज खंगाले जाएं।

सूत्रों के मुताबिक, पुलिस ने फुटेज जब्त कर लिए आए प्रारंभिक जांच में कुछ शिकायतें सही पाई गई है। उधर मदरसा प्रबंधकों ने खुद को फंसता देख कर आयोग अध्यक्ष पर मदरसे मस्जिद क्षेत्र में जूते पहन कर जाने के आरोप लगा दिए। जिसका डॉ खन्ना ने खंडन किया और कहा कि उन्हें भी पता है कहां जूते पहन कर जाने चाहिए अथवा नहीं, ये आरोप अपनी कमियों को छुपाने के लिए दबाव बनाने के लिए लगाए हुए है।

डॉ खन्ना के द्वारा उक्त मदरसे की शिकायतों के बारे में एक पत्र अल्पसंख्यक कल्याण के प्रमुख सचिव को भी लिख कर कारवाई किए जाने की मांग की है, डा खन्ना ने डीजीपी, गृह  सचिव और देहरादून एसएसपी को भी इस विषय में अवगत कराया है।

13 मई 2024 को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने देहरादून में अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए मदरसों में बच्चो के अधिकारों और गैर पंजीकृत मदरसों के बारे में कारवाई करने को कहा था। किंतु ये मामला अभी तक ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। प्रियंक कानूनगो ने हरिद्वार जिले में मदरसों में हिंदू बच्चे होने का भी संज्ञान लेते हुए प्रशासन का जवाब तलब किया था।

अवैध मदरसों की भरमार

देहरादून हरिद्वार जिले में दर्जनों की संख्या में बिना पंजीकरण के मदरसे चल रहे हैं। आजाद कॉलोनी के जिस मदरसे की जांच हुई। वहां बिहार झारखंड जैसे राज्यों से छोटे-छोटे बच्चे यहां लाकर छात्रावास में रखे गए है, ऐसे सैकड़ों बच्चे अन्य मदरसों में लाए गए है क्या बिहार झारखंड या अन्य राज्यो में मदरसे नहीं है? जो इन्हें यहां लाकर इस्लामिक शिक्षा दी जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, अन्य राज्यों में मदरसे की शिक्षा को लेकर राज्य सरकारों ने सख्ती कर दी है, जब कि उत्तराखंड में अभी पुरानी व्यवस्था ही चली आ रही है। ये भी जानकारी मिली है कि देवबंद दारुल उलूम और देश विदेश की इस्लामिक संस्थाओं से इन गैर पंजीकृत मदरसों को फंडिंग मिल रही है।

जानकारी के मुताबिक, देहरादून निवासी शमशाद कुरेशी नाम के युवक ने अरबिया मदरसे के मुफ्ती रईस पर विदेशों से मिली फंडिंग को खुद इस्तेमाल किए जाने, लग्जरी कार खरीदने और आलीशान कोठी बना लिए जाने का वीडियो जारी किया है। जिस पर मुफ्ती रईस ने इस आरोप का खंडन किया। बताया जाता है कि उक्त मदरसा भी गैर पंजीकृत है। दरअसल यदि मदरसे पंजीकृत हो जायेंगे तो उन्हें सरकार को फंडिंग का हिसाब किताब देना पड़ जायेगा और सरकार द्वारा निर्धारित स्लेबस पढ़ाना अनिवार्य हो जाएगा। बरहाल उत्तराखंड में चार सौ से अधिक मदरसे गैर कानूनी है जिन्हें सरकार को अपने रडार पर लेना है।

देवभूमि में 416 मदरसे पंजीकृत

उत्तराखंड में राज्य मदरसा बोर्ड है जिसके अध्यक्ष मुफ्ती शम्मून कासमी है, वे कहते हैं कि राज्य में 416 मदरसे रजिस्टर्ड है, जिनमें भारत और राज्य सरकार के नए पाठ्यक्रम और इस्लामिक शिक्षा दी जा रही है। कितने मदरसे बिना पंजीकरण के चल रहे है? ये सही सही जानकारी मुफ्ती कासमी भी नही दे पा रहे हैं।

उत्तराखंड वक्फ बोर्ड भी बेखबर

उत्तराखंड में मुस्लिम बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले ये बात राज्य वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स तो कहते है और वे इसके लिए प्रयासरत भी है। किंतु बिना अनुमति कितने मदरसे चल रहे है, इस बात की जानकारी उन्हें भी नहीं है, अलबत्ता वे मदरसों के लिए पंजीकरण जरूरी मानते हैं।

कल ये बच्चे हो जायेंगे उत्तराखंड के नागरिक

बिहार झारखंड असम छत्तीसगढ़ यूपी आदि राज्यों से छोटे-छोटे बच्चों को देवभूमि उत्तराखंड में लाकर मदरसों में भर्ती कर इस्लामिक शिक्षा तो दे ही रहे है, कल यही बच्चे उत्तराखंड में जनसंख्या असंतुलन पैदा करते हुए स्थानीय नागरिक होने का दावा करेंगे। बताया जाता है कि असम में अवैध मदरसे बंद कर दिए गए है यूपी मध्य प्रदेश में भी सरकार ने सख्ती कर दी है, अब मदरसों के संचालकों और इनके पीछे इस्लामिक जिहादी शिक्षा का प्रचार-प्रसार करने वालों को उत्तराखंड सबसे महफूज राज्य लगा है। उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड के देहरादून हरिद्वार जिले में मुस्लिम आबादी पिछले बीस सालों में 35 फीसदी तक जा पहुंची है, सरकारी जमीनों पर कब्जे करके मस्जिदें मदरसे मजारें बना दी गई है। कांग्रेस शासन काल में मुस्लिम आबादी अवैध रूप से बनी बस्तियों एक वोट बैंक बन गई है।

सीएम धामी का बयान

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, बार-बार ये कहते आए है कि राज्य सरकार मदरसों के पंजीकरण और यहां पढ़ने वाले बच्चों के संरक्षण सुरक्षा आदि को लेकर जांच करेगी। उनका कहना है कि बच्चों को राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की शिक्षा अनिवार्य रूप से दिए जाने में कोई कोताही नहीं बरती जाने दी जाएगी।

Topics: देहरादून न्यूजबिना रजिस्ट्रेशन अवैध मदरसाillegal madrasasillegal madrasas without registrationDehradun Newsउत्तराखंडUttarakhandअवैध मदरसे
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