ढाका में श्री कामाख्या मंदिर को निशाना बनाया गया और मंदिर की 30 बीघा ज़मीन को कट्टर मुसलमानों ने हड़प लिया। समाज में विशेष सम्मान प्राप्त मंदिर के पुजारी को धमकी दी गई कि अगर उसने पूजा कराई तो बुरे नतीजे होंगे।
भारत के पड़ोस में जिन्ना के देश से कटकर बने बांग्लादेश में हिन्दुओं सहित अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के साथ जिन्ना के चहीतों के अत्याचार कम होने की बजाय बढ़ते ही दिखे हैं। सबसे अधिक प्रताड़ित किए जा रहे हिंदुओं के गांवों, घरों, कार्यालयों, प्रतिष्ठानों, मंदिरों को निशाने पर रखा जाता है और मौका मिलते ही मजहबी हमलावर नफरती हिंसा का कहर बरपाते हैं। हिन्दुओं के खेतों, जमीनों पर जबरन कब्जे किए जाते रहे हैं। अल्पसंख्यकों के दमन से पर्दा उठाने वाली एक रिपोर्ट सामने आई है। यह बताती है कि गत एक वर्ष में लगभग हजार से अधिक मामले हुए हैं जिनमें अल्पसंख्यक बुरी तरह मसले गए हैं।
गत एक वर्ष के इस आकलन में मजहबी उन्मादी तत्वों के हाथों 45 लोगों की हत्या का उल्लेख है। बांग्लादेश की हिंदू, बौद्ध, ईसाई समुदायों की ओइक्या परिषद द्वारा यह रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है। यह जिन घटनाओं और मामलों का जिक्र करती है, उन्हें पढ़कर वहां सभ्य समाज का दिल दहल गया है। हिंदुओं को निशाना बनाने में उन्मादियों को कथित तौर पर विशेष गौरव होता है। मंदिरों में तोड़फोड़ और देव प्रतिमाओं को नष्ट करके संभवत: कट्टर तत्वों के मजहबी मंसूबे तुष्ट होते हैं। रिपोर्ट ऐसे भी अनेक मामलों का उल्लेख करती है जिनमें अल्पसंख्यक वर्गों के लोगों की जमीन और खेत हथियाए गए हैं और पुलिस भी इन मामलों को सुलझाने में कोई खास दिलचस्पी नहीं लेती।
अभी हाल में ढाका में श्री कामाख्या मंदिर को निशाना बनाया गया और मंदिर की 30 बीघा ज़मीन को कट्टर मुसलमानों ने हड़प लिया। समाज में विशेष सम्मान प्राप्त मंदिर के पुजारी को धमकी दी गई कि अगर उसने पूजा कराई तो बुरे नतीजे होंगे। स्थानीय हिन्दुओं ने इस घटना के विरुद्ध रिनोर्ट तो दर्ज कराई है, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई होगी, इसे लेकर संदेह है।
इससे पूर्व गत 10 जुलाई को ढाका में ही एक रिहायशी कॉलेनी मीरांजिला में रहने वाले हिंदू परिवारों पर जिहादी तत्वों ने आक्रमण कर दिया। इस हिंसा में 60 लोग बुरी तरह जख्मी हुए। अनेक लोगों के घर तोड़ दिए गए, स्थानीय मंदिर को भी निशाना बनाया गया। भरी दोपहर में हुआ यह आक्रमण वहां के निगम पार्षद मुहम्मद औवाल हुसैन और उसके उन्मादी साथियों ने बोला था। हिन्दू घरों को आग के हवाले करने की कोशिशें हुईं, उन पर पत्थरों की बरसात की गई।
गत 28 मई को भी ढाका में ही एक मंदिर में एक उग्र मुसलमान ने जमकर तोड़—फोड़ मचाई। हालांकि उसे लोगों ने पकड़कर पुलिस को तो सौंपा, लेकिन पुलिस ने कोई मामला दर्ज नहीं किया, दोषी जिहादी तत्व को मानसिक तौर पर कमजोर कहकर ऐसे ही छोड़ दिया। उससे पहले 21 मई को बांग्लादेश के मगूरा नामक स्थान पर हिंदुओं के घरों को जलाया गया। मंदिर को आग के हवाले करने की कोशिश की गई।
13 मई के दिन सिलहट के इस्कॉन मंदिर पर जिहादी तत्वों ने हमला किया। मंदिर में मौजूद साधुओं को पीटा गया। बांग्लादेश में इस्कॉन के मंदिरों और सदस्यों पर पहले भी अनेक बार हमले हो चुके हैं। सिलहट में हिन्दुओं डर के साए में जीने को मजबूर हैं। हिन्दू लड़कियों को जबरन उठा ले जाना, उन्हें कन्वर्ट करना, किसी पर भी ईशनिंदा के फर्जी आरोप लगाकर मुकदमा दर्ज कराना आदि वे सब हथकंडे जो हिन्दुओं व अन्य अल्पसंख्यकों के विरुद्ध जिन्ना के देश में अपनाए जा रहे हैं, वे यहां बांग्लादेश में भी मजहबी उन्मादियों के ‘फर्ज’ बने हुए हैं।
हिन्दू और अन्य अल्पसंख्यक विरोधी इस मजहबी हिंसा और नफरत के विरुद्ध हिन्दू संगठनों ने एकजुट होकर विरोध दर्ज कराया है। विश्व हिन्दू परिषद ने बांग्लादेश सरकार से ऐसी सब घटनाओं का संज्ञान लेते हुए इन पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। बांग्लादेश के मानवाधिकार आयोग से भी अल्पसंख्यकों के प्रति बरती जा रही अमानवीयता पर कार्रवाई करने को कहा गया है।
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