नई दिल्ली, (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ घोषित किए जाने के केंद्र सरकार की अधिसूचना के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी है। कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि यह फैसला किसी भी तरह भारतीय संविधान का अपमान नहीं करता है।
याचिकाकर्ता समीर मलिक ने दलील दी थी कि आपातकाल संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत लगाया गया था, इसलिए इसे ‘संविधान की हत्या’ कैसे कहा जा सकता है। तब कोर्ट ने कहा कि केन्द्र सरकार का आदेश संविधान के अनुच्छेद 352 के खिलाफ न होकर सत्ता के दुरुपयोग के खिलाफ है। ये अधिसूचना किसी भी तरह से देश के संविधान या राष्ट्रीय गौरव को कमजोर या अपमानित नहीं करती है। राजनेता हमेशा इसे लोकतंत्र की हत्या बताते रहे हैं। कोर्ट को इसमें दखल देने की कोई वजह नहीं दिखती है।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने 13 जुलाई को अधिसूचना के जरिये 25 जून को संविधान हत्या दिवस घोषित किया था। केंद्र सरकार ने अपनी अधिसूचना में कहा कि 25 जून 1975 को सत्ता का दुरुपयोग कर आपातकाल लागू किया गया था। इस दौरान काफी लोगों को प्रताड़ित किया गया। अधिसूचना में कहा गया कि भारत के लोग भारत के संविधान और लोकतंत्र में भरोसा रखते हैं। ऐसे में भारत सरकार 25 जून को संविधान हत्या दिवस घोषित करती है। ताकि आगे कोई सत्ता का दुरुपयोग न कर सके। संविधान हत्या दिवस को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में भी याचिका लंबित है।
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