चीन की दादागीरी को ताइवान ने करारा जबाव देते हुए ताइवान ने चीनी कम्युनिस्म के खिलाफ एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन के वार्षिक सम्मेलन का आयोजन किया। इसमें 5 महाद्वीपों के 24 देशों के करीब 48 सांसदों ने हिस्सा लिया।
साउथ चाइना सी की रिपोर्ट के मुताबिक, ये सभी रविवार को ताइवान की राजधानी ताइपे में अंतर संसदीय गठबंधन (IPAC) में शामिल हुए। आईपैक ने कहा है कि बैठक में सांसदों द्वारा अपने गृह देशों में क्रॉस स्ट्रेट स्थिरता और शांति का माहौल बनाए रखने को लेकर एक समन्वित अभियान तैयार करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। इस बैठक में साइबर सिक्योरिटी एक बड़ा मुद्दा रहा है। उल्लेखनीय है कि ताइवान इस गठबंधन का हिस्सा नहीं है, बावजूद इसके उसने इस सम्मेलन को अपने यहां आयोजित किया है।
ताइवान को अपना मानता है चीन
गौरतलब है कि चीन ताइवान पर अपना दावा करता है, जबकि ताइवान एक स्वतंत्र राष्ट्र है। इसीलिए जब ताइवान ने इस सम्मेलन का आयोजन अपनी राजधानी में किया तो चीन इस पर भड़क गया है। बताया जा रहा है कि बीजिंग कथित तौर पर ताइपे गए सांसदों पर बैठक में शामिल नहीं होने को लेकर दबाव बनाने की कोशिशें कर रहा है। IPAC का आरोप है कि कम से कम पाँच देशों में चीनी राजनयिकों ने कार्यक्रम के लिए ताइपे जाने से “उन्हें डराने और रोकने के प्रयास में” उनके प्रस्थान से पहले आठ सांसदों से संपर्क किया है।
IPAC ने चीन की इस घटिया हरकत की कड़ी निंदा की है। गठबंधन ने कहा है कि लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए सांसद अपनी पसंद के कारणों का समर्थन करने और यात्राएं करने के लिए आजाद हैं उन्हें कोई नहीं रोक सकता है। एसोसिएटेड प्रेस ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि जिन लोगों से संपर्क किया गया और जिन पर दबाव डाला गया वे बोलीविया, कोलंबिया, स्लोवाकिया, उत्तरी मैसेडोनिया, बोस्निया और हर्जेगोविना के सांसद थे।
उल्लेखनीय है कि IPAC का गठन वर्ष 2020 में किया गया था, ताकि चीन की साम्राज्य विस्तार की नीतियों और बीजिंग की बढ़ती भू राजनीतिक शक्ति का सामना किया जा सके। IPAC में करीब 35 देश शामिल हैं।
टिप्पणियाँ