स्टार्मर भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते, दुनिया की सुरक्षा, शिक्षा, प्रौद्योगिकी तथा जलवायु में बदलाव सहित अन्य अनेक क्षेत्रों में आपसी सहयोग व साझेदारी को अगले स्तर पर ले जाने की बात कर रहे हैं। ये सब मुद्दे लेबर पार्टी के घोषणापत्र में उल्लिखित हैं
ब्रिटेन के चुनावी नतीजे वैसे ही रहे जैसे कि पहले से घोषणाएं की जा रही थीं। सर्वेक्षणों में सुनक के नेतृत्व में टोरी दल की हार और लेबर पार्टी की प्रचंड जीत साफ दिखाई जा रही थी। नतीजे उसी लीक पर आए। लेबर पार्टी चौदह साल बाद धमक के साथ सत्ता में आने की स्थिति में आई। इन नतीजों को भारत के संदर्भ में विश्लेषित किया जाना जरूरी है।
यह वही लेबर पार्टी है जिसने अपने यहां के प्रवासी भारतीयों को अपनी आव्रजन नीति की वजह से 2019 में गुस्सा दिलाया था। वही लेबर पार्टी जिसने कश्मीर पर भारत विरोधी वक्तव्य दिया था कि वहां के लोगों को ‘जनमत’ का हक दिया जाना चाहिए। आज ऐसे विषयों पर लेबर पार्टी का क्या रुख है।
लेबर पार्टी की जीत दिखाती है कि इसमें वहां बड़ी संख्या में बसे भारतवंशियों का सहयोग रहा है। लेबर पार्टी के नेता स्टार्मर यह तथ्य जानते हैं। इसीलिए पहले घोषणापत्र में, फिर जीत के बाद भी स्टार्मर भारतीय समुदाय को संबोधित करना नहीं भूले। सब जानते हैं कि आज ब्रिटेन में हिन्दू समुदाय वहां के राजनीतिक—सामाजिक क्षेत्र में अच्छी—खासी दखल रखता है।
यही वजह थी कि स्टार्मर ने वहां बसे भारतीयों से अलग से विशेष बैठकें कीं और इस बात पर बल दिया कि कश्मीर को लेकर उनकी सोच में इधर परिवर्तन आया है और अब वे मानते हैं कि कश्मीर का मुद्दा भारत का आंतरिक मुद्दा है। इस मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान को ही रास्ता निकालना है। यानी वे भी इसमें किसी तीसरे की दखल के विरोधी हैं।
कंजर्वेटिव पार्टी को ऐसी बुरी चुनावी पटखनी देने वाली लेबर पार्टी के कीर स्टार्मर प्रधानमंत्री के नाते काम शुरू कर चुके हैं। स्टार्मर कश्मीर मुद्दे पर ही लेबर पार्टी के मत को बदलने में कामयाब नहीं हुए बल्कि उन्होंने हिन्दुओं को लेकर भी सकारात्मक रुख अपनाया है। कभी लेबर पार्टी ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का विरोध किया था। इसी पार्टी ने प्रस्ताव पारित किया था कि कश्मीर पर अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक जनमत कराएं। ।
स्टार्मर जानते हैं कि भारतीय प्रवासियों को वहां क्या मोल है। निवर्तमान प्रधानमंत्री सुनक भी इस तथ्य को जानते थे, लेकिन सब जानते हैं कि उनकी हार के कुछ अन्य महत्वपूर्ण कारण रहे। लेबर पार्टी ने हाउस ऑफ कॉमन्स की 650 सीटों में से 412 सीटें जीतीं, बहुमत पाया। सुनक की पार्टी को सिर्फ 118 सीटें ही प्राप्त हुईं।
61 साल के लेबर नेता और अब प्रधानमंत्री स्टार्मर अब ‘बड़े बदलाव’ का उद्घोष कर चुके हैं। 14 साल से सत्ता से दूर रहने के बाद ‘काम फौरन शुरू’ करने का वादा किया है। यही स्टार्मर अब भारत के साथ रिश्तों को नये सिरे से देखने की बात कर रहे हैं। रणनीतिक साझेदारी बढ़ने के संकेत दे रहे हैं। वे जानते हैं कि इसके लिए भारतवंशियों के साथ ही भारत को लेकर लेबर पार्टी की नीतियों में बड़ा बदलाव जरूरी है जिसके लिए स्टार्मर तैयार दिखते हैं जब वे कहते हैं कि द्विपक्षीय संबंधों में सकारात्मक बदलाव चाहिए।
स्टार्मर भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते, दुनिया की सुरक्षा, शिक्षा, प्रौद्योगिकी तथा जलवायु में बदलाव सहित अन्य अनेक क्षेत्रों में आपसी सहयोग व साझेदारी को अगले स्तर पर ले जाने की बात कर रहे हैं। ये सब मुद्दे लेबर पार्टी के घोषणापत्र में उल्लिखित हैं।
स्टार्मर ब्रिटेन में बसे भारतवंशियों को इस बदलाव की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार होने की बात कर रहे हैं। इन्हीं स्टार्मर ने गत वर्ष इंडिया ग्लोबल फोरम में अपने भाषण में यह बात कही थी कि उनकी लेबर पार्टी सत्ता में आई तो भारत और ब्रिटेन के बीच संबंध लोकतंत्र तथा आकांक्षा के दोनों देशों के साझा मूल्यों पर आधारित होंगे।
स्टार्मर वहां हिन्दुओं के उत्सव—त्योहारों में खूब शामिल होते रहे हैं। स्वामीनारायण मंदिर में दर्शन करने जाते हैं। वे हिन्दू विरोधी नफरत के विरोधी हैं। हिन्दूफोबिया के विरोधी हैं। इन्हीं स्टार्मर ने गत वर्ष चीन से कारोबार, वाणिज्य तथा प्रौद्योगिकी पर एक दूरी बनाने की संकल्पना रखी थी।
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