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हज पर हावी माफिया

सऊदी अरब प्रति हज यात्री भारी शुल्क लेकर यात्रा का परमिट देता है। लोग पैसे बचाने के लिए बिना परमिट जाते हैं मक्का। कई देशों के मंत्रियों, अधिकारियों और निजी टूर आॅपरेटरों की मिलीभगत से जारी अवैध हज यात्रा कारोबार

by मलिक असगर हाशमी
Jul 11, 2024, 09:14 am IST
in विश्व, विश्लेषण
मक्का में भीषण गर्मी में बेहाल हज यात्री

मक्का में भीषण गर्मी में बेहाल हज यात्री

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सऊदी अरब का मक्का शहर दुनियाभर के मुसलमानों के लिए पवित्रतम शहरों में एक है। कोरोनाकाल को छोड़ दें तो हर वर्ष 18 से 20 लाख मुस्लिम हज के लिए मक्का जाते हैं। चूंकि हज परमिट देने के लिए सऊदी सरकार भारी-भरकम शुल्क लेती है, इसलिए इस इस्लामिक ‘फर्ज’ में अपराधियों, मानव तस्करों और अंडरवर्ल्ड का दखल बढ़ता ही जा रहा है। ये बिना परमिट कम पैसे में हज यात्रा करवाते हैं। अवैध तरीके से हज करने वाले लोगों की बढ़ती संख्या के कारण व्यवस्था के चरमराने से हर वर्ष बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो जाती है।

इस वर्ष हज के दौरान 1300 से ज्यादा लोगों की मौत के बाद यह खुलासा हुआ कि इस संगठित अपराध में कई मुस्लिम देशों के मंत्री, शीर्ष अधिकारी और निजी टूर आपरेटर शामिल हैं। वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र साहनी एक लेख में लिखते हैं, ‘‘इस साल हज में भारी संख्या में हज यात्रियों की मौत के बाद अरब देशों के अखबार खंगाले, तब पाया कि दुनिया का मीडिया जब इस मुद्दे बहस में उलझा था तो ये खामोश थे।’’ दुनियाभर में मुस्लिम उत्पीड़न का दावा करने वाला ‘अल-जजीरा’ अखबार भी इन मौतों पर चुप्पी साधे रहा।

सरकार और बादशाहियत के अधीन चलने वाला अधिकांश मीडिया ऐसी खबरों को दबाने की चाहे जितनी कोशिश करे, सच यह है कि 2024 की हज यात्रा हो या उससे पहले की, तमाम हज यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में हज यात्रियों की मौत प्राकृतिक से कहीं अधिक कृत्रिम ढंग से पैदा किए गए बदतर हालात के कारण हुई। दरअसल, वार्षिक हज अदा करने वालों को परमिट लेना पड़ता है। सऊदी सरकार ने दुनिया के सभी देशों को हज का कोटा दे रखा है। शुल्क के अधिक होने के बावजूद हर साल हज यात्रियों की संख्या बढ़ रही है। सुन्नी मुसलमानों के पांच इस्लामिक फर्जों (तौहीद, नमाज, रोजा, जकात व हज) में हज भी एक है, जिसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इसलिए आर्थिक संकट से जूझ रहे अधिकांश मुस्लिम देशों के लोग हर हाल में हज करना चाहते हैं। ऐसे में वे कम खर्च में हज करने के लालच में मानव तस्करों के जाल में फंस जाते हैं और जान गवां बैठते हैं।

मानव तस्कर का गिरोह सक्रिय

मीडिया में आई रिर्पोट्स बताती हैं कि वार्षिक हज यात्रा में संगठित अपराध पूरी तरह घुसपैठ कर चुका है। गिरोहों के लोग सऊदी अरब के चोर रास्तों और मक्का-मदीना शहर तक फैले हुए हैं। ये सरकारी परमिट से बहुत कम कीमत में हज यात्रियों को चोर रास्तों से लाकर मक्का-मदीना में अवैध तरीके से ठहराते हैं और हज की व्यवस्था करते हैं। चूंकि इनके पास परमिट नहीं होता, इसलिए हज यात्रियों को चोरी-छिपे, दुर्गम रास्तों से लाकर कष्टप्रद स्थितियों में रखा जाता है, जहां न पीने का पानी होता है और न ही अन्य सुविधाएं। अवैध तरीके से आने वाले इन हज यात्रियों को अभावों के बीच भीषण गर्मी में रहना पड़ता है, जिसे वे सहन नहीं कर पाते और दम तोड़ देते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, इन अधिकांश लोगों की उम्र 60 वर्ष से अधिक होती है या वे किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित होते हैं।

सऊदी अरब के स्वास्थ्य मंत्री फहद अल-जलाजेल के अनुसार, इस वर्ष 18 लाख से अधिक हज यात्री पहुंचे। इसके अलावा अवैध तरीके से हज करने वालों की संख्या 4 लाख से अधिक थी। सऊदी सरकार को इसका अनुमान था, इसलिए उसने हज शुरू होने से पहले सारी सीमाएं सील कर रेगिस्तान से लेकर अन्य जगहों तक सेना की तैनाती की थी ताकि अवैध तरीके से हज के लिए आने वालों को रोका जा सके। इस चौकसी के कारण इस बार हजारों अवैध हज यात्री पकड़े गए।

यही नहीं, गैर-कानूनी तरीके से आने वाले हज यात्रियों में भय पैदा करने के लिए सेना ने सड़कों पर मार्च भी किया। यहां तक कि मक्का की दोनों मस्जिदों के इमामों ने हज शुरू होने से पहले जुमे की नमाज के खुतबे में अवैध तरीके से हज करने को ‘गैर-इस्लामिक’ बताते हुए कहा कि ऐसी हज कबूल नहीं होतीं। लेकिन ये तमाम उपाय नाकाफी साबित हुए। बहरहाल, सरकार ने बड़ी संख्या में हज यात्रियों की मौत के मामले को दबाने की पूरी कोशिश की। विदेशी मीडिया में मौतों पर लगातार खबरें प्रकाशित होती रहीं, पर सऊदी सरकार मृतकों के आंकड़े छिपाती रही।

अंतत: हज समाप्त होने के कई दिन बाद उसने मृतकों का आंकड़ा जारी किया। सरकार ने सफाई दी कि उसने ‘हीट वेव’ के मद्देनजर हज यात्रियों के लिए परामर्श जारी किया था, लेकिन उन्होंने हिदायतों का उल्लंघन किया, जिससे बड़ी संख्या में मौतें हुईं। परोक्ष रूप से सरकार ने अव्यवस्था, सुरक्षा में चूक और गैर-कानूनी तरीके से आने वाले हज यात्रियों की बढ़ती संख्या और सुविधाओं की कमी की बात भी कबूल की है। अवैध हज को गैर-इस्लामी करार देने के बावजूद लोग सऊदी अरब जाने का जोखिम क्यों उठाते हैं? न्यूयॉर्क टाइम्स, एएफपी जैसे मीडिया प्रतिष्ठानों की रिपोर्ट के अनुसार, अंडरवर्ल्ड का जाल विभिन्न देशों के अलावा सऊदी अरब तक पहुंच गया है। इसमें कई देशों के मंत्री, वरिष्ठ अधिकारी, निजी टूर आपरेटरों के अलावा स्थानीय लोग भी अवैध हज यात्रियों के आने-जाने, रहने-खाने की व्यवस्था करते हैं।

बिना परमिट पहुंचे 83 प्रतिशत हज यात्री

शुरुआती जांच के बाद सऊदी के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ‘‘1,301 मौतों में से 83 प्रतिशत हज यात्रियों के पास परमिट नहीं थे। उन्हें धूप में लंबी दूरी तक पैदल चलना पड़ा। इस वर्ष हज के मौसम में तापमान में वृद्धि एक बड़ी चुनौती थी। उनके लिए यह मौसम दर्दनाक रहा, जो बिना परमिट मक्का आए। उनके अवैध प्रवेश से कई जगह सुविधाएं कम पड़ गईं। बिना परमिट हज यात्रा कराने में टूर आपरेटर, तस्करों और अंडरवर्ल्ड का गठजोड़ सामने आया है।’’ एक रिपोर्ट के अनुसार, मरने वाले 1,301 लोगों में 98 हज यात्री भारतीय थे। हालांकि वे परमिट लेकर गए थे। बहरहाल, इतनी बड़ी संख्या में हुई मौतों से सऊदी की सुरक्षा प्रणाली पर भी सवाल उठे हैं। सरकार की तमाम सख्ती के बावजूद बिना परमिट लोग कैसे इतनी बड़ी संख्या में मक्का पहुंच गए?

फ्रांस की एक न्यूज एजेंसी का कहना है कि जब उसने सऊदी सरकार से 4 लाख अवैध हज यात्रियों के मक्का में प्रवेश के बारे में जानना चाहा तो अधिकारियों ने कोई जवाब नहीं दिया। एक अन्य में रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस साल लगभग हर पांच में से एक हज यात्री अवैध तरीके से मक्का पहुंचा था। बिना परमिट वाले हज यात्रियों के खाने-पीने की व्यवस्था नहीं थी और उन्होंने भीषण गर्मी में बिना एसी वाली बसों में सफर किया। इस बार हज के दौरान तापमान 51 डिग्री से अधिक रहा। सेना की सख्ती के कारण उन्हें भीषण गर्मी में मीलों तक पैदल चलना पड़ा। वहीं, जिन हज यात्रियों के पास वैध परमिट थे, उन्हें सारी सुविधाएं मिलीं। हालांकि गर्मी के कारण स्वस्थ हज यात्री भी मूर्च्छित होकर गिर रहे थे। ऐसे कुछ वीडियो भी सामने आए हैं, जिनमें सड़क किनारे लाशें पड़ी हुई दिख रही थीं।

मौतों पर सऊदी सरकार की सफाई

साल दर साल बढ़ते मौत के आंकड़े पर स्वास्थ्य मंत्री सफाई देतेहैं कि वार्षिक हज हो या उमराह, हज यात्रा पर आने वालों का मरना सामान्य बात है, क्योंकि वे गंभीर रोगों से पीड़ित होते हैं। हज में हर वर्ष लगभग 20 लाख लोग आते हैं। उनमें कुछ को गर्मी, तनाव, बीमारी या असामान्य स्थिति का सामना करना पड़ता है। जैसे-जैसे अपराधियों का दखल बढ़ रहा है, मौतों का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है।

पिछले वर्ष अकेले इंडोनेशिया के 774 हज यात्रियों की मौत हो गई थी। इसी तरह, 2015 में भगदड़ से 2000 से अधिक लोग मारे गए थे, जबकि 1985 में मक्का के मजहबी स्थलों के आसपास 1,700 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। इनमें अधिकतर मौतें गर्मी के कारण हुई थीं। प्रश्न है कि सऊदी सरकार रोगियों को हज की अनुमति क्यों देती है? वैसे तो हज यात्रियों को तरह-तरह के टीके लगवा कर आने की हिदायत दी जाती हैं, पर गंभीर रोगियों को आने से रोकने का इंतजाम क्यों नहीं किया जाता? चलो, अनुमति दे भी दी तो उनकी देखभाल क्यों नहीं की जाती? हज यात्रियों से अरबों डॉलर वसूले जाते हैं, पर इस रकम को स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने पर खर्च क्यों नहीं किया जाता?

द न्यूयॉर्क टाइम्स से एक साक्षात्कार में कुछ टूर आपरेटरों, हज यात्रियों और मृतकों के परिजनों ने सऊदी सरकार की व्यवस्था में खामियों का आसानी से लाभ उठाने की बात कबूल की है। उन्होंने बताया कि सऊदी सरकार उन लोगों को वीजा के साथ हज यात्रा की अनुमति देती है, जिनके पास कोटा-परमिट हो। यह परमिट संबंधित देशों की सरकारें और वहां के कुछ निजी टूर आॅपरेटर उपलब्ध कराते हैं, इसलिए उन्हें सभी सुविधाएं मिलती हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार, मंदी झेल रहे मिस्र और जॉर्डन जैसे देशों में बढ़ती आर्थिक हताशा के कारण गैर-पंजीकृत हज यात्रियों की संख्या बढ़ी है। आधिकारिक रूप से प्रत्येक हज यात्री के लिए मूल देश को 5,000 से 10,000 डॉलर से अधिक का भुगतान करना पड़ता है। ऐसे में हर व्यक्ति इस खर्च को वहन नहीं कर सकता, फिर भी चूंकि हज 5 इस्लामिक फर्जों से एक है, इसलिए गरीब हो या अमीर, हर मुसलमान हज यात्रा करना चाहता है।

मिस्र की एक 32 वर्षीया महिला मारवा ने, जिसके माता-पिता ने इस वर्ष बिना परमिट हज यात्रा की, बताया, ‘‘उन्होंने यात्रा के लिए लगभग 2,000 डॉलर चुकाए, तब मिस्र के एक एजेंट और सऊदी अरब के एक दलाल ने उनकी हज यात्रा को सुगम बनाया। उन्हें लगा कि जल्द हज कर लेना चाहिए, क्योंकि मिस्र की मुद्रा का तेजी से अवमूल्यन हो रहा है। ऐसे में वे अगले वर्ष हज कर पाते या नहीं, इसमें संदेह था।’’ मारवा के माता-पिता की तरह कई अन्य देशों के लोगों ने भी अवैध तरीके से हज करना बेहतर समझा।

इस बार अव्यवस्था के चलते 1300 से अधिक हज यात्रियों की मौत हो गई

ट्यूनीशिया के मंत्री बर्खास्त

अवैध तरीके से हज यात्रा कराने के धंधे में अंडरवर्ल्ड के खुलासे के बाद कई देशों में जांच शुरू हो गई है। अब उन रास्तों की भी खोज की जा रही है, जिसका सहारा बिना परमिट वाले हज यात्रियों को मक्का पहुंचाने के लिए लिया जाता है। इस वर्ष हज में ट्यूनीशिया के 50 से अधिक नागरिकों की मौत हुई। इसलिए राष्ट्रपति ने मजहबी मामलों के मंत्री को बर्खास्त कर दिया। वहीं, हज के दौरान 99 लोगों की मौत के बाद जॉर्डन ने भी जांच शुरू कर दी है। सरकार ‘अवैध हज मार्गों’ का पता लगा रही हैं, जबकि मिस्र ने अपने यहां 16 टूर आपरेटरों के लाइसेंस रद्द कर दिए हैं। काहिरा के एल-इमान टूर्स के सह-मालिक इमान अहमद मानते हैं कि इस ‘अवैध व्यवसाय’ में बहुत लालच है। उन्होंने जब इस वर्ष गैर-पंजीकृत हज यात्रियों को भेजने से मना किया, तो मिस्र के अन्य टूर आपरेटरों ने सऊदी के दलालों की मदद से इस काम को अंजाम दिया।

अवैध तरीके से हज यात्रा करने वालों में मिस्र के शहर लक्सर की 55 वर्षीया सफा अल-तवाब भी थीं। उनके भाई अहमद अल-तवाब ने अपनी बहन को हज परमिट न मिलने पर  मिस्र के एक टूर आपरेटर को 3,000 डॉलर देकर हज यात्रा करवाई। सफा को यह अहसास नहीं था कि ऐसा करके वह सऊदी अरब के नियमों का उल्लंघन कर रही हैं। सउदी अरब पहुंच कर उन्होंने रिश्तेदारों को बताया कि उन्हें ऐसी जगह रखा गया, जहां सुविधाओं का अभाव था। उन्हें बाहर निकलने की भी अनुमति नहीं थी। इसके अलावा, भीषण गर्मी में मीलों पैदल चलना पड़ा।

हज से कुछ सप्ताह पहले बिना परमिट मक्का आने वालों पर रोक लगा दी गई थी। ऐसा हर वर्ष किया जाता है, फिर भी इस बार बड़ी संख्या में बिना परमिट वाले हज यात्री मक्का पहुंचने में सफल रहे। मक्का में छिपने के लिए उन्होंने तस्करों और दलालों की मदद ली और बदले में उन्हें पैसे दिए। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अवैध तरीके से मक्का पहुंचे जॉर्डन के अब्दुल रहमान ने बताया कि मक्का जाने के लिए उसने कई तस्करों का सहारा लिया। उससे चट्टानी पहाड़ी मार्ग से शहर ले जाने के एवज में 200 डॉलर वसूले गए। उसे पानी और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं दी गईं। उसे घंटों प्रचंड गर्मी में पैदल चलना पड़ा। उसके साथ जो लोग थे, पुलिस ने कुछ समय के लिए उन सभी को हिरासत में ले लिया। फिर किसी ने पैरवी की तो सबके नाम लिखकर छोड़ दिया। 49 वर्षीय अब्दुल रहमान को बखूबी मालूम था कि वह गैर-कानूनी तरीके से हज यात्रा कर रहा है, लेकिन कम पैसे लग रहे थे तो उसने यह जोखिम उठाना बेहतर समझा।

इसके विपरीत केन्या के 31 वर्षीय हज यात्री अब्दुल हलीम दाहिर की आधिकारिक परमिट पर हज यात्रा शानदार रही। उसने अपने भाई और पिता के साथ हज किया। उसने बताया कि उसे यात्रा में कोई परेशानी नहीं हुई। आने-जाने के लिए वातानुकूलित बसें, ठंडा पानी और ठहरने के लिए वातानुकूलित टेंट मिले। हज यात्रा का उसका अनुभव सुखद रहा।

बहरहाल, कड़े पहरे के बावजूद गैर-कानूनी तरीके से हज यात्रियों के मक्का पहुंचने का सिलसिला साल दर साल बढ़ता जा रहा है। सऊदी अरब ने दबी जुबान में ही सही, यह तो माना कि हज माफिया, जिसमें टूर आपरेटर, तस्कर और अंडरवर्ल्ड शामिल हैं, कम पैसे में बिना परमिट मुसलमानों को हज करा रहे हैं। साफ है कि वैध हज यात्रियों की आमद के कारण व्यवस्था चरमरा जाती है और हर वर्ष बड़ी संख्या में लोग मारे जाते हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

Topics: फर्जमुस्लिम हजतौहीदरोजाजकात व हजFarzनमाजMuslim HajjNamazTawheedसऊदी अरबRozaSaudi ArabiaZakat and Hajjपाञ्चजन्य विशेष
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