भारत

164 वर्ष पहले शुरू हुआ था भारत में बजट पेश करने का सिलसिला, ‘बुल्गा’ से हुई ‘बजट’ की उत्पत्ति

Published by
योगेश कुमार गोयल

केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को संसद में देश का केन्द्रीय बजट पेश करेंगी। यह लगातार सातवां ऐसा अवसर है, जब वह बजट पेश कर रही हैं। इस बजट के साथ ही वह देश की पहली ऐसी वित्तमंत्री बनने का गौरव भी हासिल करेंगी, जिसने एक के बाद एक लगातार 7 बजट पेश किए हों। उनसे पहले मोरारजी देसाई के नाम लगातार सर्वाधिक बजट पेश करने का रिकॉर्ड रहा था, जिन्होंने भारत के वित्तमंत्री के रूप में 6 बजट लगातार पेश किए थे। निर्मला सीतारमण द्वारा 23 जुलाई को बजट पेश करते ही मोरारजी देसाई के नाम बना यह रिकॉर्ड टूटकर निर्मला सीतारमण के नाम दर्ज हो जाएगा। इसी साल 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश किया गया था और इस वर्ष पेश होने वाला यह दूसरा बजट है। दरअसल आम बजट से पहले पेश किया गया अंतरिम बजट चुनाव से पहले सरकारी फंडिंग की निरंतरता के लिए कुछ अस्थाई उपायों से जुड़ा था। बजट के फैसले केवल नई सरकार बनने तक के लिए ही थे। अंतरिम और यूनियन बजट में अंतर यही है कि अंतरिम बजट चुनाव से पहले सरकार द्वारा पेश किया जाने वाला अस्थाई उपाय भर होता है, जो उन खर्चों से जुड़े निर्णयों को लेकर विशेष होता है, जिनके लिए नई सरकार बनने तक का इंतजार नहीं किया जा सकता। अंतरिम बजट में सरकार को अनुमति होती है कि वह जरूरी खर्चों के लिए सरकारी खजाने से फंड का इस्तेमाल करे जबकि यूनियन बजट नई सरकार का पूरे वित्त वर्ष यानी 31 मार्च तक के लिए वित्तीय प्लान होता है, जिसमें राजस्व, खर्चे और सरकार की नीतियों का विवरण होता है, जिस पर संसद के दोनों सदनों में बहस भी की जाती है। पूर्ण बजट को संसद द्वारा अनुमोदित किया जाना जरूरी होता है।

संसद की दोनों सभाओं के समक्ष रखा जाने वाला ‘वार्षिक वित्तीय विवरण’ ही केन्द्र सरकार का बजट कहलाता है, जो देश के विकास को प्रभावित करने वाला सबसे बड़ा कारक होता है। आम बजट या यूनियन बजट कमाई और खर्च का लेखा-जोखा होता है, जिसमें सरकार आय और व्यय का ब्यौरा देती है और इसमें आगामी वित्त वर्ष के लिए कर प्रस्तावों का ब्यौरा पेश किया जाता है। आम बजट में सरकार की आर्थिक नीतियों की दिशा झलकती है। बजट का मुख्य उद्देश्य सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टिकोण से देश का सुधार करना और लोगों को बेहतर जीवन जीने में मदद करना ही होता है। बजट के जरिये सरकार आर्थिक नीतियों को लागू करती है और हर साल पेश किए जाने वाले बजट का मुख्य उद्देश्य दुर्लभ संसाधनों का अधिकतम उपयोग करना है। इस दस्तावेज में आगामी वित्तीय वर्ष के लिए अनुमानित आय और व्यय पर विस्तृत टिप्पणियां दी जाती हैं। बजट में शामिल प्रस्ताव संसद की स्वीकृति मिल जाने के बाद अगले साल 31 मार्च तक लागू रहते हैं।

‘बजट’ शब्द एक पुराने फ्रांसीसी शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘पर्स’। ‘बजट’ शब्द फ्रांसीसी भाषा के लातिन शब्द ‘बुल्गा’ से उत्पन्न हुआ है, जिसका अर्थ होता है चमड़े का थैला। बुल्गा से फ्रांसीसी शब्द ‘बोऊगेट’ की उत्पति हुई और उसके बाद अंग्रेजी शब्द ‘बोगेट’ अस्तित्व में आया। इसी शब्द से ‘बजट’ शब्द की उत्पत्ति हुई। कुछ वर्ष पूर्व तक बजट चमड़े के बैग में ही लेकर आया जाता था। भविष्य की योजनाओं और उद्देश्यों के आधार पर बजट एक निश्चित अवधि के लिए पूर्व निर्धारित राजस्व और व्यय का अनुमान होता है, जो भविष्य की वित्तीय स्थितियों को दर्शाता है और वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है। यह एक ऐसा दस्तावेज है, जो प्रबंधन व्यवसाय के लिए अपने लक्ष्यों के आधार पर आगामी अवधि के लिए राजस्व और खर्चों का अनुमान लगाने के लिए बनाया जाता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के अनुसार, एक वर्ष का केन्द्रीय बजट, जिसे वार्षिक वित्तीय विवरण भी कहा जाता है, उस विशेष वर्ष के लिए सरकार की अनुमानित प्राप्तियों और व्यय का विवरण होता है। केन्द्रीय बजट को राजस्व बजट तथा पूंजीगत बजट में वर्गीकृत किया जा सकता है।

बजट निर्माण की पूरी जिम्मेदारी वित्त मंत्रालय की ही होती है। बजट में सरकार के पिटारे से क्या-क्या निकलेगा, यह तो 23 जुलाई को पता चल ही जाएगा लेकिन यह जानना दिलचस्प है कि आगामी वित्त वर्ष के लिए जो केन्द्रीय बजट कुछ घंटों में पेश कर दिया जाता है, उसकी तैयारी काफी समय पहले ही शुरू हो जाती है। इन तैयारियों के दौरान वित्त मंत्रालय केन्द्र सरकार के अन्य मंत्रालयों और विभागों के अधिकारियों के साथ मीटिंग करता है, जिसके आधार पर ही तय किया जाता है कि किस मंत्रालय अथवा विभाग को वित्त वर्ष के लिए कितनी रकम दी जाए। इन मीटिंग्स में तय होने के बाद एक ब्लूप्रिंट तैयार किया जाता है। बजट का प्रारूप तैयार हो जाने के बाद वित्त मंत्रालय तथा प्रधानमंत्री एक बैठक में मंत्रिमंडल के सदस्यों के साथ मिलकर बजट का अवलोकन करते हैं और वित्त तथा राजस्व संबंधी नीतियों को निश्चित करते हैं। सम्पूर्ण मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत होने के बाद केन्द्रीय बजट संसद में प्रस्तुत किया जाता है।

भारत में वित्त वर्ष प्रतिवर्ष एक अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च को समाप्त होता है और बजट के विवरण में पूरे वित्तीय वर्ष के लिए भारत सरकार की अनुमानित प्राप्तियों तथा व्यय का ब्यौरा शामिल होता है। सरल शब्दों में कहें तो बजट आगामी वित्त वर्ष के लिए सरकार की वित्तीय योजना होती है, जिसके जरिये यह तय करने का प्रयास किया जाता है कि सरकार अपने राजस्व की तुलना में खर्च को किस हद तक बढ़ा सकती है। यह कवायद इसीलिए होती है क्योंकि सरकार को अपने राजकोषीय घाटे का एक लक्ष्य हासिल करना होता है। बजट आमतौर पर तीन प्रकार का होता है, संतुलित बजट, अधिशेष बजट और घाटे का बजट। संतुलित बजट में आय और खर्च की मात्रा का समान होना जरूरी है जबकि अधिशेष बजट में सरकार की आय खर्चों से अधिक होती है और घाटे के बजट में सरकार के खर्च उसकी आय के स्रोतों से अधिक होते हैं। सरकारी बजट तीन प्रकार के होते हैं, परिचालन या चालू बजट, पूंजी या निवेश बजट और नकदी या नकदी प्रवाह बजट। सरकार की आय के प्रमुख साधनों में विभिन्न प्रकार के कर और राजस्व, सरकारी शुल्क, जुर्माना, लाभांश, दिए गए ऋण पर ब्याज आदि तरीके शामिल होते हैं।

बजट से जुड़े कुछ रोचक पहलुओं पर नजर डालना भी काफी दिलचस्प है। पहले बजट की कुछ प्रतियां छपती थी लेकिन अब बजट पूरी तरह डिजिटल हो गया है। 2016 तक फरवरी माह के अंतिम दिन आम बजट पेश किया जाता था किन्तु 2017 में तत्कालीन वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश करने का दिन बदलकर 1 फरवरी कर दिया। 1999 तक बजट भाषण फरवरी के अंतिम कार्यदिवस पर शाम पांच बजे पेश किया जाता था लेकिन 1999 में यशवंत सिन्हा ने इसे बदलकर सुबह 11 बजे कर दिया। 2017 से पहले रेल बजट भी अलग से पेश किया जाता था लेकिन 2017 में उसे आम बजट में ही समाहित कर दिया गया। 1955 तक बजट केवल अंग्रेजी में ही पेश किया जाता था लेकिन उसके बाद इसे हिन्दी तथा अंग्रेजी दोनों भाषाओं में पेश करना शुरू कर दिया गया। 1950 तक बजट का मुद्रण राष्ट्रपति भवन में होता था किन्तु इसके लीक होने के बाद इसका मुद्रण दिल्ली की मिंटो रोड स्थित प्रेस में होने लगा और 1980 से वित्त मंत्रालय के अंदर सरकारी प्रेस में ही इसका मुद्रण होता है। 1947 से लेकर अब तक देश में 75 आम बजट, 15 अंतरिम बजट व 4 विशेष या मिनी बजट पेश किए जा चुके हैं। वैसे भारत में बजट पेश करने का सिलसिला 164 वर्ष पहले शुरू हुआ था, जब 7 अप्रैल 1860 को ईस्ट इंडिया कम्पनी से जुड़े स्कॉटिश अर्थशास्त्री व ब्रिटिश सरकार में वित्तमंत्री जेम्स विल्सन ने ब्रिटिश साम्राज्ञी के समक्ष पहली बार भारत का बजट रखा था। स्वतंत्र भारत का पहला बजट देश के पहले वित्तमंत्री आर के षणमुगम चेट्टि ने 26 नवम्बर 1947 को पेश किया था, जिसमें कोई टैक्स नहीं लगाते हुए केवल अर्थव्यवस्था की समीक्षा की गई थी।

भारतीय गणतंत्र की स्थापना के बाद पहला बजट 28 फरवरी 1950 को जान मथाई ने पेश किया था। वैसे तो देश का बजट सदैव वित्तमंत्री ही पेश करते आए हैं लेकिन देश के इतिहास में तीन ऐसे अवसर भी आए, जब प्रधानमंत्री ने आम बजट पेश किया। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भारत का बजट पेश करने वाले शीर्ष पद पर बैठने वाले पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने 13 फरवरी 1958 को वित्त विभाग संभाला और बजट पेश किया था। उनके अलावा इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने भी प्रधानमंत्री रहते हुए बजट पेश किया था। एक ओर जहां भारत के बजट इतिहास में तीन बार प्रधानमंत्रियों ने आम बजट पेश किया, वहीं एक वित्तमंत्री ऐसे भी थे, जो अपने कार्यकाल में कोई भी बजट पेश नहीं कर पाए। के सी नियोगी भारत के एकमात्र ऐसे वित्तमंत्री रहे, जिन्होंने इस पद पर रहते हुए भी कोई बजट पेश नहीं किया। दरअसल वे 1948 में केवल 35 दिनों तक ही वित्तमंत्री रहे थे।

बतौर वित्तमंत्री सर्वाधिक बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के नाम है, जिन्होंने 1962-69 के बीच 10 बार बजट पेश किया था। बतौर वित्तमंत्री उन्होंने 1959 से 1964 तक लगातार 5 बार पूर्ण बजट और एक बार अंतरिम बजट पेश किया था। उसके बाद यह क्रम टूटा और उन्होंने दोबारा वित्त मंत्रालय संभालने के बाद 1967 से 1969 तक कुल 4 बजट पेश किए। इस प्रकार उन्होंने कुल 8 पूर्ण बजट और 2 अंतरिम बजट पेश किए। वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने संयुक्त मोर्चा सरकार में 1996 से 1998 तक और फिर यूपीए-1 तथा यूपीए-2 सरकार में कुल 9 बार, वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने इंदिरा सरकार में 1982 से 1984 तक और मनमोहन सिंह सरकार में 2009 से 2012 तक कुल 8 बार बजट पेश किया। यशवंत राव चव्हाण, सीडी देशमुख तथा यशवंत सिन्हा ने 7-7 बार जबकि मनमोहन सिंह और टीटी कृष्णमाचारी ने 6-6 बार बजट पेश किया। इंदिरा गांधी ने पहली महिला वित्तमंत्री के तौर पर 1970 में बजट पेश किया था। हालांकि लगातार 7 बार बजट पेश करने वाली निर्मला सीतारमण अब देश की पहली वित्तमंत्री बन जाएंगी। 1977 में मात्र 800 शब्दों का सबसे छोटा भाषण वित्तमंत्री हीरुभाई मुलजीभाई पटेल ने जबकि शब्दों के लिहाज से कुल 18650 शब्दों का सबसे बड़ा बजट भाषण 1991 में मनमोहन सिंह ने दिया था। उसके बाद 2018 में अरुण जेटली ने 18604 शब्दों का बजट भाषण दिया था। सबसे ज्यादा देर तक बजट भाषण देने का रिकॉर्ड निर्मला सीतारमण के नाम है, जिन्होंने वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश करते हुए 2 घंटे 42 मिनट लंबा बजट भाषण दिया था।

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