अयोध्या में एक 12 वर्षीय निषाद कन्या के सामूहिक बलात्कार पर समाजवादी पार्टी का बेशर्म रवैया सामने आया है। ज्ञात हो कि यह वही पार्टी है जिसके सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने बलात्कार को लेकर यह बयान दिया था कि “लड़के हैं, लड़कों से गलतियाँ हो जाती हैं!” और इस बार तो बलात्कार का अपराधी और नहीं बल्कि समाजवादी पार्टी का ही एक नेता है और साथ ही वह उन सांसद का भी नजदीकी है, जिन्हें समाजवादी पार्टी और इंडी गठबंधन ही नहीं बल्कि समूची लिबरल जमात अयोध्या का राजा कहकर प्रभु श्रीराम के समकक्ष खड़ा कर रही थी।
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अयोध्या से समाजवादी पार्टी की जीत ने जैसे समूची लिबरल ब्रिगेड को यह मौका दे दिया था कि वह प्रभु श्रीराम के मंदिर को फालतू बता सके और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव एवं अयोध्या के सपा सांसद अवधेश प्रताप को नायक साबित कर सके। सपा सांसद को एक गोल्ड मेडल की तरह दिखाया जा रहा था। मगर वही लोग जो अयोध्या के सपा सांसद को एक विजेता के रूप में दिखा रहे थे, वही लोग एक बारह वर्ष की बच्ची के साथ हुए अन्याय पर मौन बैठे हुए हैं।
अयोध्या में एक बारह वर्ष की निषाद समाज की बच्ची के साथ सपा नेता मोइद खान की बेकरी में बलात्कार होता है और यह बलात्कार उसकी बेकरी का नौकर “राजू खान” और मोइद खान खुद करता है, मगर मीडिया के माध्यम से ऐसा प्रचार किया जा रहा है कि एक बारह वर्ष की बच्ची का “अफेयर” था।
यह सबसे अधिक घिनौना है कि यह आरोप मुख्यधारा की मीडिया के माध्यम से लगाए जा रहे हैं। आज तक चैनल पर मोइद खान के परिजनों ने उस बारह वर्ष की बच्ची पर यह आरोप लगाया कि उसका “राजू” के साथ अफेयर था और चूंकि मोइद खान समाजवादी पार्टी का नेता है, इसलिए उसे फँसाया जा रहा है और एक महिला यह तक कह रही है कि यह सभी को पता था कि “राजू” का अफेयर उस लड़की से था।
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इस पूरे घटनाक्रम में एक बार भी पत्रकार यह प्रश्न नहीं कर रहा है कि आखिर एक बारह वर्ष की बच्ची का “अफेयर” कैसे हो सकता था और यदि यह सभी की जानकारी में था तो एक बारह वर्ष की बच्ची के साथ “यौन उत्पीड़न” होता रहा और किसी ने कुछ नहीं किया? पत्रकार यह प्रश्न क्यों नहीं कर रहा है कि एक बारह वर्ष की बच्ची का “अफेयर” नहीं होता है, बल्कि उसे बहलाया और फुसलाया जाता है।
जबकि बच्ची की माँ ने यह साफ कहा है कि कैसे बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। मगर हैरानी इस बात पर है कि सारा सेक्युलर जगत इस जघन्य अपराध पर इसी थ्योरी पर कार्य कर रहा है कि “बच्ची” का अफेयर था। इसी पर भारतीय जनता पार्टी के नेता डॉ. शलभ मणि त्रिपाठी ने एक्स पर लिखा कि पिता को खो चुकी हैवानियत का शिकार मात्र 12 साल की मासूम, बलात्कारियों के हाथ खेलती मीडिया और खुलेआम इस मासूम का चरित्र हनन, सिर्फ इसलिए क्यूँकि बलात्कारी मुईद खां है, और उन्होंने इसमें एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो को भी टैग किया।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने इस पोस्ट को दोबारा पोस्ट करते हुए इस बिन्दु को स्पष्ट किया कि बच्चों से बलात्कार के अपराधी के पक्ष में सहानुभूति जुटाने में राष्ट्रीय चैनल का उपयोग खतरनाक है। उन्होनें लिखा कि यदि आजतक की इस रिपोर्ट को आधार मान लें तो मोईद खान के परिवार की जिन महिलाओं की जानकारी में एक 12 वर्षीय बच्ची का बलात्कार उसके गर्भवती होने तक लगातार हो रहा था वे भी #POCSO क़ानून धारा 19 के उल्लंघन की दोषी हैं और इन महिलाओं के विरुद्ध भी #POCSO धारा 21 के तहत बच्ची के यौन शोषण की घटना को छिपाने के लिए मामला दर्ज करने हेतु एनसीपीसीआर द्वारा अयोध्या पुलिस को नोटिस जारी किया जा रहा है।
मीडिया को बच्ची और उसके परिवार की पहचान की गोपनीयता संरक्षित करते हुए पीड़ित पक्ष को भी बराबर कवरेज देना चाहिए आपकी संवेदना बच्ची के लिए #AccessToJustice है।
मगर यह बहुत बड़ा दुर्भाग्य है कि मीडिया में जहां एक ओर लोकसभा चुनावों के बाद अयोध्या के सपा सांसद को प्रधानमंत्री मोदी से बड़ा नेता दिखाने की होड़ थी, तो वहीं इस जघन्य अपराध में भी सपा सांसद से तीखे प्रश्न न पूछे जाने की होड़ है। राष्ट्रीय चैनल का प्रयोग किस प्रकार एक ऐसी बच्ची के चरित्र हनन के लिए किया जा रहा है, जिसे अभी कुछ पता ही नहीं है।
एक पिता विहीन बच्ची जो राजू “खान” में हो सकता है कि ऐसे व्यक्ति की छवि देखती हो जो उसके लिए पिता तुल्य हो, उसके साथ अफेयर की बात करने पर कैसे कोई पत्रकार लोगों को टोक नहीं सकता है ? यह बेहद शर्मनाक है कि कभी अखिलेश यादव डीएनए जांच की बात करते हुए अपराधी के पक्ष में आ रहे हैं तो कभी अयोध्या के सपा सांसद भी अपने सिपहसालार के पक्ष में खड़े हैं। वहीं यह बात भी स्थानीय लोगों के माध्यम से निकलकर आ रही है कि मोईद खान आज का अपराधी नहीं है, बल्कि वह सांप्रदायिक उपद्रव का भी अपराधी है।
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एक रिपोर्ट के अनुसार भदरसा में वर्ष 2012 में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दिन उपद्रव हुआ था, जिसमें दुर्गा प्रसाद गुप्ता की हत्या कर दी गई थी। और हत्यारोपियों में 13 नामजद लोगों में मोईद खान का नाम भी था।
इसी के साथ वह भूमाफिया भी है और जमीनें हड़प कर बैठा हुआ है। जिसका असर तब देखने को मिला जब मोईद खान की अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर चला।
वर्ष 2012 में दुर्गा प्रसाद गुप्ता की हत्या और अब एक निषाद बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार का मामला, मगर फिर भी यह बहुत हैरानी की बात है कि अखिलेश यादव ही नहीं बल्कि पूरी समाजवादी पार्टी और इंडी गठबंधन अपराधी के पक्ष में आ गया है। “लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ” का नारा देने वाली प्रियंका गांधी कुछ नहीं कह रही हैं। गाजा में हो रहे कथित अपराधों पर उनकी नजर जाती है, मगर उनकी नजर अयोध्या में एक निषाद बच्ची के साथ हुए अत्याचार पर नहीं जा रही है।
हर मामले पर सरकार को घेरने वाले राहुल गांधी से लेकर आम आदमी पार्टी सहित सभी सेक्युलर दल चुप हैं। यह चुप्पी जितनी भयावह है उतना ही भयावह वह शोर है जो एक बच्ची के उस चरित्र को लांछित करने का प्रयास कर रहा है, जिसका अभी इलाज चल रहा है।
अखिलेश यादव अपने मुस्लिम वोट बैंक के चलते चुप हैं, तो वहीं सपा सांसद अपने आदमी के होने कारण अपराधी के पक्ष में हैं, मगर राष्ट्रीय चैनल क्यों एक बच्ची के चरित्र हनन में लगा है, यह समझ से परे है।
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