उद्योग में मालिक और श्रमिक अलग-अलग वर्ग नहीं : दत्‍तात्रेय जी
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उद्योग में मालिक और श्रमिक अलग-अलग वर्ग नहीं : दत्‍तात्रेय जी

- भारतीय मजदूर संघ ने किया 70वें वर्ष में प्रवेश, देश भर से भोपाल में जुटे श्रमिक नेता

by डॉ. मयंक चतुर्वेदी
Jul 23, 2024, 11:40 pm IST
in भारत, मध्य प्रदेश
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उद्योग में मालिक और श्रमिक अलग-अलग वर्ग नहीं, ‘थिंक ग्लोबली एक्ट लोकली’ की सोच ही हमें आगे लेकर जाएगी। परिवार संघर्ष से नहीं समन्वय से चलता है। यही बात देश के लिए भी लागू होती है और इसीलिए इस बात को भारतीय मजदूर संघ ने बहुत अच्‍छे से अंगीकार किया हुआ है। मजदूरों के हितों के लिए किये गये कार्यो के लिए भारतीय मजदूर संघ का विश्व स्तर पर उल्लेखनीय योगदान रहा है। आज दुनिया में मजहबी कट्टरवाद फैल रहा है। यह मानव समाज के लिए खतरा है। उक्‍त बातें मध्‍य प्रदेश के भोपाल में मंगलवार को आयोजित भारतीय मजदूर संघ के 70वें वर्ष पदार्पण कार्यक्रम के अवसर पर राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहीं ।

तंत्र ज्ञान का उपयोग हम सभी करें, लेकिन ध्‍यान रहे मशीन मनुष्य पर हावी न हो

उन्‍होंने कहा कि भारतीय मजदूर संघ की पहचान, त्याग, तपस्या और बलिदान है। भारतीय मजदूर संघ के 70 वर्ष इसका अनुपम उदाहरण है, भारतीय मजदूर संघ के स्थापना दिवस पर हम सभी को राष्ट्र और समाज के प्रति प्रतिबद्ध होकर दायित्वों और अपनी भूमिका से राष्ट्र उत्थान के कार्यों का संकल्प करना है। संगठन की मान्यता के अनुसार सम्पूर्ण विश्व एक परिवार है। हम सभी संकल्पित है कि भारत के वैभव में वृद्धि और राष्ट्र हित के लिए समर्पित रहेंगे। भारतीय मजदूर संघ एक वैचारिक अनुष्ठान है।

होसबाले ने कहा कि विकास के मॉडल पर भी हमें विचार करना है। कृषि और कारखाने दोनों हमें चाहिए। नई पीढ़ी को ऐसे संस्कार मिलें नई पीढ़ी को श्रद्धा, स्नेह और सामंजस्य का महत्व समझ कर कार्य करने के लिये संस्कारित करें। जीवन में विज्ञान और अर्थ से बढ़कर वे जीवन संस्कार हैं जो अनुभवी लोगों के अनुभव से प्राप्त किए जा सकते हैं। बुद्धि, वाणी, चित और मन से बनी मनुष्य रूपी श्रेष्ठ कलाकृति का प्रकृति से भी सामंजस्य रहे, यह आवश्यक है। यह मशीनी युग है, किंतु ध्‍यान रहे मशीन को मनुष्य पर हावी नहीं होने देना है। मनुष्‍य की श्रजनात्‍मकता की बराबरी कोई मशीन नहीं कर सकती है। तंत्र ज्ञान का उपयोग हम सभी को करना है, लेकिन ध्‍यान रहे, यह मनुष्य पर हावी न हो । वहीं, उनका कहना था कि भारतीय सभ्‍यता और संस्कृति पर लगातार हमले हो रहे हैं। इन हमलों से हम कैसे बचें और अपना रक्षण करें, इसे हमें ही देखना होगा।

विदेशी विचारधारा के प्रभाव से मुक्त हमें रहना है

इस अवसर पर भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष हिरन्मय पंड्या ने कार्यकर्ताओं से कहा कि यह सुखद संयोग है कि इसी शहर भोपाल में आज से 69 वर्ष पूर्व 23 जुलाई 1955 को दत्तोपन्त ठेंगड़ी ने इस संगठन की स्थापना कुछ लोगों को साथ लेकर की थी । उनका पहले दिन से ध्‍येन स्‍पष्‍ट था, दृष्‍टि स्‍थ‍िर थी, तभी उन्होंने कहा था कि नए संगठन की मान्यता है ‘अधिकार और कर्तव्य पर ट्रेड यूनियनें समान आग्रह रखें। व्यक्तिगत नेतागिरी, राजनीतिक दलगत स्वार्थ, मालिक, सरकार और विदेशी विचारधारा के प्रभाव से मुक्त हमें रहना है । हम राष्ट्र संस्कृति एवं परंपरा के आलोक में मजदूरों का मजदूरों के लिए और मजदूरों द्वारा चलाई गई संस्था की भूमिका का निर्वाह करे । इसके साथ ही ठेंगड़ी जी कहा करते थे कि मजदूरों का सम्पूर्ण राष्ट्र के साथ मनोवैज्ञानिक तादात्म्य स्थापित करते हुए अधिकतम उत्पादन द्वारा राष्ट्रोत्थान के कार्य में महत्त्वपूर्ण सहयोग देने में सहायक सिद्ध होना चाहिए । संगठन राजनैतिक दल निरपेक्ष सभी राष्ट्रवादी तत्वों के लिए एक सामान्य मंच के नाते कार्य करेंगे तभी सभी का हित और सुख है।

उल्‍लेखनीय है कि वर्तमान में सरकारी कर्मचारियों सहित सभी श्रमिकों के लिए केंद्र और राज्‍य सरकारों से बोनस की मांग करने वाले पहले मजदूर संगठन के रूप में भारतीय मजदूर संघ की मजबूत पहचान देश भर में है। जब यह संगठन अस्‍तित्‍व में आया तब देश भर में चार प्रमुख केंद्रीय श्रमिक संगठन एटक, इंटक, एचएमएस और यूटीयूसी का दबदबा था। भामसं ने विश्कर्मा जयंती को राष्ट्रीय श्रम दिवस के रूप में मनाना शुरू किया और इसके जरिए यह संदेश दे दिया कि भारत की मूल सभ्‍यता और संस्‍कृति को लेकर यह संगठन चलेगा, जिन्‍हें साथ आना है, उन सभी श्रमिकों को संगठन में स्‍वागत है। यही कारण रहा कि आगे दत्तोपंत ठेंगड़ी के कुशल नेतृत्व में भामसं ने अपनी नीतियों और कार्यकर्ताओं के समर्पण के चलते तेजी से विस्तार किया। 1989 में भारत सरकार द्वारा कराये गये सर्वेक्षण में भामसं देश का सबसे बड़ा श्रमिक संगठन साबित हुआ। आज भी अपनी सदस्‍य संख्‍या के आधार पर यह दुनिया का भी सबसे बड़ा श्रमिक संगठन है। वर्तमान में यह संगठन देश के 32 राज्यों तथा 44 श्रम उद्योगों में काम कर रहा है। इस संगठन का सूत्र है – देश हित में करेंगे काम, काम के लेंगे पूरे दाम, बीएमएस की क्या पहचान- त्याग, तपस्या और बलिदान। विदेशी आर्थिक आक्रमण का एकमात्र विकल्प स्वदेशी का अनुसरण के उद्देश्य से भामसं ने स्वदेशी जागरण का नारा दिया है।

कार्यक्रम में मुख्‍य तौर पर भारतीय मजदूर संघ के पालक अधिकारी, संघ के पूर्व सह सरकार्यवाह वी. भागय्या, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल, श्रम मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल, पर्यटन और संस्कृति मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ,पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्रीकृष्णा गौर,ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर , विधायक भगवान दास सबनानी, महापौर मालती राय भारतीय मजदूर संघ (भामसं) के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष, महामंत्री एवं अन्‍य पदाधिकारी सहित अन्य वरिष्ठजन उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में संघ और उससे संबंधित संगठनों के हजारों प्रतिनिधि शामिल हुए। समारोह में भारतीय मजदूर संघ की स्मारिका का विमोचन मुख्यमंत्री डॉ. यादव, श्री होसबाले, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल एवं अन्य अतिथियों ने किया।

Topics: Bhopal NewsDattatreya Hosabaleभोपाल न्यूजBharatiya Mazdoor Sangh programआरएसएस सरकार्यवाहक दत्तात्रेय होसबोलेभारतीय मजदूर संघ कार्यक्रमRSS General Secretary Dattatreya Hosabale
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