गत जुलाई को पुणे में मंदिर स्थापत्य तथा मूर्ति विज्ञान के वरिष्ठ शोधकर्ता डॉ. गो. बं. देगलूरकर द्वारा संशोधित और लिखित मराठी पुस्तक ‘अथातो बिंब जिज्ञासा’ का लोकार्पण हुआ। लोकार्पणकर्ता थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत।
उन्होंने डॉ. देगलूरकर को ऋषि परंपरा का वाहक बताते हुए कहा कि हमारे यहां जो मूर्ति पूजा है, वह साकार के माध्यम से निराकार का संधान करने वाली है। हर मूर्ति बनाने के पीछे विज्ञान है। उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में विश्व विभिन्न मार्गों पर लड़खड़ा रहा है, रुका हुआ है।
उसे भारत की परंपराओं से प्राप्त ज्ञान की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रस्तुत ग्रंथ राष्ट्रजीवन तथा ज्ञान परंपरा की ओर देखने के लिए सकारात्मक दृष्टि देने वाला और विवेक जगाने वाला है। डॉ. देगलूरकर ने चित्रों के माध्यम से मूर्ति विज्ञान का महत्व रेखांकित किया।
वस्तुत: मूर्तियों के वैज्ञानिक अध्ययन व आकलन के बिना हिंदू धर्म को पूरी तरह से नहीं समझा जा सकता। इसलिए मूर्तियों को समझिए, ताकि हिंदू धर्म का रहस्य समझ में आ सके।
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