केरल के वायनाड में बाढ़ और भूस्खलन के कारण मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। इन सबमें सबसे अधिक मुंडक्कई की हालत सबसे अधिक खराब है, जहां बड़े पैमाने पर चलाए गए अभियान के दौरान 18 शव बरामद किए गए हैं। इसके साथ ही चलियार नदी में पांच शव और 10 शवों के अंग भी पाए गए हैं। इसी के साथ प्राकृतिक आपदा में मरने वाले लोगों की संख्या 338 हो गई है।
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रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भूस्खलन के चार दिन के बाद भी 280 लोगों का पता नहीं चल पाया है। राज्य सरकार के आंकड़ों में 210 लोगों के मरने की खबर है। कीचड़ और मलबे में फंसे लोगों की तलाश के लोगों के साथ ही मशीनरी और उन्नत सेंसर की मदद ली जा रही है। राहत और बचाव अभियान में सेना, नौसेना और राज्य सरकार के अधीन विभिन्न विभागों समेत 640 टीमें दिन रात काम कर रही हैं।
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राज्य स्वास्थ्य विभाग और सेना चिकित्सा सेवाओं के अलावा तमिलनाडु सरकार द्वारा नियुक्त सात सदस्यीय टीम भी इस क्षेत्र में चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए मौजूद हैं। वायनाड कोझीकोड और मलप्पुरम जिलों के विभिन्न अस्पतालों में घायल 84 लोगों का इलाज किया जा रहा है।
हाथी बने फरिश्ता
इस बीच बाढ़ प्रभावित केरल के मेप्पाडी में भूस्खलन से प्रभावित एक परिवार जब बुरी तरह से घर की छत ढहने लगी तो परिवार के लोग परेशान हो गए। सुजाता अनिंनाचिरा और उनके परिवार के लिए ये चमत्कार की तरह ही है। दरअसल, भूस्खलन से किसी तरह से अपनी जान बचाकर वहां से भागे तो उन्हें समझ नहीं आया कि कहां जाएं। वो लोग ये सोच ही रहे थे कहां जाएं। तभी वरदान बनकर वहां एक नर और दो मादा हाथी वहां पहुंचे। हाथियों के वहां पहुंचने पर पहले तो वो लोग डर गए।
सुजाता ने बताया कि हमने भगवान से हाथ जोड़कर प्रार्थना की और हाथियों से शरण मांगी। हैरानी तब हुई कि जब हाथियों ने कुछ नहीं कहा, बल्कि हाथियों ने पूरी रात उन लोगों की सुरक्षा की। जब वहां से हमने जाने लगे तो हाथियों की आंखों से आंसू निकलने लगे। सुजाता ने बताया कि भूस्खलन में वह, उनके पति, बेटी और दो पोते-पोतियों का जिंदा बचना वह चमत्कार ही मान रही हैं।
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