भारत के इस पड़ोसी देश में कट्टरपंथी तत्व सत्ता पाने को छटपटा रहे हैं। वे नहीं चाहते कि शेख हसीना प्रधानमंत्री रहें और विकास के साथ साथ पड़ोसी हिन्दू बहुत भारत से मधुर संबंध बनाएं। इसलिए इस बार उन्होंने उस कोटा व्यवस्था की आड़ लेकर ‘छात्रों’ को भड़काकर बांग्लादेश में आग लगाई थी।
बांग्लादेश में पिछले दिनों छात्रों को आगे करके जिस प्रकार का उपद्रव, हिंसा और आगजनी का कहर बरपाया गया, उसके तार कहीं न कहीं पाकिस्तान से जुड़े थे। इस हिंसा के पीछे पूर्व प्रधानमंत्री और कट्टरपंथी मानी जाने वाली खालिदा जिया की पार्टी की भी भूमिका रही है। इस दंगे का षड्यंत्र लंदन में रचा गया था। यह दावा किया है गुप्तचर ब्यूरो की रिपोर्ट में। इस रिपोर्ट से भारत के पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला की वह बात सच साबित होती दिख रही है जिसमें उन्होंने इस पूरे उपद्रव के पीछे पाकिस्तान का हाथ होने का दावा किया था।
उजागर हुए षड्यंत्र से पता चलता है कि बांग्लादेश में पाकिस्तान की पिट्ठू जमाते इस्लामी के एक नेता ने ‘छात्रों’ के साथ जो सौदा किया था उसमें था कि एक छात्र की हत्या पर 5 हजार टका यानी भारत के 3,500 रु. तो एक पुलिस वाले की जान लेने पर 10 हजार टका यानी भारत के 7,000 रु. दिए जाएंगे।
बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कोटा व्यवस्था को मुद्दा बनाकर पिछले दिनों सड़कों पर उतरे ‘छात्रों’ ने ऐसा हिंसक आंदोलन खड़ा कर दिया था कि पूरा देश उपद्रव ग्रस्त हो गया था। जगह—जगह हिंसा और आगजनी की गई थी। लेकिन वह सब जिस षड्यंत्र के तहत किया गया था उससे पर्दा हट चुका है। रिपोर्ट में उस हिंसक उपद्रव के जिम्मेदार षड्यंत्रकारियों के नाम भी दिए गए हैं।
बांग्लादेश के गुप्तचर ब्यूरो से पता चला है कि इस हिंसक आंदोलन को खालिदा की पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी या बीएनपी ने अपनी छात्र इकाई ‘युवा दल’ को उकसाकर भड़काया था। उसने अगुआई करते हुए जमाते इस्लामी के कट्टर मजहबी तत्वों के साथ आंदोलन के नाम पर हिंसा भड़काई थी। मजहबी उन्मादी संगठन जमात-ए-इस्लामी पाकिस्तान के इशारों पर देश में कट्टर सोच को हवा देता आ रहा है।
बताया गया है कि इन दंगों का षड्यंत्र ब्रिटेन की राजधानी लंदन में तैयार किया गया था। इस्लामी कट्टरपंथियों का गढ़ बनते जा रहे लंदन में ही खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी का उपाध्यक्ष तारिक रहमान रह रहा है। उस कट्टरपंथी ने वहीं पर मजहबी तत्वों से ‘सौदा’ किया और इस दंगे के लिए पैसा जमा किया। रिपोर्ट बताती है कि उस पैसे को ढाका भेजा गया जहां यह एक कट्टरपंथी सुल्तान के हाथ में गया। पता चला है कि सुल्तान गिरफ्तार किया जा चुका है।
इस आंदोलन के चलते बांग्लादेश में स्कूल-कॉलेजों में पढ़ाई ठप हो चुकी है। सारे हॉस्टल खाली कराए जा चुके हैं। संदिग्ध छात्रों की पुलिस जगह—जगह तलाश में जुटी है। स्कूल-कॉलेजों के अलावा 15 विश्वविद्यालय परिसर सुनसान हो चुके हैं, छात्रों को वहां से बाहर कर दिया गया है। वहां पुलिस की छावनियां बनी हुई हैं।
कोटा विरोधी उस हिंसक आंदोलन में अभी तक मरने वालों का सरकारी आंकड़ा 206 तक जा पहुंचा है। लगभग 500 छात्र लापता बताए गए हैं। राजधानी ढाका, नारायणगंज, नरसिंगड़ी तथा गाजीपुर जैसे जिल अब भी कर्फ्यू की चपेट में हैं।
भारत के इस पड़ोसी देश में कट्टरपंथी तत्व सत्ता पाने को छटपटा रहे हैं। वे नहीं चाहते कि शेख हसीना प्रधानमंत्री रहें और विकास के साथ साथ पड़ोसी हिन्दू बहुल भारत से मधुर संबंध बनाएं। इसलिए इस बार उन्होंने उस कोटा व्यवस्था की आड़ लेकर ‘छात्रों’ को भड़काकर बांग्लादेश में आग लगाई थी।
खालिदा की विपक्षी पार्टी और उसकी सहयोगी मजहबी उन्मादी जमाते इस्लामी कोटा व्यवस्था में भी विशेषकर उन युवाओं को नौकरी देने की विरोधी हैं जिनके परिवारों ने 1971 के युद्ध में अलग देश बनाने का समर्थन करते हुए पाकिस्तानी सेना से जंग लड़ी थी। हसीना सरकार ने इन्हें ‘स्वतंत्रता सेनानी’ का दर्जा दिया हुआ है और उनके सम्मान की बात करती है।
बस, इसी बात को लेकर गत 12 जुलाई को पूरे देश को पंगू बनाते हुए हिंसा की आग भड़काई गई थी। 19 जुलाई को देश में कर्फ्यू लगाय गया था। सड़कों पर सेना उतारी गई थी। आंदोलनजीवियों को देखते ही गोली मारने के निर्देश दिए गए थे।
लेकिन अब आदलत के नए आदेश में विभिन्न मदों के कुल 56 प्रतिशत कोटे को घटाकर 7 प्रतिशत करने को कहा गया है। इसमें भी 5 प्रतिशत आरक्षण स्वतंत्रता सेनानियों के परिजन के लिए है। पहले यह 30 प्रतिशत हुआ करता था।
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