मध्य प्रदेश में अभी 20 लाख रुपए का घर-घर लालच देकर मतान्तरण करने वाले गिरोह के सभी सदस्यों को पकड़े हुए अभी एक सप्ताह भी नहीं बीता कि गुना जिले में ईसाई मिशनरी द्वारा संचालित वंदना कॉन्वेंट स्कूल का भारत की संस्कृति से नफरत करने वाला मामला सामने आया है। स्कूल ने संस्कृत के श्लोक पढ़ते हुए हिन्दू बच्चों को न सिर्फ रोका, बल्कि बहुत ही बुरी तरह से अपमानित किया है, बच्चे इन संस्कृत श्लोकों के माध्यम से भारतीय ज्ञान परंपरा के अनुसार सभी की सुख की कामना करते हुए श्लोक पाठ कर रहे थे।
दरअसल, यह मामला बड़े स्तर पर तब प्रकाश में आया, जब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने इसे जोर-शोर के साथ उठाया और अपने छात्र आन्दोलन से समाज को अवगत कराया। गुना में प्राइवेट स्कूल के बाहर सोमवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने इस विद्यालय के खिलाफ जमकर नारे लगाए और अपना विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें कि पुलिस से धक्कामुक्की तक हो गई थी।
इसे भी पढे़ं: इजरायल हमास युद्ध के बीच नेतन्याहू से मुलाकात करेंगी कमला हैरिस, सहयोगी बोले-गाजा के मुद्दे को उठाएंगे
संविधान में सभी भाषाएं समान, संस्कृत सभी भारतीय भाषाओं की माता
विद्यार्थी परिषद से जुड़े छात्र इस बात से बहुत अधिक नाराज थे कि आखिर संविधान ने सभी भाषाओं के सम्मान के निर्देश दिए हैं। जिसमें कि संस्कृत तो वह भाषा है, जिससे भारत की अधिकांश भाषा-बोलियां निकली हैं, ऐसे में कोई विद्यालय अपने यहां बच्चों को ‘’सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।’’ अर्थात् सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े। जैसी सभी के प्रति पवित्र भावना रखनेवाले संस्कृत श्लोकों को बोलने से कैसे रोक सकता है? किंतु प्रबंधन ने ऐसा किया था।
इस मामले में गहराई से जांच करने पर पता चला कि पूरा मामला 15 जुलाई का है। लेकिन खबर को संभवत: दबा दिया गया था। घटना सुबह प्रार्थना के समय की है, जब छठवीं क्लास के तीन छात्र संस्कृत का श्लोक पढ़ रहे थे। तभी सामने से आईं एक शिक्षिका ने बच्चों के हाथ से माइक छीन लिया और उन्हें भयंकर रूप से डांटने लगी। शिक्षिका का कहना था कि ये श्लोक पढ़ने की जगह नहीं है। यहां कोई श्लोक नहीं पढ़ा जाएगा और न ही कोई भी छात्र हिंदी में बोलेगा। वन्दना कॉन्वेंट स्कूल में सिर्फ अंग्रेजी बोली जाती है, वही बोली जाएगी ।
उस दिन तो बच्चों में से कोई कुछ नहीं बोला, लेकिन जिन तीन छात्रों के साथ ये घटना घटी, उन्होंने कुछ दिन बीत जाने के बाद परिजनों को अपने साथ स्कूल में घटा पूरा घटनाक्रम सुनाया । छात्रों के सभी परिजनों ने इसे गंभीरता से लिया और इस बारे में उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ताओं को बताया, जिसके बाद सोमवार को स्कूल खुलने के बाद बड़ी संख्या में लोग वन्दना कॉन्वेंट स्कूल पहुंचने लगे थे ।
राष्ट्रीय बाल आयोग ने लिया मामले को अपने संज्ञान में
इस बीच रविवार को जिला शिक्षा अधिकारी चंद्रशेखर सिसौदिया ने स्कूल प्राचार्य को नोटिस भेजकर स्कूल मैनेजमेंट से अपना पक्ष रखने के लिए कहा है। वहीं, कॉन्वेन्ट स्कूल की प्राचार्या सिस्टर कैथरीन ने विद्यार्थी परिषद के तेज होते आन्दोलन को देखते हुए माफी मांग ली। यह कहते हुए कि उस दिन अंग्रेजी में बोलने का दिन था, इसलिए छात्र को रोका गया था। अगर किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची हो, तो मैं माफी मांगती हूं। मेरे लिए सभी मजहब समान हैं और मैं सभी धर्मों का आदर बराबर से करती हूं। इतना सुनने के बाद भी जब अभाविप कार्यकर्ता शांत नहीं हुए, तब फिर जाकर सक्षम दुबे की शिकायत पर पुलिस ने सिस्टर कैथरीन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली । फिलहाल इस पूरे प्रकरण को राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने अपने स्तर पर संज्ञान में ले लिया है।
इस संबंध में एबीवीपी के जिला विद्यालय प्रमुख दिव्यांश बख्शी का कहना है कि ईसाई मिशनरी के द्वारा संचालित इस वंदना कॉन्वेंट स्कूल का यह कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी यह विद्यालय हिन्दू बच्चों को धर्म के प्रतीक चिन्हों जैसे तिलक लगाने, माला पहनने और कलावा हाथ में बंधे होने पर अपमानित करता रहा है और सजा देता रहा है। यहां अंदर किसी को जाने की अनुमति नहीं मिलती, इसलिए अंदर क्या चल रहा है, आसानी से पता नहीं चल पाता है। पूर्व में इस स्कूल में घटे एक गंभीर प्रकरण में विद्यालय ने जम्मू-कश्मीर के आधे भाग को भारतीय नक्शे में से पूरी तरह गायब कर दिया था। जिस पर बहुत विवाद हुआ था।
दिव्यांश का कहना है कि यहां पूरे प्रकरण में विद्यार्थी परिषद की मांग इतनी भर है कि जिस श्लोक को पढ़ने से रोका गया, अब उस श्लोक को प्रतिदिवस विद्यालय की मुख्य प्रार्थना में पढ़ा जाना चाहिए । प्राचार्य को विद्यालय से हटा दिया जाए। इसके साथ ही ईसाई प्रैक्टिस की जो भी गतिविधियां विद्यालय में चल रही हैं, वे तत्काल प्रभाव से बंद हो जानी चाहिए। क्योंकि भले ही स्कूल अल्पसंख्यक ईसाई मिशनरी की समिति के द्वारा संचालित होता हो, किंतु बच्चे यहां अधिकांशत: बहुसंख्यक हिन्दू समाज के ही पढ़ते हैं, इसलिए उनकी भावनाओं का ध्यान बराबर से रखा जाना चाहिए।
बता दें कि ईसाईयत का प्रचार और मतान्तरण के एक के बाद एक मामलों में हाल ही में भोपाल में आंचल चिल्ड्रन होम्स, सीएफआई मॉडल स्कूल, झाबुआ, मिशन हायर सेकेंडरी स्कूल परिसर के अंदर स्थित ज्योति भवन मामला, अलीराजपुर के जोबट तथा शहडोल, सागर, छिंदवाड़ा जिलों के मतान्तरण एवं अन्य लालच देकर ईसाई मतान्तरण के मामले सामने आए हैं। वहीं, इस वंदना कॉन्वेंट के पूर्व राजधानी भोपाल के पिपलानी क्षेत्र में मतान्तरण का प्रकरण सामने आया था। इस सप्ताह के प्रारंभ में छोटे रूप में सामने आए इस मामले की जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, कई नए खुलासे हो रहे हैं। अब पुलिस से मतान्तरण के इस मामले फॉरेन फंडिग की आशंका है। पुलिस को जांच के यह पूरी तरह से साफ चुका है कि 20 लाख रुपये तक का लालच देकर मतान्तरण के लिए हिन्दू समाज के गरीब जनों को यहां निशाना बनाया जा रहा था।
टिप्पणियाँ