अन्य ‘शरणार्थियों’ की तरह मौलवी अल हबीब के मन में भी पश्चिम को अपने काबू में करने की शरारत उफन रही है। उसे ब्रिटेन के अन्य ‘शरणार्थियों’ की तरह ब्रिटेन के कायदे—कानूनों से चिढ़ है, उन्हें न मानकर वह भी एक आम मजहबी उन्मादी जैसी सोच रखता है।
कट्टरपंथी इस्लामवादी मौलवी शेख यासर अल हबीब एक खतरनाक एजेंडे पर काम कर रहा है। वह कतर से भाग कर यूके आया है और अब यहीं रह कर अपनी कट्टर इस्लामवादी सोच के तहत एक ऐसे मंसूबे पर काम कर रहा है जो अगर पूरा हुआ तो पश्चिम में मजहबी उन्मादियों का ऐसा कहर बरप सकता है जिसे यूके ही नहीं, अन्य देशों को भी झेलना पड़ सकता है। आइए जानते हैं इस मौलवी का वह खतरनाक जिहादी एजेंडा क्या है!
यह मौलवी शेख यासर अल हबीब जानता है कि दुनिया में 56 इस्लामी देश हैं जहां कमोबेश हिंसक उठापटक चलती रहती है, जहां के ‘शरणार्थी’ चोरी—छुपे पश्चिमी देशों में ठिकाने बनाते आ रहे हैं और उन देशों में आम लोगों का जीना हराम किए हुए हैं। लेकिन अब इस मौलवी को यूरोप के ठीक बीच में एक और नया ‘इस्लामी स्टेट’ चाहिए। अपने इसी मंसूबे पर वह काफी आगे तक बढ़ चुका है।
अपनी इसी नफरती संदिग्ध योजना पर काम करते हुए वह चाहता है कि स्कॉटलैंड के पास वाले टापू पर एक इस्लामी स्टेट बसाया जाए। इसके लिए उसने उस टोर्सा टापू को खरीदने की कोशिशें शुरू कर दी हैं।
यहां यह ध्यान रहे कि वह तथाकथित मौलवी ब्रिटेन में ‘शरणार्थी’ बनकर आया है और उसी नाते वहां रह रहा है। लेकिन अन्य ‘शरणार्थियों’ की तरह उसके भी मन में पश्चिम को अपने काबू में करने की शरारत उफन रही है। उसे ब्रिटेन के अन्य ‘शरणार्थियों’ की तरह ब्रिटेन के कायदे—कानूनों से चिढ़ है, उन्हें न मानकर वह भी एक आम मजहबी उन्मादी जैसी सोच रखता है।
कट्टर सोच वाला मौलवी अल हबीब टोर्सा टापू पर इस्लामिक स्टेट बनाने के लिए पैसा जुगाड़ने में लगा है। वह दुनिया के तमाम देशों के मुसलमानों को इस्लामी तकरीरों से उकसा कर पैसा भेजने की अपीलें करता आ रहा है।
इस कट्टरपंथी मौलवी की शरारती सोच वहां ‘इस्लामी देश’ खड़ा करके मदरसे, अस्पताल और मस्जिदें बनाना चाहता है। वह चाहता है ऐसा मुल्क बसे जहां शरिया कानून ही चले।
इस मजहबी कट्टर मौलवी के इस ‘प्लान’ पर ब्रिटेन के सुप्रसिद्ध अखबार द मेल ने विस्तृत रिपोर्ट छापी है। रिपोर्ट बताती है उस उन्मादी मौलवी के अनेक अनुयायी हैं। इन्होंने एक जमात जैसी बना रखी है।
स्कॉटलैंड के पास टोर्सा टापू वीरान है, जहां गत 85 वर्ष से कोई बसा नहीं है। स्लेट द्वीप समूह का हिस्सा टोर्सा को बेचने के लिए गत वर्ष 1.5 मिलियन पाउंड यानी करीब सवा सोलह करोड़ भारतीय रुपए की कीमत रखी गई थी। एक विज्ञापन जारी करके यह घोषणा भी की गई थी। बस शायद तभी से उस कट्टर मौलवी के दिमाग में यह शैतानी मंसूबा पलने लगा था।
उक्त अखबार की रिपोर्ट आगे बताती है कि मौलवी शेख यासर ट्रेनिंग कैंप चलाता है जिनमें मिलिट्री ट्रेनिंग दी जाती है। इसी मौलवी ने विश्व भर के मुसलमानों से अपनी अपीलके जरिए लगभग 32 करोड़ रुपये जुटा लिए हैं। इस अपील में अल हबीब ने वीडियो संदेश में कहा था कि अगर तुम इस्लाम के झंडे तल आजादी से रहना चाहते हो, ऐसी जगह जहां रहकर लगे कि ये शिया मदरलैंड है तो तुम्हें इस प्लान के पाले में खड़े होना चाहिए, इसमें मदद करनी चाहिए।
यह मौलवी 20 साल पहले कुवैत से पलायन करके यूके आ बसा था। उसने यूके के दक्षिण बंकिघमशायर में फुलमर नाम के गांव में ‘शरण’ ली हुई है। ‘फुलमर का मुल्ला’ नाम से पहचाने जाने वाले इस मौलवी पर शिया—सुन्नी के बीच तनाव फैलाने के आरोप लगे हैं। इस मौलवी ने एक स्थानीय चर्च में अपना ही एक ‘सैटेलाइट टीवी ‘फदाक’ नाम से चला रखा है, इसी के जरिए उसने पैसा इकट्ठा करने की अपील प्रसारित की थी।
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