पुरुषोत्तम गुप्ता ने लड़ी कानूनी जंग, आया ऐतिहासिक फैसला
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम संघ

पुरुषोत्तम गुप्ता ने लड़ी कानूनी जंग, आया ऐतिहासिक फैसला

एक सेवानिवृत सरकारी कर्मचारी पुरुषोत्तम गुप्ता की याचिका पर केंद्रीय कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में भाग लेने पर लगे प्रतिबंध को न्यायालय ने निरस्त कर दिया

by डॉ. मयंक चतुर्वेदी
Jul 26, 2024, 03:08 pm IST
in संघ
पुरुषोत्तम गुप्ता केंद्रीय कर्मचारियों का मुद्दा कोर्ट तक ले गए

पुरुषोत्तम गुप्ता केंद्रीय कर्मचारियों का मुद्दा कोर्ट तक ले गए

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश सुश्रुत धर्माधिकारी एवं माननीय न्यायाधीश गजेन्द्र सिंह ने 24 जुलाई को एक ऐतिहासिक मामले में महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया। एक सेवानिवृत सरकारी कर्मचारी पुरुषोत्तम गुप्ता की याचिका पर केंद्रीय कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में भाग लेने पर लगे प्रतिबंध को न्यायालय ने गैरजरूरी मानते हुए निरस्त कर दिया। वस्तुतः केंद्र सरकार ने 9 जुलाई, 2024 को जारी एक निर्देश में इस प्रतिबंध को पहले ही हटा दिया था। हालांकि यह प्रतिबंध राज्य स्तर पर कई राज्यों के कर्मचारियों पर लागू नहीं है, किंतु केंद्रीय सेवा के प्रत्येक कर्मचारी के लिए यह जरूरी था कि वह अपने आप को संघ की हर गतिविधि से दूर रखेंगे। इस कारण से या राजनीतिक कारण से शिकायत मिलने पर केंद्रीय सेवा में रहे कर्मचारी की पेंशन रोक देने के साथ उस पर अन्य कानूनी कार्रवाई का खतरा हमेशा मंडराता रहता था।

न्यायालय ने माना- केवल राजनीतिक कारणों से किया प्रतिबंधित

इस याचिका का निस्तारण केन्द्र सरकार के नए हलफनामे के बाद हुआ, लेकिन निर्णय में न्यायाधीशों ने जो टिप्पणी की है, वह बहुत गंभीर, ऐतिहासिक महत्व की और भविष्य के लिए एक संदर्भ होगी। न्यायालय ने कहा कि आरएसएस को किस सर्वेक्षण या अध्ययन के आधार पर धर्मनिरपेक्षता विरोधी घोषित किया गया था? किस आधार पर सरकार इस नतीजे पर पहुंची थी कि सरकार के किसी कर्मचारी के, सेवानिवृत्ति के पश्चात भी, संघ परिवार की किसी गतिविधि में भाग लेने से समाज में सांप्रदायिकता का संदेश जाएगा? न्यायालय के बार-बार पूछे जाने के बावजूद, इन प्रश्नों के कोई उत्तर प्राप्त नहीं हो सके। ऐसी दशा में न्यायालय यह मानने के लिए बाध्य है कि ऐसा कोई सर्वेक्षण, अध्ययन, सामग्री या विवरण है ही नहीं जिसके आधार पर केंद्र सरकार यह दावा कर सके कि उसके कर्मचारियों के आरएसएस जो कि एक अराजनीतिक संगठन है कि गतिविधियों से जुड़ने पर प्रतिबंध आवश्यक है। जिससे कि देश का धर्मनिरपेक्ष तानाबाना और सांप्रदायिक सौहार्द अक्षुण्ण बना रहे। इस मामले की सुनवाई के दौरान अलग-अलग तारीखों पर हमने पांच बार यह पूछा कि किस आधार पर केंद्र के लाखों कर्मचारियों को पाँच दशकों तक अपनी स्वतंत्रता से वंचित रखा गया था?

कोर्ट ने यह भी माना है कि यदि याचिकाकर्ता (पुरुषोत्तम गुप्ता) ‌द्वारा यह याचिका प्रस्तुत नहीं की जाती, तो ये प्रतिबंध आगे भी जारी रहते जो कि संविधान के अनुच्छेद 19 (1) का खुला अपमान होता। उपरोक्त आधारों पर न्यायालय के सामने यह भी प्रश्न है कि क्या केंद्र सरकार के कर्मचारियों पर आरएसएस में प्रवेश पर प्रतिबंध किसी ठोस आधार पर लगाया गया था या सिर्फ एक संगठन, जोकि तत्कालीन सरकार की विचारधारा से सहमत नहीं था को कुचलने के लगाया गया था?

पुरुषोत्तम गुप्ता ने उठाया कदम

यही बात दो पीढ़ियों के स्वयंसेवक पुरुषोत्तम गुप्ता को अखर रही थी। उन्हें हमेशा लगता रहा, आखिर राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत, समाजिक सेवा कार्य में डूबा हुआ और भारत भक्ति में लगा रा.स्व.संघ कैसे किसी राजनीति का शिकार बनाया जा सकता है?

पुरुषोत्तम गुप्ता जब अपनी पढ़ाई पूरी करने के साथ केंद्रीय सेवा में आए तो उनके परिवारजनों एवं मित्र मण्डली ने हमेशा उन्हें संघ कार्य करने से यह कहकर रोका कि यदि किसी ने शिकायत कर दी तो नौकरी चली जाएगी, बाल-बच्चों का भरण-पोषण मुश्किल में आ जाएगा, आगे पेंशन भी नहीं मिलेगी, इसलिए संघ कार्य से दूर रहें। लेकिन जैसे ही पुरुषोत्तम गुप्ता नौकरी से रिटायर्ड हुए, वे न्यायालय की शरण में गए। उनके इस प्रयास का उसका सुखद परिणाम सामने देखने में आ गया है।

पुरुषोत्तम गुप्ता ने बताया कि वे केंद्रीय भंडारण निगम (सीडब्ल्यूसी) में दिसम्बर 1982 में शासकीय सेवा में आए और जून 2022 तक सेंट्रल वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन की सेवा में रहे। वे मध्य प्रदेश में जीरापुर (राजगढ़) में जहां उनका जन्म हुआ, वहां वे बचपन में संघ की शाखा में जाया करते थे। शाखा में जो सिखाया जाता, जिस प्रकार की शिक्षा दी जा रही थी, उससे उनके अपने जीवन में देश के लिए सर्वस्व समर्पण कर देने का भाव जागृत हुआ। पिताजी शिक्षक थे और इसलिए परिवार में अध्ययन और ज्ञान का माहौल मिला, किंतु शाखा लगाने में जो सुख और मित्रों के साथ राष्ट्रीय विषयों पर चर्चा करने एवं जरूरतमंद की सहायता करते रहने की जो आदत बनी उसने नौकरी में रहते हुए भी हमेशा संवेदनशील बनाए रखा। पुरुषोत्तम गुप्ता कहते हैं- ‘‘जब सरकारी सेवा में आए तो कहा गया कि आपको राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से दूर रहना है, यह बात मुझे कभी हजम नहीं हुई। मैं हर बार सोचता था कि आखिर ऐसा क्या है जो लोग रा.स्व.संघ के पीछे पड़े हुए हैं जबकि यहां तो सब कुछ सार्वजनिक है। प्रार्थना भारत माता की होती है, समर्पण किसके लिए तो अपने देश और भारतीय समाज के लिए, फिर भी नौकरी में आते ही मुझे बताया गया कि आप शाखा न जाएं। खैर, वक्त गुजरता रहा और मैं सेवानिवृत हो गया, लेकिन मन में यही सवाल कौंध रहा था कि आखिर संघ में जाने से क्यों सरकारी कर्मचारियों को रोका जा रहा है बल्कि इस हद तक प्रताड़ित किया जाता है कि यदि सेवानिवृत्ति के बाद भी कोई संघ की गतिविधि में शामिल होता हुआ पाया जाता है तो उसकी पेंशन तक को रोक दी जाए। इसलिए मैंने एडवोकेट मनीष नायर से बात की और उन्होंने आश्वासन दिया कि वह हर तरह से मदद करेंगे।’’

मौलिक अधिकारों के हनन का मामला

पुरुषोत्तम गुप्ता कहते हैं, ‘‘केंद्र सरकार का संघ से मुझे दूर रखना मेरे मौलिक अधिकारों का हनन था । मैंने संघ पर लगे प्रतिबंध के खिलाफ न्यायालय की शरण ली। यह एक भारतीय नागरिक होने के नाते मेरे मौलिक अधिकार का हनन था, जो मुझे सेवानिवृति के बाद भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़कर सामाजिक जीवन में सेवा कार्य करने से रोक रहा था। यह निर्णय सरकार कैसे ले सकती है?’’

उन्होंने कहा कि तत्कालीन केंद्र सरकार ने जो प्रतिबंध लगाया था, उसका ठोस आधार वह कभी नहीं बता पाई थी। हमने सवाल उठाया था कि, ‘‘क्या संघ देश विरोधी गतिविधियां करता है? क्या संघ समाज से दूर रहता है? क्या हमेशा पीड़ित मानवता की सेवा करने के लिए आगे खड़ा हुआ दिखाई नहीं देता? सभी यह बार-बार देखते हैं कि देश में कहीं भी भूकंप, रेल दुर्घटना, बीमारी प्रकोप, कोरोना महामारी जैसा बुरा वक्त ही क्यों न हो, सभी जगह संघ के स्वयंसेवक बिना किसी का मत, पंथ, मजहब, धर्म जाने सेवाकार्य करते रहे और सतत कर रहे हैं । वास्तव में रा.स्व.संघ अपने जन्मकाल से भारत के गौरव को नित्य प्रति आगे बढ़ने का कार्य कर रहा है। यदि स्वयंसेवक अपना सर्वस्व देश के लिए समर्पित करने को तत्पर रहते हैं, तब फिर कोई कैसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लगा सकता है ?’’

पुरुषोत्तम गुप्ता ने कहा कि मैं न्याय पाने के लिए 9 सितंबर 2023 को न्यायालय की शरण में गया। इंदौर न्यायालय में पिटीशन में यही मांग रखी कि मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में रिटायरमेंट के बाद कार्य क्यों नहीं कर सकता हूं, जबकि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश समेत विभिन्न राज्य सरकारें सरकारी कर्मचारियों के आर.एस.एस. से जुड़े होने पर प्रतिबंध को पहले ही हटा चुकी हैं। वहां संघ की शाखा में जाने की अनुमति है। केंद्र सरकार की तरफ से यह अनुमति अब तक नहीं दी गई, यह अनुमति सभी को मिले। इसके लिए मैंने सभी प्रमुख तथ्य जुटाए और न्यायालय के सामने यह मांग रखी कि सभी सरकारी कर्मचारियों को रा.स्व.संघ की गतिविधियों में भाग लेने की छूट दी जाए। याचिका में कहा गया था कि संघ गैरराजनीतिक संगठन है और अन्य संगठनों की तरह इसकी गतिविधियों में शामिल होने का उनका अधिकार है।’’ केंद्र सरकार ने न्यायालय को उत्तर देने से पूर्व ही प्रतिबंध हटा दिया था। अब इंदौर न्यायालय का निर्णय भी आ गया है।

Topics: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालयआरएसएससरकारी कर्मचारीइंदौर खंडपीठपुरुषोत्तम गुप्ता
Share1TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

बिटिया के पांव पखारते सरसंघचालक श्री मोहन भागवत जी।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जी ने पिता के रूप में किया कन्यादान, बिटिया के पांव पखारे, बारात की अगवानी की

प्रख्यात वैज्ञानिक के कस्तूरीरंगन का निधन

कस्तूरीरंगन जी के देहावसान से राष्ट्र जीवन के देदीप्यमान नक्षत्र का अस्त, कई क्षेत्रों में भारत की सेवा की : आरएसएस

श्री दत्तात्रेय होसबाले जी, सरकार्यवाह , राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

पहलगाम में आतंकी हमला देश की एकता और अखंडता पर प्रहार करने का दुस्साहस, सरकार जल्द उठाए कदम : आरएसएस

डॉ. भीमराव अंबेडकर

डॉ. अंबेडकर और श्री गुरुजी की मुलाकात

आद्य सरसंघचालक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार व द्वितीय सरसंघचालक श्री गुरुजी

एक मंत्र से संचारित तंत्र

Vijaydashmi program RSS

उत्तराखंड: आरएसएस के स्वयंसेवक सीख रहे हैं आपदा प्रबंधन के गुर

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पाकिस्तान की पंजाब में आतंकी साजिश नाकाम : हथियार, हेरोइन और ड्रग मनी के साथ दो गिरफ्तार

महाराणा प्रताप: हल्दीघाटी की विजयगाथा और भारत के स्वाभिमान का प्रतीक

लेफ्टिनेंट जनरल एमके दास, पीवीएसएम, एसएम
**, वीएसएम (सेवानिवृत्त)

‘वक्त है निर्णायक कार्रवाई का’ : पाकिस्तान ने छेड़ा अघोषित युद्ध, अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचाएगा भारत

पाकिस्तान के मंसूबों का मुंहतोड़ जवाब देती भारत की वायु रक्षा प्रणाली, कैसे काम करते हैं एयर डिफेंस सिस्टम?

काशी विश्वनाथ धाम : ‘कोविलूर टू काशी’ शॉर्ट फिल्म रिलीज, 59 सेकेंड के वीडियो में दिखी 250 साल पुरानी परंपरा

उत्तर-दक्षिण भारत के सांस्कृतिक सेतु

पश्चिमी कृपा का आनंद लेने वाला पाकिस्तान बना वैश्विक आतंकवाद का केंद्र : मेलिसा चेन

कुमार विश्वास ने की बलूचिस्तान के आजादी की प्रार्थना, कहा- यही है पाकिस्तान से छुटकारा पाने का सही समय

‘ऑपरेशन सिंदूर’ युद्ध नहीं, भारत की आत्मा का प्रतिकार है : जब राष्ट्र की अस्मिता ही अस्त्र बन जाए!

यह युद्ध नहीं, राष्ट्र का आत्मसम्मान है! : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने ऑपरेशन सिंदूर को सराहा, देशवासियों से की बड़ी अपील

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies