दक्षिण कोरिया के ही टेलीविजन चैनल ‘चोसुन’ ने विस्तार से बताया है कि गत सप्ताह उत्तर कोरिया में सरकारी अधिकारियों के आदेश पर माध्यमिक स्तर के स्कूली विद्यार्थियों को सबके सामने गोली से भून डाला गया। इनका दोष था दक्षिण कोरियाई टेलीविजन द्वारा प्रस्तुत किए गए नाटक देखना।
उत्तर कोरिया में तानाशाह बेलगाम है, इसमें कोई संदेह नहीं है। वह अत्याचारी और अपने नागरिकों के दिमाग में खौफ पैदा करके अपनी कुर्सी बचाए रखने के लिए कोई भी कदम उठाने से पीछे नहीं हटता। अपने इसी खौफ को बनाए रखने के लिए नागरिकों पर कड़ी पाबंदियां लगाने के अलावा वह उन्हें ऐसी ‘सजाएं’ देता है जो पाशविकता का ‘उदाहरण’ कायम करती हों। अपनी इसी बर्बरता पर चलते हुए, किम जोंग उन ने दक्षिण कोरिया के टेलीविजन कार्यक्रम को देखने के ‘अपराध’ में उत्तर कोरिया के स्कूली बच्चों को मौत की नींद सुलाने का कथित आदेश दे दिया। इस बात की जानकारी दक्षिण कोरिया के एक अखबार ने दी है।
रिपोर्ट के अनुसार, जिन तीस स्कूली बच्चों को यह ‘सजा’ दी गई है वे नाबालिग बताए गए हैं। उन सबकी एक साथ हत्या की गई। दक्षिण कोरिया के टेलीविजन कार्यक्रम को देखने की ऐसी सजा! जो सुनता है उसकी रूह कांप उठती है। यह कहना है दक्षिण कोरिया के मशहूर अखबार ‘जोंगआंग डेली’ का।
दक्षिण कोरिया सरकार के एक अधिकारी को उद्धृत करते हुए दक्षिण कोरिया के ही टेलीविजन चैनल ‘चोसुन’ ने विस्तार से बताया है कि गत सप्ताह उत्तर कोरिया में सरकारी अधिकारियों के आदेश पर माध्यमिक स्तर के स्कूली विद्यार्थियों को सबके सामने गोली से भून डाला गया। इनका दोष था दक्षिण कोरियाई टेलीविजन के द्वारा प्रस्तुत किए गए नाटक देखना।
हालांकि दक्षिण कोरिया की सरकार की ओर से इस खबर की प्रामाणिकता पर कुछ भी कहने से मना कर दिया गया है। लेकिन तो भी एक अधिकारी ने गुपचुप पत्रकारों को यह बताया है कि सब जानते हैं, उत्तर कोरिया के अधिकारी ‘प्रतिक्रियावादी सोच तथा संस्कृति को न स्वीकारने से संबंधित अधिनियम’ सहित कुछ कानूनों पर चलते हुए लोगों पर डंडा राज चलाते हैं, इन्हीं कानूनों की आड़ में आम लोगों को सख्त सजा देने का प्रावधान बनाया हुआ है। उनके इस बर्ताव के पीछे बेशक तानाशाह का कथित हाथ है, क्योंकि कानून कैसे लागू करवाने हैं इस पर सीधे किम की ही चलती है।
दक्षिण कोरिया के मंत्रालय ने साल 2024 की जो उत्तर कोरिया की मानवााधिकार रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया है कि दक्षिण कोरिया के नाटक देखने की सजा के तौर पर मौत की सजा के मामले भी दर्ज हैं। उत्तर कोरिया का उक्त अमानवीय कानून साल 2020 में दिसम्बर में क्रियान्वित किया गया। इसी कानून में है कि जो दक्षिण कोरिया के अखबार या टेलीविजन की सामग्री के साथ पाया गया उसे मौत की सजा दी जाएगी और इसे देखने वाले को 15 साल तक की जेल मिलेगी। यही वह कानून है जिसके जरिए दक्षिण कोरिया की पुस्तकों, गानों तथा चित्रों को वर्जित किया गया है। कहा गया है कि अगर कोई उत्तर कोरियाई इन सबमें संलग्न पाया जाता है तो उससे दो साल तक कड़ी मशक्कत कराई जाएगी।
गत सप्ताह भी यही हुआ। उत्तर कोरिया में रहते हुए उन ‘अपराधियों’ ने दक्षिण कोरिया की संस्कृति केा प्रसार करने की हिमाकत की थी। उत्तर कोरिया के अधिकारियों को यह कैसे बर्दाश्त होता। कड़ा आदेश सुनाते हुए उन्होंने लगभग 17 साल के उन 30 नाबालिग ‘अपराधियों’ को मृत्युदंड की सजा दी गई। इसी प्रकार इस साल की शुरुआत में उत्तर कोरिया में एक 16 साल के बालक को 12 साल की कड़ी मजदूरी करने की सजा इस ‘अपराध’ के लिए दी गई थी उसने दक्षिण कोरिया की संस्कृति का ‘प्रसार’ किया था।
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