प्रभु श्रीराम पर राजनीतिक वक्तव्य देना अभी तक जारी है। एक बार फिर से तमिलनाडु के डीएमके के नेता ने प्रभु श्रीराम का एक बार फिर से अपमान किया है। डीएमके नेता एस एस शिवशंकर ने यह दावा किया कि प्रभु श्रीराम के अस्तित्व का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है।
अरियालुर में एक समारोह में बोलते हुए शिवशंकर ने यह कहा कि यह हर किसी का उत्तरदायित्व है कि वह राजेन्द्र चोल (चोल साम्राज्य के राजेन्द्र प्रथम) की विरासत को आगे लेकर जाएं, नहीं तो लोग उसका पालन करने के लिए बढ़ी होंगे, जिससे उनका कोई संबंध नहीं है।“
उन्होंने आगे कहा कि राजेन्द्र चोल ने अपने जीवन में तालाब बनवाए, उनके द्वारा मंदिर बनवाए गए और उनका नाम ग्रंथों में मिलते हैं, मगर अभी तक ऐसा कोई भी प्रमाण नहीं मिलता है कि राम भी थे। वे राम को एक अवतार कहते हैं। एक अवतार कभी भी पैदा नहीं हो सकता। यह हमारे इतिहास को दबाने, हमें दबाने और किसी और इतिहास को महान बताने के लिए प्रयोग किया जाता है।
डीएमके नेता के इस बयान को लेकर लोग राहुल गांधी से प्रश्न कर रहे हैं कि आखिर इस प्रकार के बयानों के बाद राहुल गांधी क्यों अपने सहयोगियों पर कोई कदम नहीं उठाते हैं। वैसे डीएमके का इतिहास प्रभु श्रीराम के अपमान का ही रहा है। प्रभु श्रीराम को नीचा दिखाने की परंपरा डीएमके में नई नहीं है, क्योंकि एम करुणानिधि ने एक बार नहीं बल्कि कई बार प्रभु श्रीराम का अपमान किया था। उन्हें पियक्कड़ से लेकर यह तक कहा कि क्या राम इंजीनियर थे?
अब तमिलनाडु के परिवहन मंत्री थिरु शिव शंकर ने यह कहा है कि प्रभु श्रीराम का कोई ऐतिहासिक रिकार्ड नहीं है। इसे लेकर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट लिखकर कहा कि डीएमके के नेताओं का प्रभु श्रीराम के प्रति अचानक से उभरा हुआ प्रेम चौंकाने वाला है। उन्होनें लिखा कि पिछले ही सप्ताह डीएमके के कानून मंत्री थिरु रघुपति ने यह घोषणा की थी कि भगवान श्रीराम सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता के आदर्श थे और जिन्होनें सभी के लिए समानता की बात की थी।
घोटाले से घिरे परिवहन मंत्री थिरु शिव शंकर यह कह रहे हैं कि प्रभु श्री राम थे ही नहीं, और यह सब चोल साम्राज्य के इतिहास को मिटाने का एक प्रयास है।
उन्होंने लिखा कि यह बहुत ही हैरान करने वाला है कि डीएमके के नेताओं की याददाश्त कितनी तेजी से धुंधली हो जाती है। क्या ये वही लोग नहीं हैं, जो नई संसद के परिसर में चोल वंश के सेंगोल को माननीय प्रधानमंत्री द्वारा स्थापित किए जाने का विरोध कर रहे थे?
उन्होंने यह भी कहा कि वर्ष 1967 से तमिलनाडु का इतिहास मानने वाली डीएमके अब देश के समृद्ध इतिहास और संस्कृति के प्रति प्रेम का प्रदर्शन कर रही है।
हाल ही में डीएमके के कानून मंत्री भी प्रभु श्रीराम के इस उल्लेख के साथ चर्चा में आ गए थे कि प्रभु श्रीराम डीएमके के द्रविड़ मॉडल के आदर्श हैं। इसे लेकर भी भारतीय जनता पार्टी ने अपना विरोध दर्ज कराया था।
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