केरल के वायनाड जिले में आए भूस्खलन के बाद बचाव अभियान आज आठवें दिन भी चल रहा है। मलबे में फंसे जिंदगी की तलाश की जा रही है। जीवन की आशा अभी भी यहां बनी हुई है, भारी बारिश के बीच 380 से ज्यादा मौतों के बाद भी जिंदा मिल रहे लोगों के मिलने का सिलसिला जारी है। वहीं, अब तक सैकड़ों लोग घायल अवस्था में मिले हैं। एक दुखद सूचना भी सामने आई है, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के दो स्वयंसेवकों ने यहां सेवा और बचाव कार्य करते हुए अपनी प्राणों की आहुति दे दी।
ये दोनों स्वयंसेवक वायनाड में आए पहले भूस्खलन के बाद आपदाग्रस्त क्षेत्र से बुजुर्गों और बच्चों को सुरक्षित क्षेत्र में पहुंचाने के लिए मौके पर पहुंचे थे। वे अपने स्तर पर सेवा कार्य में जुट गए। प्रभावित कॉटेज के अंदर चले गए। जो कार्य संभव था, वह उनके द्वारा किया गया, तभी भूस्खलन की दूसरी घटना हुई और रा.स्व.संघ ने अपने दोनों कार्यकर्ताओं को हमेशा के लिए खो दिया। प्रजीश का शव 500 मीटर दूर से बरामद किया गया और सरथ बाबू का शव कई दिन बाद अब जाकर मिल मिल सका है।
सरथ बाबू एम का विवाह नहीं हुआ था, वे कपड़े का व्यापार करते थे। उनका जन्म 8 अगस्त 1995 को हुआ था। प्रजीश भी निजी व्यवसाय करते थे। उनका जन्म 1 मार्च 1988 को हुआ था। संघ के स्वयंसेवकों का यह उत्सर्ग आज के समय में यह बताने के लिए पर्याप्त है कि रा.स्व.संघ के कार्यकर्ता देशहित में अपने जीवन की जरा भी चिंता नहीं करते हैं।
भारतीय सेना, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और स्थानीय आपातकालीन टीमों के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और सेवा भारती के कार्यकर्ता मलबे में फंसे लोगों को बाहर निकलने के कार्य में लगे हुए हैं । इसके साथ ही जो लोग मिट्टी में धंस के जान गवां चुके हैं, उनका अंतिम संस्कार करने का कार्य यहां लगातार किया जा रहा है।
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