सहारनपुर/ मुजफ्फरनगर/ मेरठ। योगी प्रशासन की सख्ती से पश्चिमी यूपी में छदमनामधारी धंधेबाजों का सच सामने आना शुरू हो गया है। जिन होटल-ढाबों पर हिन्दू नाम लिखे दिखाई देते थे, वहां अब सब कुछ बदला-बदला नजर आ रहा है। कहीं संगम ढाबा रातों-रात सलीम भोजनालय हो गया है तो कहीं बाबूजी दा ढाबा मिटाकर उस पर बाबू खां लिख गया है। सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ में यात्रा मार्ग पर आने वालीं दुकानों पर सही नाम लिखवाने का काम तेजी से चल रहा है। अंबाला रोड पर पहले मोनू टी स्टाल नाम से एक दुकान संचालित होती थी। दुकानदार मोनू के आधार कार्ड में उसका असली नाम तबरेज दर्ज निकला। अभियान का ही असर है कि अब उस चाय की दुकान का नाम तबरेज टी स्टाल कर दिया गया है। ऐसे ही शीतल वैष्णव ढाबा पर सादिक ढाबा लिख गया है।
कांवड़ यात्रा से जुड़े पश्चिमी यूपी के बाकी जिलों भी अफसरों की निगरानी में तेजी से मुहिम जारी है। श्रावण मास 22 जुलाई से शुरू हो रहा है और उससे पहले ही कांवड़ जत्थे पवित्र गंगाजल लेने रवाना होने लगे हैं। कांवड़ यात्रा मार्गों पर जितने भी होटल-ढाबे हैं, उन पर न सिर्फ संचालक-मालिकों के नाम दर्ज किए जा रहे हैं, बल्कि खाने की चीजों की रेट लिस्ट भी अंकित की जा रही हैं। अफसरों का कहना है कि सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत, मेरठ, बिजनौर में यह काम 90 फीसदी तक पूरा हो चुका है। ये ऐसे जिले हैं, जहां कांवड़ जत्थे हरिद्वार से पवित्र गंगाजल लेकर भगवान भोले के जलाभिषेक को सबसे पहले पहुंचते हैं। बुलंदशहर, गाजियाबाद, मुरादाबाद, अमरोहा, संभल, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, बदायूं, अलीगढ़, मथुरा, हाथरस, आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, एटा में भी पुलिस-प्रशासन की देखरेख में होटल ढाबों पर संचालकों का नाम और रेट सूची दर्ज करने की मुहिम पर तेजी से काम चल रहा है।
मालिक मुस्लिम, होटल-ढाबों पर हिन्दू गुणगान, धंधा नहीं ये गोरखधंधा
पश्चिमी यूपी के अधिकांश जिलों में कांवड़ रूट और अन्य प्रमुख मार्गों पर दो-चार दिन पहले तक जिन होटलों पर हिन्दू नाम लिखे दिखाई देते थे, वहां शासन की सख्ती के बाद यकायक नाम बदल गए हैं। मुस्लिम कारोबारी अपने होटल-ढाबों पर अभी तक क्यों हिन्दू पहचान देकर अपना धंधा चला रहे थे, इसे लेकर कई तरह की बातें कही जा रही है। बरेली में डेलापीर मंडी के पास अभी तक शंकर ढाबा चलाने वाले मुस्लिम व्यक्ति ने अभियान शुरू होते ही नाम बदलकर जनता ढाबा कर लिया है। ठेले-खोमचों पर भी परिवर्तन की यह कहानी स्पष्ट दिखाई दे रही है।
थूकने-गंदगी करने के वीडियो वायरल, अभियान से योगी की जय-जय
सोशल मीडिया पर इस बारे में तीखी प्रतिक्रिया का दौर चल रहा है। जिहादी मानसिकता के विक्रेता और कारीगरों द्वारा खाने की चीजों पर थूकने, पेशाब करने, गंदा पानी डालने के पुराने वीडियो भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे हैं और उनको देखकर लोग एक सुर में योगी सरकार की मुहिक की जमकर तारीफ कर रहे हैं। कांवड़ मार्गों पर जहां कब्रिस्तान या श्मशान है, वहां साइन बोर्ड लगवाए जा रहे हैं।
नियम कई दशक पुराना, भाजपा सरकार करा रही सख्ती से पालन
जानकारों का कहना है कि उत्तर प्रदेश शॉप एंड कमर्शियल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत हर एक वाणिज्यिक प्रतिष्ठान पर उसके मालिक-संचालक के अलावा फर्म का नाम और पंजीयन संख्या दर्ज करने का नियम कई दशक पुराना है। राज्य के जलशक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक ने शामली में एक कार्यक्रम के दौरान जानकारी दी यह नियम पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान पारित किया गया था, लेकिन उसका अनुपालन अब योगी आदित्यनाथ सरकार में सख्ती के साथ सुनिश्चित कराया जा रहा है।
कांवड़ मार्गों पर खाने-पीने की चीजों के रेट तय, होटल-ढाबों पर दिखेगी सूची
यात्रा मार्ग पर खाने पीने की दुकानों और ढाबों पर रेट लिस्ट लगाने के आदेश दिए गए हैं। सहारनपुर प्रशासन द्वारा लगाई गई रेट लिस्ट में 20 चीजों के मूल्य तय हैं। इसमें चाय एक कप 10 रुपये, समोसा एक पीस 10 रुपये, ब्रेड पकौड़ा एक पीस 15 रुपये, जलेबी एक किलो 120 रुपये, लड्डू एक पीस 8 रुपये, पूरी-सब्जी एक थाली 30 रुपये, कढ़ी-चावल एक प्लेट 25 रुपये, छोले-चावल एक प्लेट 25 रुपये, खस्ता-छोले एक प्लेट 25 रुपये, राजमा-चावल एक प्लेट 25 रुपये, रोटी-सब्जी प्रति थाली थाली 60 रुपये, सादा घेवर एक किलो 120 रुपये, मावा घेवर एक किलो 200 रुपये, दूध एक किलो 60 रुपये, जूस मौसमी छोटा गिलास 30 रुपये, जूस मौसमी बड़ा गिलास 40 रुपये, जूस अनार छोटा गिलास 35 रुपये, जूस अनार बड़ा गिलास 50 रुपये, लस्सी छोटा गिलास 20 रुपये, लस्सी बड़ा गिलास 30 रुपये के मूल्य से बेची जाएगी।
कांवड़ यात्रा के चलते हाइवे पर भारी वाहनों के आवागमन पर रोक
सावन मास में सोमवार को शिवालयों में भगवान भोले के जलाभिषेक को सबसे ज्यादा कांवड़ जत्थे उमड़ते हैं। इस बार सावन माह के पहला सोमवार 22 जुलाई को पड़ रहा है। इसे देखते हुए कांवड़ जत्थे सावन शुरू होने से पहले ही गंगाजल लेने रवाना हो गए हैं। सोमवार से मंदिरों में जलाभिषेक करने को कांवड़िये पहुंचना शुरू हो जाएंगे। इसे देखते हुए मेरठ-मुजफ्फरनगर हाइवे पर एक दिन पहले से ही भारी वाहनों का आवागमन रुकवा दिया गया है। कांवड़ यात्रा को लेकर सम्बंधित जिलों में ट्रैफिक विभाग ने विशेष व्यवस्था तैयार की है। 25 और 27 जुलाई से लागू होने वाले डायवर्जन प्लान को लेकर भी तैयारियां शुरू हो गई हैं। दिल्ली-गाजियाबाद के भारी वाहन उत्तराखंड की तरफ प्रतिबंधित रहेंगे। इसको लेकर मुजफ्फरनगर प्रशासन के अलावा उत्तराखंड प्रशासन से भी संपर्क रहेगा। एडीजी जोन मेरठ डीके ठाकुर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ रूट पर जो भी होटल, ढाबे और रेस्टोरेंट हैं, उनके बाहर संचालक को अपना और अपने स्टाफ का नाम लिखना होगा। यह कोई नई व्यवस्था नहीं है। पिछले वर्ष भी इस पर काम हुआ था। मुजफ्फरनगर की एक घटना के बाद शासन द्वारा यह व्यवस्था बनाई गई थी। जोन के सभी जनपदों में इसका पालन सुनिश्चित कराया जा रहा है।
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