कहते हैं कि जब आपका कैरियर न चल रहा हो तो विवाद पैदा करो और चर्चा में आओ। और यदि आप मुस्लिम हैं तो यह और भी सरल है। मुस्लिम होने से जो विशेषाधिकार प्राप्त होता है, वह हर पीड़ा और हर अधिकार से बढ़कर होता है। यह बहुत ही हैरान करने वाली बात है कि जब किसी का कैरियर ढलान पर होता है तो एकदम से उसे यह याद आता है कि उनकी मजहबी पहचान क्या है और आखिर मुस्लिमों को कितना प्रताड़ित किया जा रहा है। मगर वे यह भूल जाते हैं कि यह सोशल मीडिया का युग है।
ताजा बयान है गायक लकी अली का लकी अली जिनकी पहचान महमूद के बेटे और एक गायक एवं गीतकार की है तो वहीं, उनका पूरा नाम है मकसूद महमूद अली। मगर भारत में ही नहीं बल्कि जहां भी उनके गीतों को प्यार मिला वह लकी अली के नाम से ही मिला, क्योंकि यही मशहूर था। गायक लकी अली को उनकी क्ला के कारण पूरी दुनिया में बेपनाह मुहब्बत मिली। किसी ने भी इसकारण उनकी कला को लेकर कुछ नहीं कहा कि उनका मजहब कौन सा है। मगर अचानक से ही लकी अली को याद आया कि वे मुस्लिम हैं और उन्होनें एक्स पर पोस्ट लिखा कि
“आज की दुनिया में मुस्लिम होना अकेली चीज है। प्रोफेट की सुन्ना का पालन करना अकेली चीज है, आपके दोस्त आपको छोड़ देंगे, दुनिया आपको आतंकवादी कहेगी!”
लकी अली को मुस्लिम होने पर अकेलापन या दोस्तों का छोड़ना जैसी बातें कैसे याद आती हैं? लकी अली को ही नहीं बल्कि भारत ने उनके अब्बू महमूद को भी बहुत प्यार दिया। फिल्म इंडस्ट्री ने उन्हें हाथों हाथ लिया और आज तक लोग महमूद को उनकी अदाकारी के लिए याद करते हैं। मगर लकी अली की यह कैसी मजबूरी रही कि आज के समय में जब कट्टरता का जाल कई इस्लामी मुल्कों में अपने जाल फैला चुका है, तब उन्हे यह याद आया कि दुनिया आपको आतंकवादी समझेगी?
आखिर यह विक्टिमहुड किस कारण है? आखिर यह छद्मपीड़ा किस कारण है? इन दिनों जब यूरोप ऐसे शरणार्थियों से परेशान है, जो जिस देश में शरण लेते हैं, उन्हीं के नागरिकों पर हमला करते हैं, तहजीब के अलग होने के कारण लड़कियों को निशाना बनाते हैं, छोटी-छोटी बच्चियों को इस प्रकार ग्रूम करते हैं कि उनकी पहचान केवल उनकी यौनिकता और अंतत: इस्लाम में कन्वर्ट होने तक रह जाए, तो इन्हीं दिनों लकी अली का यह कहना कि यदि आप मुस्लिम हैं तो आपके दोस्त आपको अकेला छोड़ देंगे, अपने आप में कई प्रश्न खड़े करता है।
लकी अली ने यह नहीं बताया कि आखिर दोस्त क्यों छोड़ देंगे? क्या वे अपने गिरेबान में झाँककर नहीं देखना चाहते हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ है? भारत में ही रोज ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जब मजहब के नाम पर छल किए जा रहे हैं और गैर-मुस्लिम लड़कियों को दोस्ती और प्रेम के जाल में फँसाकर उन्हें मुस्लिम बनाया जा रहा है। आँकड़े रोज ही नई भयावहता की बात कर रहे हैं तो वहीं लकी अली एक अलग ही विक्टिम कार्ड खेल रहे हैं। परंतु दुर्भाग्य यह है कि अब लोग इस बात को समझने लगे हैं। अब लोग यह जानने लगे हैं कि कैसे उनकी भावनाओं के साथ खेला जाता है।
लकी अली जैसे लोग पाकिस्तान में लगातार हिन्दू लड़कियों के साथ हो रहे जबरन मतांतरण पर कुछ नहीं बोलते हैं, लकी अली जैसे लोग अपने मुस्लिम समुदाय में भी अहमदिया जैसे समुदायों के साथ होते हुए अत्याचारों पर मौन रहते हैं। वे यजीदी लड़कियों को आईएसआईएस के हाथों सेक्स स्लेव बनते देखते हैं और विरोध का एक भी स्वर नहीं फूटता है और साथ ही जब सेक्स स्लेव बनने से ये लड़कियां इनकार करती हैं तो कुछ लड़कियों को जिंदा जलाई जाती हैं।
प्रीविलेज पाए हुए मुस्लिम समुदाय के लोग जब ऐसी भड़काने वाली बातें करते हैं तो लोगों का गुस्सा होना स्वाभाविक है। इस्लाम दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा धर्म है। इसका पालन करने वाले कई मुल्क हैं। तमाम ऐसे मुल्क हैं, जहां पर इस्लामी शासन ही चलता है, फिर लकी अली को इस दुनिया में अकेलापन क्यों लगता है?
एक्स पर यूजर्स ने पूछा कि जब आपके पास 57 देश हैं और उसके बाद भी आपके भीतर अकेलापन है तो आपको अपने भीतर झाँकने की आवश्यकता है।
लकी अली यूं तो गायक के स्थान पर अब मौलाना जैसी बातें करते हैं। पूरी तरह से मजहबी और एजेंडा वाली पोस्ट्स. ऐसा नहीं है कि लकी अली पहली बार विवादित बयान देकर चर्चा में आए हैं, पिछले वर्ष ही उन्होनें यह कहा था कि ब्रह्मा शब्द अब्राहम से आया है। और इसके बाद उन्हें माफी भी माँगनी पड़ी थी।
दरअसल भावुकता के नाम पर लकी अली जैसे लोग, जिन्हें कभी भी मजहब के नाम पर किसी भी प्रकार के भेदभाव का सामना कभी नहीं करना पड़ा, और जिन्हें इस देश ने हाथों हाथ लिया, एक ऐसा एजेंडा चलाते हैं, जिसमें कट्टर मुस्लिमों द्वारा की जा रही हर प्रकार की हिंसा और अत्याचार को व्हाइटवाश किया जा सके।
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