नई दिल्ली । अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) के शल्य तंत्र विभाग ने सुश्रुत जयंती के अवसर पर द्वितीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘सौश्रुतम’ का आयोजन किया, जिसमें 25 लाइव सर्जरी प्रदर्शित की गईं। इन सर्जरी को देशभर से आए 160 विशेषज्ञों ने लाइव देखा। यह तीन दिवसीय संगोष्ठी 13 जुलाई को शुरू हुई और इसमें विभिन्न जटिल शल्यकर्मों को नई तकनीकों जैसे वीएएएफटी, लैप्रोस्कोली, लेजर, और पारंपरिक शैल विधियों का उपयोग करके प्रदर्शित किया गया।
कार्यशाला के दौरान भगंदर (फिस्टुला-इन-एनो), अर्श (बवासीर), पिलोनिडल साइनस, पित्ताशय की पथरी, और हर्निया जैसी बीमारियों पर सर्जरी की गईं। इन सर्जिकल प्रक्रियाओं से पिछले एक वर्ष में एआईआईए के लगभग 1500 मरीज लाभान्वित हुए हैं।
संगोष्ठी के समापन समारोह में एआईआईए की निदेशक डॉ. तनुजा नेसारी ने कहा, “एआईआईए आयुर्वेद को विश्व स्तर पर स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है। ‘सौश्रुतम’ संगोष्ठी हमारे समर्पण का उदाहरण है, जो आयुर्वेद को अत्याधुनिक सर्जिकल तकनीकों के साथ एकीकृत करने, उन्नत कौशल और सर्जिकल प्रथाओं में आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद करती है।”
शल्य तंत्र विभाग के प्रमुख प्रोफेसर डॉ. योगेश बडवे ने संगोष्ठी की सफलता पर टीम सौश्रुतम की प्रशंसा करते हुए कहा, “इस संगोष्ठी को सफल बनाने के लिए टीम ने बड़े उत्साह और पेशेवर प्रतिबद्धता के साथ काम किया है।”
इस संगोष्ठी में एम्स भोपाल के संस्थापक निदेशक प्रोफेसर संदीप कुमार, पद्मश्री प्रो. मनोरंजन साहू, एआईआईए के संस्थापक निदेशक और डीन पीजी प्रोफेसर (डॉ.) आनंद मोरे सहित एआईआईए के अन्य वरिष्ठ संकाय सदस्य भी उपस्थित रहे। संगोष्ठी ने आयुर्वेदिक सर्जनों को अत्याधुनिक तकनीकों के माध्यम से उन्नत सर्जिकल ज्ञान और आत्मविश्वास से लैस करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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