केरल में वामपंथ की जमीन दरकनी शुरू हो गई है। पहले लोकसभा और अब वामपंथ का गढ़ माने जाने वाले केरल विश्वविद्यालय में भी भाजपा समर्थित प्रत्याशियों ने अपना झंडा गाड़ दिया है। केरल विश्वविद्यालय के सिंडिकेट चुनाव में इतिहास रचते हुए भाजपा ने दो सीटों पर जीत हासिल कर ली है।
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केरल कौमुदी की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 12 सीटों वाले केरल विश्वविद्यालय के सिंडिकेट इलेक्शन में 6 सीट वामपंथी एलडीएफ ने जीती हैं। दो सीट भाजपा समर्थित प्रत्याशी ने औऱ एक सीट पर कांग्रेस के कैंडिडेट अहमद फासिल को जीत हासिल हुई है। इसके अलावा 3 सीटों पर वामपंथी पहले से ही निर्विरोध चुने गए थे। बता दें कि सिंडिकेट चुनाव में जीत हासिल करने वाले भाजपा समर्थित कैंडिडेट राष्ट्रीय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष पीएस गोपकुमार और पालोडे बॉटैनिकल गार्डन के वरिष्ठ वैज्ञानिक और विश्व आयुर्वेद फाउंडेशन के राष्ट्रीय सचिव डॉ. विनोदकुमार टीजी हैं।
उल्लेखनीय है कि इस चुनाव में राज्यपाल द्वारा नामित 17 में से 4 छात्र प्रतिनिधियों, एक शिक्षक और 10 छात्र प्रतिनिधियों के वोटों का काउंटिंग ही नहीं की गई। इन सभी का कार्यकाल बीते 23 जुलाई को ही खत्म हो गया था। इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश में सिंडिकेट चुनाव के परिणाम को जारी करने का आदेश दिया था, जिसका वोटों की काउंटिंग हुई और रिजल्ट घोषित किए गए। हालांकि, 9 सीटें जीतने के बाद भी वामपंथियों ने केरल विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया। ये प्रदर्शन वामपंथी सीपीएम और एसएफआई के कार्यकर्ताओं ने किया।
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भाजपा समर्थित प्रत्याशी की जीत का कारण
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में भी भाजपा समर्थित प्रत्याशी ने एक लोकसभा सीट पर जीत हासिल की थी। यह दिखाता है कि प्रदेश में भाजपा का जनाधार बढ़ा है। लेकिन, विश्वविद्यालय के सिंडिकेट इलेक्शन को लेकर दावा किया जा रहा है कि इस चुनाव में क्रॉस वोटिंग हुई है। बताया जाता है कि चुनाव के दौरान सीपीआई और कांग्रेस के भी कुछ सदस्यों ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया था।
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