विश्लेषण

पेरिस ओलंपिक: ‘जैविक पुरुष’ से हारकर रोने लगी महिला बॉक्सर, खुद को महिला मानने वाले पुरुषों की महिलाओं से प्रतिस्पर्धा?

लाल जर्सी में खुद को महिला मानने वाली इमेन खेलिफ़ ने एंजेला कैरिनी के चेहरे पर इतनी तेज मारा कि एंजेला का ओलंपिक्स का सपना बिखर गया।

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सोनाली मिश्रा

पेरिस में चल रहे ओलंपिक्स आयोजन में एक विवाद तब और जुड़ गया, जब इटली की एंजेला कैरिनी ने केवल 46 सेकंड में ही खेलने से इनकार कर दिया और फिर फूट-फूट कर रोने लगी। यह आँसू हार के आँसू नहीं थे, ये आँसू किसी भी विफलता के आँसू नहीं थे, मगर ये आँसू उस छल के आँसू थे जो महिला खिलाड़ियों के साथ इन दिनों हो रहा है। लाल जर्सी में विजेता दिख रही महिला दरअसल जैविक रूप से पुरुष है, और खुद को महिला मानती है और कुछ हार्मोनल उपचारों के बाद उसे महिला मानते हुए महिला खेलों में उसे महिलाओं के साथ प्रतिस्पर्धा में उतारा गया है।

लाल जर्सी में खुद को महिला मानने वाली इमेन खेलिफ़ ने एंजेला कैरिनी के चेहरे पर इतनी तेज मारा कि एंजेला का ओलंपिक्स का सपना बिखर गया। कोई कितना भी समानता की बात कहे, यह पूरी तरह से सत्य है कि महिला और पुरुष दो अलग-अलग श्रेणियाँ होती हैं और यदि कोई तीसरी श्रेणी का है अर्थात खुद को महिला मानने वाला या खुद को पुरुष मानने वाला, तो उनकी अलग श्रेणी बनाई जा सकती है। परंतु इस प्रकार जैविक रूप से महिलाओं के साथ जैविक रूप से पुरुषों की भिड़ंत बहुत ही भयावह है।

यह उन आंसुओं में देखी जा सकती है, जो इटली की एंजेला कैरिनी की आँखों से उस पराजय के बाद बह रहे थे, जब उन्होनें 46 सेकंड के बाद खेलने से इनकार करके पराजय स्वीकार कर ली थी। मगर इससे भी भयावह और भी चीजें हैं। ओली लंदन नामक यूजर ने एक वीडियो साझा किया। जिसमें जैविक पुरुष और खुद को महिला माँने वाला इमेन खेलिफ़ एंजेला कैरिस को “पराजित” करने के बाद उसके वक्षस्थल को छू रहा है।

कैरिनी ने खेलिफ़ के साथ हाथ भी मिलाने से इनकार कर दिया था और उसके बाद वे जमीन पर बैठ कर फूट फूट कर रोने लगी थीं। उन्होनें पत्रकारों से बात करते हुए कहा “मैं टूट चुकी हूँ। मैं अपने पिता का मान रखने के लिए रिंग में गई थी। मुझे कई बार बताया गया कि मैं एक योद्धा ऊन, मगर मैं अपनी सेहत को लेकर रुक गई थी। मैंने ऐसा “पंच” आज तक नहीं देखा था!”

यह कल्पना ही नहीं की जा सकती है कि एक ऐसा व्यक्ति जिसकी शारीरिक कद काठी एवं ताकत पूरी तरह से पुरुषों की हो, मगर वह खुद को महिला मानता है और कुछ उपचारों के आधार पर उसे महिला घोषित कर दिया जाए, वह महिलाओं के साथ ऐसी प्रतिस्पर्धा में भाग ले? मगर ओलंपिक्स समिति के अनुसार “सभी को बिना किसी भेदभाव के खेलों को खेलने का अधिकार है!”

परंतु वे कथित महिलाएं, जिनमें अभी तक पुरुषों की ही जेनेटिक खूबियाँ हैं, क्या उन्हें महिला खिलाड़ियों के खिलाफ रिंग में उतारना चाहिए? यह ऐसा प्रश्न है जो अनेक महिला खिलाड़ियों के सामने आएगा, जब भी उनके सामने देह से आदमी मगर मन से महिला खिलाड़ी सामने आएगी। एंजेला ने भी कहा कि “वे खिलाड़ी, जिनमें पुरुष जेनेटिक विशेषताएं हैं, उन्हें महिला प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेने की अनुमति नहीं होनी चाहिए।“

मगर इन दिनों ऐसा कहना अपराध है कि खुद को महिला मानने वाले लोग महिला श्रेणी से अलग रहें। यह उनकी स्वतंत्रता और निजता पर हमला माना जा सकता है। एक ऐसा विमर्श बना दिया गया है कि वही लोग सामान्य हैं, जिनके भीतर यह असामान्यता है। हाल ही में एलन मस्क का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें उन्होनें कहा था कि वोक विचारधारा ने उनसे उनका बेटा छीन लिया। दरअसल उनका एक बेटा भी लड़की बन गया है और इसी को लेकर वे दुखी हैं।

वहीं सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जहां अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक्स समिति ने खेलिफ़ को ओलंपिक्स में खेलने की अनुमति दी है, तो वहीं, अंतर्राष्ट्रीय बॉक्सिंग एसोसिएशन, जो ऐसी प्रतिस्पर्धाओं का आयोजन करती है, उसने खेलिफ़ को अपात्र घोषित किया था और एथलीटो को टेस्टोस्टेरोन जांच का सामना नहीं करना पड़ा था, बल्कि उनकी एक एक अलग और मान्यता प्राप्त जांच की गई थी। न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार एसोसिएशन ने कहा कि जांच और बारीकियाँ गोपनीय थीं और वे “निर्णायक रूप से यह संकेत दे रही थीं कि दोनों एथलीट आवश्यक पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करते थे और उन्हें अन्य महिला प्रतियोगियों की तुलना में प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्राप्त था।

अर्थात जांच में यह पाया गया कि फीमेल प्रतिस्पर्धियों की तुलना में वे बहुत लाभदायक स्थिति में थे। खेलिफ को पिछले ओलंपिक्स में अपात्र घोषित कर दिया गया था। मगर इसे लेकर भी ओलंपिक्स समिति का कहना है कि वह अचानक और अन्यायपूर्ण निर्णय था और उन्होंने पेरिस में खेलने के अधिकार की रक्षा की है। पूरी दुनिया से यह प्रश्न उठ रहे हैं कि आखिर जैविक रूप से पुरुषों को महिलाओं के साथ कैसे खिलाया जा सकता है? सोशल मीडिया पर पोस्ट्स की जा रही हैं। मगर आज जब फेमिनिस्ट कार्यकर्ताओं की सबसे अधिक आवश्यकता है कि वे महिला खेलों पर मंडरा रहे इस खतरे का विरोध करें, तो वे गायब हैं।

क्या यह महिला खेलों पर या महिला प्रतिभागिता पर हमला नहीं है कि महिलाओं के खेलों में जैविक पुरुषों अर्थात देह से पुरुष और मन से महिला, वाले वर्ग का कब्जा हो जाए और महिलाएं इन खेलों से बाहर ही हो जाएं? यह महिलाओं के लिए सबसे बड़ा खतरा है और यह ऐसे छद्म रूप में आया है, जिसका विरोध करने का अर्थ है वोक अर्थात कथित प्रगतिशील वर्ग के कोप का शिकार बनना कि “समानता के अधिकारों के दुश्मन” ऐसी बात कर सकते हैं।

परंतु क्या यही समानता है? क्या इस कथित समानता के साए में उन सभी लोगों के अधिकारों को दबाया जा सकता है, जो महिला श्रेणी में खेल रही हैं? जब एंजेला की यह रोती हुई तस्वीर वायरल हो रही थी, तो उसी समय एक और समाचार सुर्खियों में आया और इसमें 17 वर्षीय वालीबॉल खिलाड़ी पेटों मैकनैब की वह कहानी सामने आई, जिसमें “ट्रांसजेंडर” प्रतिस्पर्धी द्वारा की गई क्रूरता सम्मिलित थी।

17 वर्षीय वालीबॉल खिलाड़ी पेटों मैकनैब पर उनके पाँच फुट 11 इंच लंबे “ट्रांसजेंडर” महिला प्रतिस्पर्धी ने इस प्रकार वार करके जमीन पर गिराया था कि उनका खिलाड़ी बनने का सपना हमेशा के लिए टूट गया। उनका बायाँ आधा शरीर लकवाग्रस्त हो गया। पेटों मैकनैब भी इस बात को लेकर बहुत गुस्सा हैं कि कैसे ट्रांसजेंडर महिलाओं को महिलाओं के साथ खिलाया जा रहा है।

यह महिलाओं के अस्तित्व पर सबसे बड़ा हमला है और उन्हें हर प्रतिस्पर्धा, हर क्षेत्र से बाहर निकालकर उसी अंधे कोने में धकेलने की योजना है, जिसमें अब्राहमिक जगत उन्हें रखना चाहता है।

ओलंपिक गेम्स 2024 – वीडियो

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