गुजरात

पिराणा दरगाह में मूर्ति स्थापना पर स्टे देने से हाईकोर्ट ने किया इनकार

दरगाह के ट्रस्टी ने हाईकोर्ट के समक्ष मूर्ति स्थापना के काम को रोकने के लिए स्टे मांगा था, लेकिन कोर्ट ने स्टे देने से इनकार कर दिया है

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सोनल अनडकट

कर्णावती: अहमदाबाद की पिराणा दरगाह के पास मूर्ति स्थापित करने का मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा है। दरगाह के ट्रस्टी ने हाईकोर्ट के समक्ष मूर्ति स्थापना के काम को रोकने के लिए स्टे मांगा था, लेकिन कोर्ट ने स्टे देने से इनकार कर दिया है।

अहमदाबाद की पिराणा दरगाह के स्थान पर मूर्ति स्थापना के लिए काम किया जा रहा है। इस काम को रोकने के लिए नादीमोहम्मद सफी मियां ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में बताया गया कि गुरुपूर्णिमा के दिन ट्रस्टी के बीच मतभेद हुए। कुछ ट्रस्टी दरगाह की जगह पर मूर्ति स्थापित करना चाह रहे हैं, जबकि कुछ उसका विरोध कर रहे हैं। दोनों गुटों के बीच मतभेद होने पर चैरिटी कमिश्नर में अर्जी दी गई थी। लेकिन वहां पर भी कोई निर्णय नहीं आया, इसलिए कुछ ट्रस्टी ने उपवास करने की भी बात की थी।

हाईकोर्ट ने इस मामले में मूर्ति स्थापना के काम पर रोक लगाने से इनकार करते हुए स्टे देने से मना कर। मामले की अगली सुनवाई आज यानी 25 जुलाई को है।

क्या है पिराणा दरगाह विवाद?

पिराणा दरगाह के मामले में इससे पूर्व भी कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इसी एक याचिका में इमामशाह बावा रोज़ा ट्रस्ट की तरफ से एफिडेविट फाइल किया गया था। जिसमे ट्रस्ट ने एक संकल्प पत्र के आधार पर यह दावा किया था कि दरगाह की जगह वास्तविक रूप से हिन्दुओं का धर्म स्थान है। इस संस्था के ट्रस्टी में हिन्दू और मुस्लिम दोनों समाविष्ट हैं। लेकिन वास्तव में यह जगह सतपंथियों की है। इमामशाह बावा में 600 साल पहले जब इसकी स्थापना की तब भी प्रथम गादीपति हिन्दू ही थे और आज भी हिन्दू गादीपति ही है। इमामशाह बावा भी जब तक जिंदा रहे तब तक उन्होंने भी हिन्दू दर्शन का ही प्रचार-प्रसार किया। सिर्फ नाम की वजह से ही गलतफहमी हो रही है, अन्यथा यह संस्था सतपंथियों की ही है।

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