बांग्लादेश में हो रहा आरक्षण विरोधी प्रदर्शन एक बार फिर से हिंसक हो गया है। देश में हो रहा कथित भेदभाव विरोधी आंदोलन कई शहरों में हिंसक हो गया है, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई है। इस हिंसा में कई पुलिस अधिकारियों समेत कई लोग बुरी तरह से घायल हो गए हैं।
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ढाका ट्रिब्यून ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि कथित न्याय की मांग और 9 सूत्री एजेंडे के कार्यान्वयन से प्रेरित विरोध प्रदर्शनों के लिए सिलहट, चटगांव, कोमिला, फरीदपुर, बोगरा, गाजीपुर, तंगेल, राजशाही औऱ नौगांव जैसे शहरों में छात्र और स्थानीय लोग विरोध प्रदर्शन करने के लिए सड़कों पर उतर गए।
स्थिति अब और अधिक घातक हो गए हो गई है। प्रदर्शनकारियों ने हिंसा के दौरान कई पुलिस गाड़ियों में आग लगा दी और कई व्यवसायिक संस्थानों में भीषण तोड़फोड़ कर दी। प्रदर्शनकारियों को कंट्रोल करने के लिए पुलिस ने रबर की गोलियां और आंसू गैस के गोले दागे। बावजूद इसके प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर ईंट, जूते और चप्पल फेककर मारा। प्रदर्शनकारियों पुलिस बॉक्स में आग लगा दी और हिंसा करते हुए बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की भित्तिचित्रों को खराब करके सार्वजनिक संपत्तियों को भी तहस-नहस थी।
गौरतलब है कि पिछली जुलाई में हुए आरक्षण विरोधी आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के दौरान अपनी जान गंवाने वाले 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। उन्हीं को न्याय को दिलाने के लिए ये प्रदर्शन किए जा रहे हैं। वहीं हालातों को बिगड़ने से बचाने के लिए प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद की सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगा दिया था।
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रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब, टिकटोक, व्हाट्सएप समेत दूसरे प्लेटफॉर्म को बैन कर दिया है। इसके साथ ही भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन ने शनिवार और रविवार से अपने अगले कार्यक्रम का ऐलान करते हुए पूर्ण असहयोग आंदोलन शुरू करने का आह्वान किया था।
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