भारत की निशानेबाज मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में दो पदक जीतकर ऐसा अविस्मरणीय इतिहास रच दिया है, जो ओलंपिक के 124 वर्षों के इतिहास में भारत का कोई भी एथलीट नहीं कर पाया था। 28 जुलाई को 10 मीटर एयर पिस्टल शूटिंग के महिला वर्ग में कांस्य पदक जीतने के बाद 30 जुलाई को 10 मीटर एयर पिस्टल के मिक्स्ड टीम इवेंट में भी कांस्य पदक जीतने के साथ ही वह एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बन गई हैं। मनु ने सरबजीत सिंह के साथ मिलकर अपना दूसरा पदक जीता। वर्ष 1900 के ओलंपिक में ब्रिटिश मूल के भारतीय खिलाड़ी नॉर्मन प्रिचार्ड ने 200 मीटर फर्राटा और 200 मीटर बाधा दौड़ में दो रजत पदक जीते थे लेकिन वह उपलब्धि देश की आजादी से बहुत पहले की थी।
मनु भाकर और सरबजोत सिंह की जोड़ी ने 30 जुलाई को पेरिस ओलंपिक के 10 मीटर मिक्स्ड टीम इवेंट में दक्षिण कोरिया की ली वोन्हो और ओह ये जिन की जोड़ी को 16-10 से हराकर कांस्य पदक अपने नाम किया। मनु के दो पदकों के साथ पेरिस ओलंपिक में भारत का यह दूसरा पदक है। भारत ने दोनों पदक शूटिंग में ही जीते हैं। मनु और सरबजोत की जोड़ी ने इस मुकाबले में लगभग एक जैसा ही प्रदर्शन किया। मनु ने 10 बार 10 या इससे अधिक का स्कोर किया तो सरबजोत सिंह ने 9 बार यह कारनामा किया यानी भारतीय खिलाड़ियों ने कुल 26 में से 19 शॉट में 10 से अधिक का स्कोर किया। दूसरी ओर कोरियाई जोड़ी केवल 12 बार ही ऐसा कर सकी।
मनु भाकर से पहले ओलंपिक इतिहास में केवल दो भारतीय खिलाड़ी ही ऐसे हुए हैं, जिन्होंने एकल स्पर्धा में दो पदक जीते थे। 2008 और 2012 के ओलंपिक में सुशील कुमार ने कुश्ती में कुल दो पदक जीते थे। स्टार शटलर पीवी सिंधु ने भी 2016 और 2020 में कुल दो पदक जीते थे। सुशील कुमार और पीवी सिंधु ने अपने पदक अलग-अलग ओलंपिक में जीते थे लेकिन मनु भाकर ने एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतकर सुशील कुमार और पीवी सिंधु को भी बहुत पीछे छोड़ दिया है। इससे पहले 28 जुलाई को मनु भाकर ने ओलंपिक में भारत के पदक का खाता खोलते हुए भी इतिहास रचा था।
दरअसल मनु ने तब कांस्य पदक जीतकर न केवल शूटिंग में भारत के पदक के 12 वर्ष के सूखे को खत्म किया था बल्कि वह शूटिंग पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला शूटर भी बन गई थी। इससे पहले 2012 के लंदन ओलंपिक में गगन नारंग और विजय कुमार ने शूटिंग में पदक जीते थे। पहला कांस्य पदक जीतने के साथ ही मनु को ओलंपिक के इतिहास में भारत के लिए निशानेबाजी में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला होने का गौरव हासिल हुआ था।
भारत के लिए मनु का वह पदक इसलिए भी बेहद खास था क्योंकि शूटिंग में वह ओलंपिक के इतिहास में भारत का केवल पांचवां पदक था। यही नहीं, मनु से पहले पदक जीतने वाले चारों पुरुष एथलीट थे, भारत की किसी महिला खिलाड़ी ने ओलंपिक खेलों के इतिहास में शूटिंग में पहली बार पदक जीता है। कांस्य पदक जीतने के साथ ही मनु भाकर राज्यवर्धन सिंह राठौड़, अभिनव बिंद्रा, गगन नारंग और विजय कुमार के ओलंपिक विजेता क्लब में शामिल हो गई हैं। राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने 2004 के एथेंस ओलंपिक में रजत पदक, अभिनव बिंद्रा ने 2008 के बीजिंग ओलंपिक में स्वर्ण पदक, 2012 के लंदन ओलंपिक में विजय कुमार ने रजत और गगन नारंग ने कांस्य पदक जीता था।
मनु भाकर ने दूसरी बार ओलंपिक में हिस्सा लिया है। इससे पहले मनु ने टोक्यो ओलंपिक में पहली बार भाग लिया था लेकिन पदक जीतने से चूक गई थी। इस बार जबरदस्त वापसी करते हुए उन्होंने ओलंपिक की एयर पिस्टल प्रतिस्पर्धा में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए अपने शानदार प्रदर्शन की बदौलत देश को ऐसा गौरव प्रदान किया है, जिससे हर देशवासी का सीना गर्व से चौड़ा हो गया है। मनु ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में डेब्यू किया था लेकिन 10 मीटर एयर पिस्टल क्वालिफिकेशन के दौरान उनकी पिस्टल खराब हो जाने के कारण उन्हें पदक से वंचित रहना पड़ा था।
उन्होंने 2018 के आईएसएसएफ विश्व कप में भारत के लिए दो स्वर्ण पदक जीते थे और उस प्रतिस्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली वह भारत की सबसे कम उम्र की महिला खिलाड़ी थी। पिछले साल मनु हांगझोऊ एशियाई खेलों में भी खेली थी लेकिन करीब नौ महीने पहले तक वह 10 मीटर एयर पिस्टल की भारतीय टीम में भी शामिल नहीं थी। 10 मीटर एयर पिस्टल में वापस प्रभुत्व स्थापित करने के उद्देश्य से मनु ने एशियाई खेलों से पहले ही पिछले तमाम विवादों को भुलाते हुए कोच जसपाल राणा का हाथा थामा था और आखिरकार एशियाई खेलों के बाद ओलंपिक में भी मनु का समर्पण तथा कोच जसपाल का साथ उनके काम आया।
मनु ने अपने बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर ओलंपिक में न केवल 10 मीटर एयर पिस्टल की ओलंपिक टीम में जगह बनाई थी बल्कि 27 जुलाई को क्वालिफाइंग दौर में 580 का विश्वस्तरीय स्कोर करते हुए तीसरे स्थान पर रहते हुए इस इवेंट के फाइनल में जगह बनाकर शूटिंग में भारत के पदक जीतने की उम्मीदें पक्की कर दी थी। ओलंपिक खेलों में भारत के अन्य निशानेबाजों की खराब शुरुआत को पीछे छोड़कर आत्मविश्वास से भरी मनु ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 10 मीटर महिला एयर पिस्टल स्पर्धा के फाइनल में प्रवेश किया था और 60 शॉट्स के क्वालिफिकेशन राउंड में 580 का स्कोर करके तीसरा स्थान हासिल किया था जबकि हंगरी की निशानेबाज वेरोनिका मेजर 582 के स्कोर के साथ शीर्ष पर रही थी।
भाकर ने पहली सीरीज में 97, दूसरी में 97, तीसरी में 98, चौथी में 96, 5वीं में 96 और छठी में 96 अंक हासिल किए और फाइनल में उनका मुकाबला वियतनाम, तुर्किये, कोरिया, चीन, तथा हंगरी के खिलाड़ियों से हुआ। महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा के फाइनल में मनु ने शुरू से ही तीसरा स्थान बरकरार रखा और 221.7 के स्कोर के साथ तीसरा स्थान ही हासिल करते हुए कांस्य पदक अपने नाम किया। इस स्पर्धा का स्वर्ण पदक दक्षिण कोरिया की निशानेबाज ओह ये जिन ने 243.2 के स्कोर के साथ जबकि रजत पदक दक्षिण कोरिया की ही किम येजी ने 241.3 के स्कोर के साथ अपने नाम किया।
2021 के ओलंपिक में मनु भाकर सातवें स्थान पर रही थी जबकि 2023 के एशियाई खेलों में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता था। वह पेरिस ओलंपिक में 21 सदस्यीय भारतीय शूटिंग टीम से कई व्यक्तिगत स्पर्धाओं में हिस्सा लेने वाली एकमात्र एथलीट हैं। मनु के अंदर बचपन से ही खेलों को लेकर एक अलग ही जुनून था। इसी जूनून के चलते उन्होंने अपने स्कूली दिनों में टेनिस, स्केटिंग और मुक्केबाजी सहित कई खेलों में हिस्सा लिया। एक दिन मुक्केबाजी की प्रैक्टिस के दौरान मनु की आंख पर गहरी चोट लग गई थी, उसके बाद मनु ने कभी कबड्डी के मैदान में तो कभी कराटे में भी हाथ आजमाया।
प्राथमिक रूप से शूटिंग को कैरियर के रूप में चुनने से पहले मनु ने स्केटिंग, मार्शल आर्ट्स, कराटे, कबड्डी सहित कई खेल खेले और अंततः निशानेबाजी में ही अपना कैरियर बनाने का निश्चय किया। हालांकि अन्य छात्रों की भांति मनु भी 9वीं कक्षा तक डॉक्टर बनने के ही सपने देखा करती थी और इसी कारण खेलों में जबरदस्त रूचि के साथ पढ़ाई-लिखाई में भी वह काफी तेज रही। 10वीं कक्षा के बाद उनके जीवन का अलग मोड़ तब आया, जब कक्षा में शीर्ष स्थान हासिल करने के साथ-साथ उनका चयन शूटिंग के लिए राष्ट्रीय टीम में हो गया। मनु ने अपने उस समय कोच रहे अनिल जाखड़ के कहने पर शूटिंग को एक अवसर दिया और 11वीं कक्षा में जब वह 16 साल की थी, तब उन्होंने न केवल कुछ प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में हिस्सा लिया बल्कि उन सभी में स्वर्ण पदक जीतकर उनके कैरियर को एक नई दिशा मिली।
निशानेबाजी के प्रति जोश और जूनून के कारण ही मनु विश्वस्तरीय बेहतरीन निशानेबाज बनने में सफल रही। 2018 में 16 साल की उम्र में मनु ने आईएसएसएफ विश्व कप में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए दो स्वर्ण पदक जीते और उसी साल राष्ट्रमंडल खेलों तथा यूथ ओलंपिक खेलों में भी हिस्सा लिया। उन दोनों प्रतियोगिताओं में भी मनु ने स्वर्ण पदक हासिल करते हुए साबित कर दिया था कि हरियाणा की यह खिलाड़ी यदि इसी जोश और जुनून के साथ खेलती रही तो बहुत जल्द ओलंपिक में भी भारत को पदक अवश्य दिलाएगी। इसी जुनून, जज्बे, मेहनत और आत्मविश्वास की ही बदौलत अब शूटिंग में देश की पहली महिला ओलंपिक विजेता बनकर मनु ने पेरिस में विजय पताका लहराकर पूरे देश को गौरवान्वित किया है। हरियाणा के झज्जर जिले में 18 फरवरी 2002 को जन्मी 22 वर्षीया निशानेबाज मनु भाकर इससे पहले 50 से ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय और 70 से ज्यादा राष्ट्रीय स्पर्धाओं में पदक जीत चुकी हैं।
मनु 2023 की विश्व चैंपियनशिप में बैकू में 25 मीटर पिस्टल टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक, 2022 में काहिरा में 25 मीटर पिस्टल टीम स्पर्धा में रजत पदक, दोहा में 2019 में एशियाई शूटिंग चैंपियनशिप में 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में स्वर्ण पदक, उसी वर्ष दोहा खेलों में 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम में स्वर्ण पदक, 2018 में गोल्डकोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में स्वर्ण पदक, युवा ओलंपिक खेलों में 2018 ब्यूनस आयर्स गेम्स में 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में स्वर्ण पदक और 2018 ब्यूनस आयर्स गेम्स में 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम स्पर्धा में रजत पदक अपने नाम कर चुकी हैं। भारतीय खेलों में उनके उल्लेखनीय योगदान के चलते 2020 में उन्हें प्रतिष्ठित ह्यअर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
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