भारत के लिए यह वाकई बहुत बुरी खबर है कि पेरिस ओलंपिक के फ़ाइनल मुकाबले से पहले ही विनेश फोगाट को अयोग्य क़रार दे दिया गया। दरअसल विनेश ओलंपिक में महिला कुश्ती के 50 किलोग्राम के भार वर्ग में हिस्सा ले रही थीं और 7 अगस्त की सुबह विनेश का वजन 50 किलोग्राम से कुछ ग्राम ज्यादा रहा, जिसके चलते विनेश को अयोग्य करार दिए जाने के बाद इस इवेंट में भारत के गोल्ड या सिल्वर जीतने का सपना अधूरा रह गया है।
इससे निश्चित रूप से पेरिस ओलंपिक में भारत की उम्मीदों को तगड़ा झटका लगा है क्योंकि कुश्ती की ‘सनसनी गर्ल’ कही जाने वाली विनेश फोगाट पेरिस ओलंपिक में भारतीय कुश्ती के इतिहास में एक नया स्वर्णिम अध्याय लिखने जा रही थीं। वह 6 अगस्त को खेले गए मैचों के बाद पहली ऐसी भारतीय महिला पहलवान बन गई थीं, जो न केवल कमाल का प्रदर्शन करते हुए ओलंपिक के फाइनल में पहुंची थीं बल्कि उन्होंने प्री क्वार्टर फाइनल मैच में चार बार की विश्व चैंपियन और ओलंपिक विजेता जापान की पहलवान युई सुसाकी को पटखनी देकर पूरी दुनिया को चौंका दिया था।
प्री क्वार्टर फाइनल मैच में विनेश की जीत इसीलिए बहुत बड़ी मानी जा रही थी क्योंकि दुनिया की नंबर 1 खिलाड़ी युई सुसाकी अपने कैरियर में इससे पहले कोई भी अंतर्राष्ट्रीय मुकाबला नहीं हारी थीं, लेकिन विनेश ने अपने बुलंद हौसले से पूरी दुनिया को यह साबित कर दिखाया था कि भारत की बेटियों में भी कितना दम है।
विनेश ने 6 अगस्त की रात इस स्पर्धा में स्वर्ण पदक के लिए पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनकर इतिहास रच दिया था लेकिन ओलंपिक समिति के आधिकारिक बयान के अनुसार 7 अगस्त की सुबह उनका वजन कुछ ग्राम ज्यादा मिला, जिसके चलते उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया। यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) के नियमों के अनुसार यदि कोई एथलीट वजन माप में शामिल नहीं होता है या असफल हो जाता है तो उसे स्पर्धा से बाहर कर दिया जाएगा और बिना रैंक के अंतिम स्थान पर रखा जाएगा।
भारत के लिए यह बहुत बड़ा झटका इसीलिए है क्योंकि विनेश ने 6 अगस्त को खेले गए तीनों ही मुकाबलों में जिस तरीके से दूसरी अंतर्राष्ट्रीय रेसलरों को पटखनी दी थी, उसे देखते हुए उनके गोल्ड जीतने की उम्मीदें लगभग पक्की हो गई थीं। विनेश ने जिस तरीके से प्री क्वार्टर फाइनल मैच में जापान की युई सुसाकी को हराया था, उससे पूरी दुनिया में उनकी चर्चा हो रही थी। दरअसल विनेश के लिए वह मुकाबला आसान नहीं था क्योंकि टोक्यो ओलंपिक के फाइनल में युई सुसाकी ने एक भी प्वाइंट दिए बिना स्वर्ण पदक जीता था और वह 4 बार की विश्व चैंपियन भी थी जबकि विनेश आज तक विश्व चैंपियनशिप नहीं जीत सकी हैं, वह विश्व चैंपियनशिप में दो बार कांस्य जीती हैं।
रूप से पेरिस ओलंपिक में भारत की उम्मीदों को तगड़ा झटका लगा है क्योंकि कुश्ती की ‘सनसनी गर्ल’ कही जाने वाली विनेश फोगाट पेरिस ओलंपिक में भारतीय कुश्ती के इतिहास में एक नया स्वर्णिम अध्याय लिखने जा रही थीं। वह 6 अगस्त को खेले गए मैचों के बाद पहली ऐसी भारतीय महिला पहलवान बन गई थीं, जो न केवल कमाल का प्रदर्शन करते हुए ओलंपिक के फाइनल में पहुंची थीं बल्कि उन्होंने प्री क्वार्टर फाइनल मैच में चार बार की विश्व चैंपियन और ओलंपिक विजेता जापान की पहलवान युई सुसाकी को पटखनी देकर पूरी दुनिया को चौंका दिया था।
पिछले 14 वर्षों में सुसाकी केवल 3 बाउट हारी थी, इसलिए उस मुकाबले में सुसाकी को ही फेवरेट माना जा रहा था। मैच के शुरूआती दौर में हालांकि विनेश केवल डिफेंस पर ही ध्यान दे रही थी, जिसके कारण रेफरी द्वारा सुसाकी को दो बार 1-1 प्वाइंट भी दिया गया लेकिन मुकाबले के आखिरी समय में विनेश ने सुसाकी पर ऐसा अटैक किया, जिसका सुसाकी के पास कोई जवाब नहीं था और इस तरह विनेश ने ‘अपराजित’ मानी जाने वाली चार बार की विश्व चैंपियन को धूल चटाकर एकतरफा दिख रहा मैच आखिरी 10 सेकेंड में पलटते हुए 3-2 से रोमांचक जीत हासिल कर अवस्मरणीय इतिहास रच दिया था।
विनेश का क्वार्टर फाइनल मुकाबला यूक्रेन की ओकसाना लिवाच से हुआ था, जहां उन्होंने शुरुआत में ही 2-0 की बढ़त ले ली थी और पहले राउंड के बाद वह 4-0 की बढ़त हासिल कर चुकी थी। आखिरकार दमदार अंदाज में विनेश ने 7-5 से वह मुकाबला जीतकर सेमीफाइनल में जगह बनाई थी और सेमीफाइनल में विनेश ने क्यूबा की उस पहलवान गुजमान लोपेज को भी धो डाला था, जिसने अपने क्वार्टर फाइनल में लिथुआनिया की पहलवान को 10-0 से हराया था।
सेमीफाइनल में विनेश क्यूबा की पहलवान से पहले राउंड तक 1-0 से आगे थी, जिसके बाद आखिरी तीन मिनट में उन्होंने क्यूबा की पहलवान पर डबल लेग अटैक करते हुए 4 प्वाइंट अर्जित किए थे और उस बढ़त को आखिर तक बनाए रखा और लोपेज गुजमान को 5-0 से हराकर न केवल फाइनल में जगह बनाई थी बल्कि ओलंपिक फाइनल में पहुंचकर इतिहास रच दिया था क्योंकि उनसे पहले कोई भी भारतीय महिला पहलवान ओलंपिक के फाइनल में नहीं पहुंच सकी थी। विनेश ने 6 अगस्त को खेले अलग-अलग मुकाबलों में जिस प्रकार एक के बाद एक सभी मुकाबले जीतकर फाइनल में जगह बनाई थी, उसे देखते हुए पूरी उम्मीद थी कि वह भारत को गोल्ड दिलाने में कामयाब होंगी। यदि ऐसा होता तो वह ओलंपिक के इतिहास में कुश्ती में भारत को गोल्ड दिलाने वाली पहली पहलवान बन जाती लेकिन विनेश के डिस्क्वालीफाई होने के बाद ये सारी उम्मीदें चकनाचूर हो गई।
ओलंपिक में विनेश से पहले महिलाओं में केवल भारतीय पहलवान साक्षी मलिक ही पदक जीत सकी हैं, जिन्होंने 2016 के रियो ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था। ओलंपिक खेलों के अब तक के इतिहास में भारत को केवल 7 पदक ही मिले हैं। कुश्ती में भारत के लिए पहला कांस्य पदक जीता था 1952 के हेल्सिंकी में केडी जाधव ने पुरुषों की बेंटमवेट कुश्ती में। उसके बाद ओलंपिक में कुश्ती में पदक जीतने के लिए भारत को पूरे 56 साल का बेहद लंबा इंतजार करना पड़ा।
विनेश को ओलंपिक में अयोग्य घोथ्शत किए जाने से केवल विनेश को ही बड़ा सदमा नहीं लगा है बल्कि यह भारत के लिए भी बहुत बड़ा झटका इसीलिए है क्योंकि 6 अगस्त के अंतिम मुकाबले के बाद विनेश का रजत पदक तो पक्का हो गया था लेकिन विनेश पेरिस से खाली हाथ ही वापस लौट रही हैं।
56 साल के उस सूखे को खत्म किया 2008 के बीजिंग ओलंपिक में पुरुषों की 66 किग्रा कुश्ती में कांस्य पदक जीतकर भारतीय पहलवान सुशील कुमार ने, जिन्होंने 2012 के लंदन ओलंपिक में भी पुरुषों की 66 किग्रा कुश्ती में रजत पदक जीता। 2012 के लंदन ओलंपिक में पुरुष 60 किग्रा कुश्ती में योगेश्वर दत्त भी कांस्य पदक जीतने में सफल हुए। 2016 के रियो ओलंपिक में महिला 58 किग्रा कुश्ती में कांस्य पदक जीतकर साक्षी मलिक ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनी। वैसे ओलंपिक में महिला पहलवानों को पहली बार 2004 में ही एंट्री मिली थी। 2020 के टोक्यो ओलंपिक में पुरुष फ्रीस्टाइल 57 किग्रा कुश्ती में रवि कुमार दहिया रजत और पुरुष 65 किग्रा कुश्ती में बजरंग पुनिया कांस्य पदक जीतने में सफल हुए थे।
जहां तक विनेश फोगाट की बात है तो वह इतिहास की सबसे सफल भारतीय पहलवानों में से एक मानी जाती हैं लेकिन पिछले ओलंपिक खेलों में उनका प्रदर्शन निराशाजनक रहा था। विनेश का यह तीसरा ओलंपिक था, जिसमें उन्होंने पहली बार 50 किग्रा में चुनौती पेश की थी जबकि इससे पहले वह 53 किग्रा श्रेणी में खेलती थी और इसी 50 किग्रा वर्ग के फेर में फंसकर वह इस बार ओलंपिक में इतिहास रचते-रचते रह गई। विनेश ने 2016 में रियो ओलंपिक में महिलाओं की 48 किग्रा फ्रीस्टाइल श्रेणी में ओलंपिक में डेब्यू किया था लेकिन घुटने में गंभीर चोट लगने के कारण उन्हें क्वार्टरफाइनल मुकाबले से हटना पड़ा था।
उसके बाद 2020 में टोक्यो ओलंपिक में वह महिलाओं के 53 किग्रा क्वार्टर फाइनल में जीत की प्रबल दावेदार मानी जा रही थी लेकिन विनेश को क्वार्टर फाइनल में हार का सामना करना पड़ा था। ओलंपिक को छोड़कर विनेश दुनिया की अन्य तमाम कुश्ती स्पर्धाओं में पदक जीत चुकी हैं और उनके दिल में ओलंपिक में पदक नहीं जीत पाने की टीस बाकी थी, जिसे उन्होंने पेरिस ओलंपिक से पहले बयान भी किया था। इस ओलंपिक में पदक जीतना उनका जुनून था लेकिन फाइनल में पहुंचने और गोल्ड से सिर्फ एक कदम दूर रहने से ठीक पहले ही अयोग्य करार दिए जाने के बाद उनकी यह टीस उन्हें सालती रहेगी।
वैसे विनेश अभी तक विश्व चैंपियनशिप में दो कांस्य पदक, राष्ट्रमंडल खेलों में तीन स्वर्ण और एशियाई खेलों में एक स्वर्ण पदक अपने नाम कर चुकी हैं। उन्हें 2019 में विश्व चैंपियनशिप कांस्य पदक जीतने के बाद 2021 में एशियाई चैंपियन का ताज पहनाया गया था। राष्ट्रमंडल खेलों में तो वह लगातार तीन बार गोल्ड जीतने वाली भारतीय पहलवान बनी। विनेश ने पहला गोल्ड 2014 के ग्लास्गो कॉमनवैल्थ गेम्स में, दूसरा 2018 के गोल्ड कोस्ट कॉमनवैल्थ गेम्स में, और तीसरा 2022 के बर्मिंघम कॉमनवैल्थ गेम्स में जीता था। 2018 के जकार्ता एशियन गेम्स में विनेश ने गोल्ड जीतने के बाद 2021 की एशियन चैम्पियनशिप में भी गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। बहरहाल, विनेश को ओलंपिक में अयोग्य घोथ्शत किए जाने से केवल विनेश को ही बड़ा सदमा नहीं लगा है बल्कि यह भारत के लिए भी बहुत बड़ा झटका इसीलिए है क्योंकि 6 अगस्त के अंतिम मुकाबले के बाद विनेश का रजत पदक तो पक्का हो गया था लेकिन विनेश पेरिस से खाली हाथ ही वापस लौट रही हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
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