जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में स्थित उमा देवी का मंदिर रविवार (14 जुलाई 2024) को केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय की मौजूदगी में 34 साल बाद खोला गया। इस मंदिर को देवी उमा भगवती के नाम से जाना जाता है। मंदिर खुलने के बाद कश्मीरी हिंदुओं ने यहां पूजा-अर्चना की और मानवता, राष्ट्र के कल्याण के लिए प्रार्थना की। सोशल मीडिया पर मंदिर का वीडियो भी सामने आया है। वीडियो में श्रद्धालु हाथों में पूजा की थाली लिए हुए मंदिर के चारों ओर खड़े हुए दिखाई दे रहे हैं। इस दौरान उन्हें देवी उमा भगवती की आरती करते हुए भी देखा गया।
अधिकारियों ने बताया कि अनंतनाग के शांगुस इलाके में मंदिर का जीर्णोद्धार करवाकर इसे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है। हजारों कश्मीरी पंडितों ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लिया और तीन दशकों के बाद मंदिर में विशेष प्रार्थना की गई। बताया जा रहा है कि राजस्थान से लाई गई देवी उमा भगवती की मूर्ति को धार्मिक मंत्रोच्चार के बीच गर्भगृह में स्थापित किया गया। इस दौरान धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए और श्रद्धालुओं ने माता के भजन भी गाए।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1990 में कश्मीरी पंडितों के पलायन के बाद इस मंदिर में तोड़फोड़ की गई थी। कश्मीरी पंडितों के अनुसार, 1990 से पहले शांगुस का ब्रायंगन गांव हिंदू बहुल गांव था, लेकिन 90 के दशक में आतंकियों से तंग आकर कश्मीरी पंडितों ने यहां से पलायन कर लिया। गांव में केवल एक जोड़ा रह गया था और उन्हें भी इस्लामिक आतंकवादियों ने निशाना बनाया।
कश्मीरी हिंदुओं के लिए इस मंदिर का खास महत्व है। 2019 के बाद कश्मीर में कश्मीरी पंडितों और हिंदुओं में आत्मविश्वास पैदा हुआ है, जिसके कारण वे यहां अब वापस लौट रहे हैं और मंदिरों को फिर से खोल रहे हैं। इससे पहले, वर्ष 2023 में नियंत्रण रेखा के पास टीटवाल में माता शारदा का मंदिर फिर से खोला गया था। 75 वर्षों बाद माता शारदा देवी का मंदिर खुलने के बाद यहां पहली बार दिवाली मनाई गई और मंदिर में पूजा-अर्चना की गई थी।
बता दें कि टीटवाल शारदा पीठ की तीर्थयात्रा का एक पारंपरिक मार्ग था जिसे आखिरी बार 1948 में विभाजन के बाद बंद कर दिया गया था। शारदा माता का प्राचीन मंदिर 18 महाशक्ति पीठों में से एक है। यह मंदिर हिंदू देवी शारदा को समर्पित है, जिन्हें ज्ञान और बुद्धि की देवी सरस्वती का अवतार माना जाता है।
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