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ओलंपिक में भारत: संघर्ष, समर्पण और स्वर्णिम उपलब्धियों की कहानी

ओलंपिक गेम्स पेरिस में 16 जुलाई से शुरू हो रहे हैं। पीवी सिंधु और टेनिस स्टार शरत कमल इस बार भारतीय ध्वज थामेंगे

by Masummba Chaurasia
Jul 12, 2024, 03:46 pm IST
in खेल
ओलंपिक में भारत के खिलाड़ी स्वर्णिम अध्याय लिख रहे हैं।

ओलंपिक में भारत के खिलाड़ी स्वर्णिम अध्याय लिख रहे हैं।

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ओलंपिक गेम्स पेरिस में 26 जुलाई से शुरू हो रहे हैं और 11 अगस्त तक चलेंगे। भारत की बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु और टेनिस स्टार शरत कमल भारतीय ध्वज थामेंगे। इस बार ये दोनों खिलाड़ी ध्वजवाहक रहेंगे। ओलंपिक, खेलों का एक ऐसा आयोजन है जिसे विश्वभर के खेल प्रेमी सबसे ज्यादा पसंद करते हैं। इसकी जडें यूनान से जुड़ी हैं और भारत इसमें शान से तिरंगा लहराता है। ओलंपिक केवल खेल तक सीमित नहीं है, बल्कि ये विभिन्न संस्कृतियों और देशों के लोगों को एक साथ लाने का भी मंच है।

भारत का ओलंपिक इतिहास भी गौरवशाली उपलब्धियों और प्रेरणादायक कहानियों से भरा है। वर्ष 1900 से लेकर अब तक भारतीय एथलीटों ने अपने संघर्ष, समर्पण और मेहनत से अंतरराष्ट्रीय खेल मंच पर देश का नाम रौशन किया है।

शुरुआती सफलता

भारत ने पहली बार 1900 में पेरिस ओलंपिक में भाग लिया था। भारत की ओर से एथलीट नॉर्मन प्रिचार्ड ने दौड़ में दो रजत पदक जीते थे। इसके बाद 1920 के एंटवर्प ओलंपिक में एक छोटी भारतीय टीम ने भाग लिया था, जो पदक जीतने में असफल रही थी।

ओलंपिक में भारतीय हॉकी

भारतीय हॉकी का स्वर्ण युग 1928 से शुरू हुआ था, जब एम्स्टर्डम ओलंपिक में टीम ने अपना पहला स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद भारतीय हॉकी टीम ने 1932 में लॉस एंजिल्स, 1936 में बर्लिन, 1948 में लंदन, 1952 में हेलसिंकी, 1956 में मेलबर्न, 1964 में टोक्यो और 1980 में मॉस्को में भी स्वर्ण पदक जीते थे। मेजर ध्यानचंद जिन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाता है, उन्होंने इस स्वर्णिम युग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

स्वतंत्रता के बाद का ओलंपिक

स्वतंत्रता के बाद भारतीय खिलाड़ियों ने विभिन्न खेलों में अपनी पहचान बनाई। 1952 हेलसिंकी ओलंपिक में के.डी. जाधव ने कुश्ती में कांस्य पदक जीतकर स्वतंत्र भारत के लिए पहला व्यक्तिगत ओलंपिक पदक जीता था तो इसके बाद 1996 में लिएंडर पेस ने टेनिस में कांस्य पदक जीता।

ओलंपिक में 21वीं सदी की नई ऊंचाइयां

21वीं सदी में भारत ने ओलंपिक खेलों में और भी महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं। 2008 बीजिंग ओलंपिक में अभिनव बिंद्रा ने शूटिंग में स्वर्ण पदक जीतकर व्यक्तिगत स्पर्धा में भारत का पहला स्वर्ण पदक जीता था तो 2012 में लंदन ओलंपिक में भारत ने कुल छह पदक जीते, जिसमें सुशील कुमार को कुश्ती और विजय कुमार को शूटिंग में रजत पदक और मैरी कॉम को मुक्केबाजी, साइना नेहवाल को बैडमिंटन, योगेश्वर दत्त को कुश्ती और गगन नारंग को शूटिंग में कांस्य पदक मिले थे।

2020 टोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा ने जेवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीतकर भारत के एथलेटिक्स इतिहास में नया कीर्तिमान स्थापित किया था। इस ओलंपिक में पीवी सिंधु ने बैडमिंटन, लवलीना बोरगोहेन ने मुक्केबाजी, मीराबाई चानू ने वेटलिफ्टिंग और पुरुष हॉकी टीम ने भी पदक जीते थे।

भारत का ओलंपिक इतिहास अद्वितीय है, जिसमें कई संघर्ष, चुनौतियां और विजय के सुनहरे पल शामिल हैं, भारतीय एथलीटों ने हर बार देश का मान बढ़ाया है और आने वाले समय में भी भारतीय खिलाड़ियों से और भी बड़ी उम्मीदें हैं। ओलंपिक खेल न केवल खेल-कूद का मंच है बल्कि ये भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत भी है।

Topics: पाञ्चजन्य विशेषओलंपिक गेम्स 2024paris olympic games
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