नई दिल्ली । नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा जताई गई चिंताओं को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने निराधार करार दिया है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि नए कानून के तहत लापरवाही से मौत की सजा में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
मीडिया रिपोर्टों में कहा गया था कि आईएमए बीएनएस की धारा 106(1) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने की योजना बना रहा है। यह धारा एक पंजीकृत चिकित्सक की लापरवाही से किसी मरीज की मृत्यु होने पर जुर्माने के साथ दो साल की सजा का प्रावधान करती है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस बात की पुष्टि की कि इस धारा में केवल वही प्रावधान है जो पहले भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304ए में था, जिसमें किसी भी व्यक्ति (चिकित्सकों सहित) द्वारा लापरवाही से मौत का कारण बनने पर दो साल तक की कैद या जुर्माना हो सकता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, जब दिसंबर 2023 में आईपीसी को बीएनएस से बदलने का विधेयक लोकसभा में पेश किया गया था, तब बीएनएस की धारा 106(1) के तहत लापरवाही के कारण होने वाली मौत के लिए 5 साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान था। हालांकि, चिकित्सकों से प्राप्त अभ्यावेदन के आधार पर इस धारा में संशोधन किया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि चिकित्सा प्रक्रिया के दौरान पंजीकृत चिकित्सकों द्वारा लापरवाही होने पर उन्हें केवल 2 साल की कैद और जुर्माने से दंडित किया जाए।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि नए कानून में चिकित्सकों के लिए कोई कठोर प्रावधान नहीं है और यह केवल वही सजा सुनिश्चित करता है जो पहले से ही आईपीसी के तहत निर्धारित थी।
बता दें कि स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा यह कदम चिकित्सकों और आम जनता के बीच अनावश्यक भ्रम को दूर करने के लिए उठाया गया है, ताकि स्वास्थ्य सेवा में विश्वास बनाए रखा जा सके।
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