वक्फ संपत्तियों पर विवाद व वक्फ बोर्ड के अधिकारों को नियंत्रित करने की उठ रही मांग को लेकर वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन की तैयारी हो रही है। बीते दिनों वक्फ अधिनियम में 40 संशोधनों के प्रस्ताव को कैबिनेट की बैठक में स्वीकृति दी गई। कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन इसके विरोध में उतर आए हैं। ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर विवादित बयान देते हुए कहा कि अब मुसलमानों को सड़क पर आना होगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक मौलाना ने किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि जैसे किसानों ने बलिदान देकर तीन कानून वापस करवाए थे, वैसे ही अब मुसलमानों को सड़क पर आकर अपने हक की लड़ाई संवैधानिक तौर पर लड़नी होगी।
मौलाना ने कहा, “वक्फ को समझना जरूरी है। यह हमारे भले के लिए है और सरकार ने संवैधानिक तौर पर हमें वक्फ का अधिकार दिया है। अभी मुसलमान खामोश है। हमारी बहुत सारी प्रॉपर्टी अभी राज्य सरकार और केंद्र सरकार के पास है। इनको (सरकार) डर है कि अगर मुसलमान अपना हक मांगने लगेगा तो मुसलमान जग जाएगा।” मौलाना ने यह भी कहा कि बीजेपी देश में ऐसा माहौल बना रही है कि देश का दोबारा बंटवारा हो।
वहीं इस मुद्दे पर विपक्ष नैरेटिव बना रहा है कि मोदी सरकार ने उत्तर प्रदेश में उपचुनावों, हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक लाभ लेने के लिए यह कदम उठाया है।
मौलाना पहले भी कर चुका है हिंदू धर्म का अपमान
इससे पहले भी मौलाना रशीदी कई बार हिंदू धर्म का अपमान कर चुका है। वर्ष 2023 में, हिंदू विरोधी बयान देने के कारण मौलाना पर मामला दर्ज किया गया था।उसने कहा था कि इस्लामी तानाशाह महमूद गजनवी ने काफिरों से नफरत के कारण सोमनाथ मंदिर को नष्ट नहीं किया था, बल्कि मंदिर के अंदर हो रहे कथित ‘गलत कामों’ को रोकने के लिए किया था। सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के महाप्रबंधक विजयसिंह चावड़ा ने उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।
आखिर सरकार को क्यों करना पड़ रहा है वक्फ अधिनियम में संशोधन
सत्तारूढ़ भाजपा का कहना है कि वक्फ अधिनियम में संशोधन मुस्लिम समुदाय की लंबे समय से चली आ रही मांग के कारण किया जा रहा है। बताया जाता है कि मुस्लिम बुद्धिजीवी, महिलाएं, शिया और बोहरा जैसे मुस्लिम समुदाय लंबे समय से वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन की मांग कर रहे हैं? देश में अभी 30 वक्फ बोर्ड हैं। सभी वक्फ संपत्तियों से प्रति वर्ष 200 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है। बोर्ड में केवल शक्तिशाली लोग ही शामिल हैं। भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे थे। इसमें राज्य व केंद्र सरकार दखल नहीं दे सकती हैं। लेकिन संशोधन के बाद चीजें स्पष्ट हो जाएंगी। बोर्ड किसी भी संपत्ति पर बिना सत्यापन आधिपत्य घोषित नहीं कर सकेगा। वक्फ बोर्ड को अपनी संपत्ति जिलाधिकारी के दफ्तर में पंजीकृत करानी होगी, ताकि संपत्ति का मूल्यांकन हो सके।
यूपीए सरकार ने 2013 में वक्फ बोर्ड की शक्तियों को बढ़ाया था
रिपोर्ट्स के मुताबिक, वर्ष 2013 में 1995 के मूल वक्फ अधिनियम में बदलाव करके बोर्ड की शक्तियों को बढ़ाया गया था। बोर्ड के पास वर्तमान में किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने का अधिकार है। इसके पीछे दलील दी जाती है कि यह जरूरतमंद मुस्लिमों की भलाई के लिए है, जबकि सच्चाई इससे परे है। बताया जाता है कि कुछ प्रभावशाली लोग इसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। कई संपत्तियों को जबरन भी वक्फ संपत्ति घोषित करने का विवाद है।
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