राष्ट्रपति ने पंजाब सरकार की मनमानियों पर रोक लगाते हुए एक विधेयक को वापस लौटा दिया है। पंजाब यूनिवर्सिटी कानून संशोधन बिल को राष्ट्रपति ने बिना मंजूरी के ही पंजाब सरकार को वापस भेज दिया है। यह बिल पिछले साल 21 जून को पंजाब विधानसभा में पास किया गया था। बिल के तहत राज्य के 11 विश्वविद्यालयों के कुलपति की शक्ति राज्यपाल से लेकर मुख्यमंत्री को दी गई थी। ज्ञात रहे कि यह विधेयक तब पारित किया गया था जब पंजाब के राज्यपाल श्री बनवारी लाल पुरोहित व मुख्यमंत्री श्री भगवंत मान के बीच टकराव की स्थिति पैदा हुई थी। पंजाब सरकार के इस विधेयक को बदलाखोरी की राजनीति बताया गया ता जिसे राष्ट्रपति ने अस्वीकार कर दिया है।
सदन में पारित बिल के लिए सरकार ने पंजाबी यूनिवर्सिटी एक्ट 1961, गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी अमृतसर एक्ट 1969, गुरु नानक देव पंजाब स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी एक्ट 2019, गुरु तेग बहादुर स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ पंजाब एक्ट 2020, आईके गुजराल पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी एक्ट 1996, शहीद भगत सिंह स्टेट यूनिवर्सिटी एक्ट 2021, सरकार बेअंत सिंह स्टेट यूनिवर्सिटी एक्ट 2021, बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज एक्ट 1998, गुरु रविदास आयुर्वेद यूनिवर्सिटी पंजाब एक्ट 2009, महाराजा भूपिंदर सिंह पंजाब स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी एक्ट 2019 और गुरु अंगद देव वेटरिनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटीज एक्ट 2005 के सेक्शन 9 में संशोधन किया था। कुलाधिपतियों के रूप में मुख्यमंत्री इन विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति कर सकते थे। फिलहाल सरकार की इस मंशा पर पानी फिर गया है।
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